पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/५८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

४०७. चम्पारन-समितिको बैठककी कार्यवाहीसे

रांची
सितम्बर २४, १९१७

अध्यक्षने कहा कि उन्हें पता चला है कि श्री गांधी रिपोर्टके उस मसविदेके बारेमें जो प्रचारित किया जा चुका है, कुछ कहना चाहते हैं। श्री गांधीने कहा कि उन्होंने माननीय लेफ्टिनेंट गवर्नरसे भेंट की थी और उन्हें उनसे मालूम हुआ कि शरहबेशीके सम्बन्धमें किये जानेवाले विरोधी दावोंपर पंच निर्णय सम्भव है। अध्यक्षने कहा कि रांची में थे तब उन्होंने इस मामलेपर स्थानीय सरकारसे बातचीत की थी और जब बताया था कि इसके तीन तरीके हो सकते हैं:

१. स्थानीय सरकार पंच-निर्णय करे,
२. ब्रिटिश जायदाद २५ प्रतिशत बकाया अदा करे, या
३. प्रश्नको विशेष न्यायाधिकरणके लिए छोड़ दिया जाये।

उन्हें मालूम हुआ है कि स्थानीय सरकार पंच-निर्णयके लिए तैयार नहीं है, किन्तु स्थानीय अधिकारियोंके साथ सलाह-मशविरा करनेके बाद वह दूसरे सुझावपर विचार करनेके लिए तैयार है। तथापि स्थानीय अधिकारियोंने इस विचारका विरोध किया, और जब उन्होंने खुद बागान मालिकों――अर्थात् सर्वश्री नॉर्मन, हिल तथा इर्विनके सामने यह विचार रखा तो उन्हें मालूम हुआ कि वे भी इसके पक्षमें नहीं हैं। इसलिए वे इस नतीजेपर पहुँचे कि स्थानीय सरकारने पहले और दूसरे विकल्पोंका खयाल छोड़ दिया है। और इसके परिणामस्वरूप रिपोर्ट यह मानकर तैयार की गई है कि तीसरा सुझाव स्वीकार कर लिया जायेगा। श्री गांधीने कहा कि उनके विचारमें सर एडवर्ड गेट पंच निर्णय करनेके लिए तैयार हो जायेंगे । और सुझाव दिया कि यह मामला उन्हें सौंप दिया जाये। श्री रेनीने बताया, पहले यह निश्चित कर लेना चाहिए कि सम्बद्ध पक्ष इसके लिए तैयार हैं कि नहीं। अध्यक्षने कहा मामला महामान्य [लेफ्टिनेन्ट गवर्नर] को सौंपने से पहले एक या दो मुद्दोंपर निर्णय करना आवश्यक है। पहला है तुरकौलियाके सम्बन्ध में। चूँकि श्री हिल शरहबेशी में २० प्रतिशतसे अधिक कम करनेके लिए राजी नहीं हुए और श्री गांधीने कहा था कि वे विशेष मामलोंपर विचार करनेके लिए तैयार हैं; इसलिए अध्यक्षने पूछा कि क्या वे तुरकौलियाके सम्बन्धमें २० प्रतिशत और ४० प्रतिशतके बीच पंच निर्णय करानेके लिए सहमत हो जायेंगे? श्री गांधीने इसपर अपनी सहमति दे दी। अध्यक्षने बताया, दूसरा मुद्दा यह है कि मान लें बागान-मालिक सहमत होते हैं और कुछ नहीं होते तो ऐसी हालतमें पंच निर्णय क्या उन्हीं लोगोंके मामलेमें होगा जो सहमत होते हैं? श्री गांधीने कहा कि उनके विचारमें