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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

श्री गांधीने कहा: मैं यह वात मानता हूँ; किन्तु मेरा खयाल है, सभी बातें समितिकी निगाहमें लाई जानी चाहिए; उससे कुछ छिपाया जाना ठीक नहीं है।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २०-७-१९१४
 

३६९. चम्पारन जाँच समितिके सम्मुख गवाहीमें प्रश्न

जुलाई २३, १९१७

श्री गांधीने, जिन्होंने गवाह [श्री ए० अमान[१]] से जिरह की, कहा कि संत राउतका घर नहीं लूटा गया था; बल्कि तथ्य यह है कि वह जनवरीमें जब वापस आया तब उसने देखा कि उसका खेत, अन्नके कोठे, अन्न, औजार, सालके पेड़ और लट्ठे एवं अन्य वस्तुएँ लूट ली गई हैं।

गवाहने उत्तरमें कहा, जहाँतक मेरी जानकारी है, यह सच नहीं है। मुझे यह बात मालूम नहीं है कि कथित घटनासे कुछ दिन पहले संतने मजिस्ट्रेटको यह प्रार्थनापत्र दिया था कि उसे अपने सामानके लूटे जानेका भय है। मुझे लूटकी खबर पहली बार अखबारोंसे मिली ...

[अंग्रेजीसे]
पायनियर, २५-७-१९१७

 

३७०. पत्र: मगनलाल गांधीको

मोतीहारी
श्रावण सुदी ५, १९७३ [जुलाई २४, १९१७]

चि० मगनलाल,

तुम्हारा जन्म-दिवस आकर चला गया। अर्थात् इस शरीरकी आयुमें से एक

वर्ष कम हो गया। तुम्हारे बलपर मैंने शेखचिल्लीका किला बनाया है। इसलिए तुम्हारी [आत्मा] दिन-प्रतिदिन निर्मल हो, ऐसी इच्छा करनेमें मेरा अपना भी स्वार्थ समाविष्ट है। मेरी समस्त इच्छाएँ तुममें मूर्तिमान हैं। मेरी भगवान्से यह प्रार्थना है और तुम्हें मेरा आशीर्वाद है कि तुम्हारी समस्त शुभ इच्छाएँ फलवती हों, तुम

 
  1. १. बेलवा फैक्टरीके मैनेजर।<