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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
अप्रैल २३: लोकमान्य तिलकने प्रथम होमरूल लीगकी स्थापना की। इसका मुख्य कार्यालय पूनामें रखा गया।
अप्रैल २९―मई १: बेलगाँवमें बम्बई प्रान्तीय राजनीतिक सम्मेलनका अधिवेशन; १९१५ में कांग्रेस-संविधानको धारा २२ में जो संशोधन हुआ था, उसे ध्यानमें रखते हुए गांधीजीने देशके राजनीतिक संगठनोंमें समझौता होना चाहिए, इस उद्देश्यके एक प्रस्तावका समर्थन किया।
अप्रैल ३०: बेलगाँवमें “दलित वर्गों” के सम्बन्धमें भाषण।
मई ७: पूनामें मजिस्ट्रेटकी अदालतमें लोकमान्य तिलकके विरुद्ध मुकदमा शुरू हुआ।
मई १३: गांधीजीने भावनगर जैन बोडिंग होस्टलके छात्रोंको चायके स्थानपर पेयके रूपमें ग्रहण करनेके लिए गेहूँका चूर्ण भेजा।
मई २८: ‘न्यू इंडिया’ का मुद्रक होनेके नाते एनी बेसेंटसे मद्रास सरकारने प्रेस ऐक्टके अधीन जमानत की माँग की।
जून ४: गांधीजीने अहमदाबादमें जाति संघोंके सम्मेलनमें अस्पृश्यताके सम्बन्धमें भाषण किया।
जून ५: सम्मेलनके दूसरे दिन हिन्दू जाति प्रथाके सम्बन्धमें भाषण।
जून ७ के बाद: विनोबा भावेके पिताको पत्र लिखकर विनोबाकी सादगीकी प्रशंसा की।
जून १२: एनी बेसेंटने लन्दनमें एक सहायक होमरूल लीगकी स्थापना की।
जून २४: बम्बईके नागरिकोंकी सभामें गांधीजीने प्रेस ऐक्टके विरुद्ध एक प्रस्ताव पेश किया।
जुलाई २६ से पूर्व: रेल मुसाफिरोंकी कठिनाइयोंके बारेमें गुजरातीमें एक पुस्तिका लिखी।
जुलाई २७: कोचरब आश्रममें प्रार्थनाके बाद होनेवाली सभामें दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहके रहस्यको समझाया।
अगस्त १२: लोकमान्य तिलकसे एक वर्ष तक सदाचरणका मुचलका माँगा गया। जमानतकी रकम जमा कर दी गई।
सितम्बर १: एनी बेसेंटने मद्रासमें होमरूल लीगकी स्थापना की।
अक्तूबर २१: अहमदाबादमें होनेवाले बम्बई प्रान्तीय राजनीतिक सम्मेलनमें गांधीजीने अध्यक्ष पदके लिए मुहम्मद अली जिन्नाका नाम प्रस्तावित किया।
अक्तूबर २२: बम्बई प्रान्तीय सम्मेलनमें गांधीजीने भारत प्रतिरक्षा अधिनियमको लागू किये जानेके ढंगका और बम्बई प्रदेशमें एनी बेसेंटका प्रवेश निषेध करनेवाली सरकारी आज्ञाका विरोध करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया।
अक्तूबर २३: बम्बई प्रान्तीय सम्मेलनमें गांधीजीने प्रस्ताव पेश करके गिरमिटिया प्रथा समाप्त करने, वीरमगाँव रेलवे-स्टेशन तथा काठियावाड़की सीमापर स्थापित चुँगी-चौकियाँ हटानेकी माँग की।
नवम्बर १: एनी बेसेंटको मध्यप्रान्तमें प्रवेश करनेका निषेध किया गया।
नवम्बर ९: बड़वान (सौराष्ट्र) में गांधीजीने श्रीमद् राजचन्द्रकी जयन्तीके अवसरपर भाषण किया।