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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
(३) उसे खादीके प्रति दृढ़ विश्वास जरूर है परन्तु यज्ञके रूपमें कताईके प्रति नहीं है।

मुझे लगता है कि पिछले दो कारण उसे मुक्त करनेके लिए पर्याप्त हैं। यदि गला ठीक नहीं रहता तो वह पढ़ा ही नहीं सकता और यदि वह निःस्वार्थभावसे कताई करनेके महत्त्वको नहीं समझ सकता तो वह विद्याथियोंपर प्रभाव डाल नहीं सकता है। फिलहाल मैंने नानाभाईको राजकोट जाकर शालाका निरीक्षण करनेको लिखा है। वे दक्षिणामूर्तिके अधिष्ठाता हैं और विद्यापीठके कुलनायक हैं। आपके लिए समितिसे तुरन्त त्यागपत्र देनेकी कोई आवश्यकता नहीं है। नानाभाईसे सलाह करनेके उपरान्त आपको और लिखूंगा।

रतिलालके[१] बारेमें मेरा अवलोकन ज्यों-ज्यों बढ़ रहा है त्यों-त्यों उसमें अधिकाधिक सरलता और सीधापन नजर आ रहा है। मेरा अनुभव यही है कि खर्चीली तो चम्पा[२] ही है। अभी वे दोनों मणिलाल कोठारीके यहाँ गये हुए हैं। चम्पा पर्युषणके[३] त्यौहारतक वहीं रहना चाहती है।

रतिलाल क्या करेगा यह निश्चित रूपसे नहीं कहा जा सकता।

चि० जेकीके[४] विषयमें डाक्टरको[५] लिख रहा हूँ, जवाब मिलनेपर फिर आपको लिखूंगा।

रतिलाल आज लौट आया है।

मोहनदासके प्रणाम

गुजराती पत्र ( जी० एन० १२८०) की फोटो-नकलसे।

३९२. पत्र : नौरोजी बेलगाँववालाको

आश्रम
साबरमती
मंगलवार, श्रावण अमावस्या, ७ सितम्बर, १९२६

भाईश्री ५ नौरोजी बेलगाँववाला,

आपका पत्र मिला। प्रकाशित पत्र मैंने 'क्रॉनिकल' में पढ़ा था। इस बातमें मेरा विश्वास ही नहीं है कि मैं अपने विचार अभी प्रकट कर दूं। मैं ऐसा मानता हूँ कि मौन रहकर ही मैं सच्ची सेवा कर रहा हूँ। कई बार होशियार वैद्य अपने रोगीको केवल आराम करनेकी सलाह देता है। और मैं अपने आपको एक होशियार

  1. रतिलाल मेहता।
  2. रतिलालको पत्नी।
  3. जैनियोंका एक त्यौहार।
  4. डा० प्राणजीवन मेहताकी पुत्री।
  5. डा० प्राणजीवन मेहता ।