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पत्र : च० राजगोपालाचारीको

यदि गर्मीके मौसमसे खादीमें खराबी पैदा होती है तो हमें या तो गर्मीका प्रभाव दूर करनेका कोई उपाय निकालना चाहिए या जनतासे साफ कह देना चाहिए कि उसे मौसमोंके कारण दो किस्मकी खादी मिलेगी और इसलिए दोनों किस्मोंके दाम भी अलग-अलग होंगे।

अब रही आपके दौरेकी बात। मुझे तो इस वर्ष दौरेकी करीब-करीब कोई आशा नहीं रही है। इसके लिए कोई भी दोषी नहीं है। आप सबको एक साथ तैयार करना बहुत मुश्किल है। और यदि सब तैयार हो जायें तो उसके बाद, जिस यात्राका आपने मुहूर्त निकाला है उसे, आप ऐन वक्तपर कोई भी जरूरी काम बताकर स्थगित कर देंगे। मैं तो कहता हूँ कि जबतक आपमें इतना साहस नहीं आता कि अकेले जा सकें, तबतक आप दौरेका विचार बिलकुल ही छोड़ दें। मणिलाल कोठारी पहली सितम्बर तक नहीं जा सकेंगे। वे रेलवे एसोसिएशनका काम स्थगित करते आ रहे हैं। वे जब अपने एसोसिएशनके कामके कारण दौरेपर जानेमें अपनी असमर्थता बताते हैं, तब मैं उसपर जोर भी नहीं दे सकता। जमनालालजी एक बार स्वीकार कर लेनेके बाद फिर अपना कोई कार्यक्रम स्थगित नहीं करते, लेकिन उन्हें किसी अपरिवर्तनीय कार्यक्रममें बाँधना उनके और अपने उद्देश्यके प्रति भी अन्याय करना होगा। मैंने इसीलिए उनको सभी जिम्मेदारियोंसे मुक्त कर दिया है। यदि उनसे बन पड़ेगा तो आप जब भी तैयार होंगे, वे आपके साथ हो जायेंगे। आपको साथ लिये बिना कोई भी दौरेपर नहीं जाना चाहता। इसलिए मुख्य व्यक्ति आप ही हैं। और चूँकि आपकी गतिविधियाँ अनिश्चित-सी रहती हैं और आपके नियन्त्रणसे बाहर होती हैं, इसलिए यह आप ही बतायेंगे कि आप कब दौरेपर जायेंगे और तब जो भी लोग इकट्ठे हो सकेंगे, आपके साथ हो लेंगे। यदि आप इन शर्तोंपर यह काम करना नहीं चाहते तो फिर इस वर्ष दौरेका विचार ही त्याग दें। बस इतना याद रखें कि महाराष्ट्रके दौरेका कार्यक्रम आपके निश्चित निर्देशोंके अनुसार ही बनाया गया है। परन्तु यदि आपने वे निर्देश यह मानकर दिये हों कि मणिलाल कोठारी और जमनालालजी आपके साथ जायेंगे ही, तो फिर आप महाराष्ट्रका दौरा भी रद कर दें। अपना फैसला कृपया तार द्वारा सूचित करें और यदि दौरे करना आपके बसकी बात न हो, तो बिना हिचक वैसा लिख दें, भले ही आपकी इस बेबसीका कारण आपकी तिरुच्चेङगोडकी कुछ कठिनाइयाँ हों या कोई अन्य कठिनाइयाँ। किसी कामको बिना योजना बनाये यों ही संयोगपर छोड़नेमें कोई लाभ नहीं।

देवदास अब भी मसुरीमें है। वह शक्ति संचित कर रहा है और पण्डितजीकी[१] सहायता कर रहा है। सहायता किस रूपमें कर रहा है, यह उसने नहीं लिखा। लक्ष्मीदास और लालजी उसके साथ हैं। जमनालालजी यहाँ आये थे। वे अमृतलाल सेठका[२] काम देखने कुछ दिनके लिए रानपुर गये हैं। राजेन्द्र बाबू कल चले गये। प्यारेलाल अभी मथुरादासके साथ ही हैं। आप जानते ही हैं कि मथुरादास पंचगनीमें हैं और

  1. मोतीलाल नेहरू।
  2. जन्मभूमिके सम्पादक।