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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्यारेलाल वहाँ जाकर उनकी काफी उपयोगी सहायता कर रहा है। अब यहाँ शनिवारको एक जर्मन महिला आ गई है। मतलब यह है कि आश्रम अब काफी भरा हुआ है। छोटालाल अब शान्त हो गया है और कताई-बुनाई इत्यादिमें विशेष कुशलता प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। इसलिए अब उसके लिए आपके साथ दौरेमें जानेका या आपके पास आनेका कोई सवाल नहीं उठता।

आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १११९९) से।

८८. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

आश्रम
साबरमती
३० जून, १९२६

तुम्हारा कार्ड मिला। ताज्जुब है कि तुम, कारण कोई भी हो, बीमार कैसे पड़ गये। तुम्हें कोटगढ़ में शान्तिसे विश्राम करना था। इसके बजाय वहाँ तुम्हारा रक्त विषाक्त[१] हो गया। मैंने कुछ दिन पहले कोटगढ़के पतेपर एक लम्बा पत्र[२] लिखा था। विस्तारपूर्वक लिखो कि अब स्वास्थ्य कैसा है। यदि तबीयत हो तो यहाँ आ जाओ। तुम जानते ही हो कि यहां जैसी भी परिचर्या चाहोगे, सुलभ होगी।

तुम्हारा,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६४७) की फोटो-नकलसे।

८९. अखिल भारतीय गोरक्षा मण्डलके आय-व्ययका ब्योरा

१९२६ की ३० अप्रैलतकका अ० भा० गोरक्षा मण्डलका आय-व्ययका ब्योरा नीचे दिया गया है :[३] यह ध्यान देने योग्य है कि सूतको विक्रीसे बहुत थोड़े दाम[४] मिले हैं, क्योंकि सूत बहुत ही खराब था। यदि चन्दा देनेवाले अपने सूतमें सुधार करें तो बिना किसी विशेष कठिनाई और खर्चके वे अपनी दी हुई रकमको स्वयं ही बढ़ा सकेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १-७-१९२६
  1. किसी कीड़े के काटनेसे सी० एफ० एन्ड्यूजका रक्त विषाक्त हो गया था।
  2. देखिए "पत्र : सी० एफ० एन्ड्यूजको", २४-६-१९२६।
  3. यहाँ नहीं दिया गया है।
  4. ६,१५४ रुपयेकी कुल आपमें सूतको विकासे केवल २६ रुपये कुछ पैसे ही प्राप्त हुए थे.