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२८२. अनीतिकी राहपर—६

श्री ब्यूरोने इस बातपर जोर दिया है कि विवाहसे पहले और विवाहित जीवनके दौरान भी ब्रह्मचर्यका पालन आवश्यक है। उन्होंने अनेक प्रमाण जुटाकर यह सिद्ध किया है कि इस प्रकारका आत्मसंयम सर्वथा सम्भव है और मन तथा देहके लिए हानिकारक होना तो दूर, वह हर तरहसे लाभदायक ही होता है। इसके बाद श्री ब्यूरोने एक पूरे अध्यायमें आजीवन ब्रह्मचर्यके महत्व और इसकी सम्भावनाकी चर्चा की है। अध्यायका यह प्रारम्भिक अनुच्छेद उद्धृत करने योग्य है :

कामवासनाकी दासतासे वास्तविक मुक्ति पानेका अत्यन्त दुष्कर कार्य सम्पन्न करनेवाले इन वीरों, उद्धारकर्त्ताओंकी सबसे अगली पंक्तिमें आयेंगे वे युवक और युवतियाँ जो किसी बड़े उद्देश्यकी पूर्तिमें अपना जीवन खपा देनेके विचारसे गृहस्थ-जीवनके सुखोंका लोभ त्यागकर आजीवन ब्रह्मचारी रहनेका संकल्प कर लेते हैं। ऐसा संकल्प करनेके उनके अपने-अपने, यथास्थिति भिन्न-भिन्न कारण होते हैं। यदि कोई बूढ़े, अशक्त माता-पिताकी सेवाके विचारसे यह व्रत लेता है, तो दूसरा माता-पितासे वंचित अपने भाई-बहनोंके प्रति माता-पिता-जैसा ही कर्त्तव्य पूरा करना चाहता है। कुछ अन्य लोग कला-विज्ञान की साधना, या दीन-दुखियोंकी सेवा अथवा नीति-शिक्षा या ईश्वरकी आराधनामें अपना सारा समय और शक्ति लगाने के लिए ऐसा व्रत लेते हैं। इसलिए इस ऐच्छिक त्यागका मूल्य भी न्यूनाधिक हो सकता है। सुशिक्षा और सदाचारके अभ्याससे कुछ लोगोंकी मानसिक वृत्ति ही ऐसी हो जाती है कि उनको विषय-वासनाओंका लोभ नहीं सताता, जबकि और आगे बढ़नेवाले कुछ अन्य लोगोंको अपनी वासनाओंपर विजय पानेके लिए अपनी पाशविक वृत्तियोंके साथ कठिन संघर्ष करना पड़ता है। जिन्हें यह करना होता है, वे ही जानते हैं कि यह संघर्ष कितना कठिन होता है। तरीका जो भी अख्तियार करना पड़े, अन्तिम निश्चय या संकल्प तो इन सभीका एक ही होता है। ये सभी स्त्री-पुरुष इसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि उनके लिए सेवाका बस एक ही मार्ग है–– विवाह न करना; और अपनी अन्तरात्माको साक्षी रखकर या ईश्वरके समक्ष वे पूर्ण ब्रह्मचर्यका जीवन बितानेका व्रत ले लेते हैं। किसीके लिए विवाह करना चाहे कितना ही निश्चित एवं असन्दिग्ध कर्त्तव्य क्यों न हो, पर यह तो समझा ही जा सकता है कि कुछ परिस्थितियोंमें मन और शरीरको पवित्र रखनके ये संकल्प सर्वथा उचित होते हैं, क्योंकि इनके मूलमें एक उच्चादर्शपूर्ण, उदात्त उद्देश्य रहता है। माइकेल एन्जेलोने विवाहकी सलाहके उत्तरमें कहा था;