पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/५१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४८१
सार्वजनीन घरेलू धन्धा
गाँवोंमें 'घर' की पुनःप्रतिष्ठा करनेके परम महत्त्वको स्वीकार करते हुए शासन विधिको बदलने या शासन विधिका इस समस्यापर जो असर पड़ता है उसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। पुनर्प्रतिष्ठाकी इस योजनामें घरेलू उद्योग केवल सहायक ही नहीं बल्कि परमावश्यक है।

लेखकको यह दिखानेमें जरा भी कठिनाई नहीं पड़ी है कि निकट भूतमें ही हिंदुस्तान सुखी और उन्नत था। वे एल्फिन्स्टनका यह वाक्य उद्धृत करते हैं:

यूनानी यात्रियोंके भारतके उन हिस्सोंके वर्णनसे जहां वे गए थे, यही पता चलता है कि इस देशमें जनसंख्या बहुत थी और देश उन्नतिकी चरम सीमापर था।

यह दिखानेमें उन्हें और भी कम कठिनाई पड़ी है कि इस समृद्धिका मुख्य कारण था हाथ-कताई और हाथ-बुनाईका एकमात्र गृहउद्योग। किन्तु आज हाथ-कताईके उद्योगको पुनरुज्जीवनकी जरूरत है। हाथ-बुनाई भी एक महत्त्वपूर्ण उद्योग है किन्तु उसपर उतना ध्यान देना आवश्यक नहीं है।

आज देशमें कोई उल्लेखनीय सुख-समृद्धि है ही नहीं। तीन चौथाई लोग केवल कृषि-कर्मपर ही निर्भर हैं। ढाका और फरीदपुरमें खेती करने लायक जमीनमें ९२ फीसदी और मिदनापुरमें ७४ फीसदी खेती होती है। ऊपरके तीन जिलोंमें फी आदमी औसतन .७२, .७३, .८४ एकड़ जमीन जोती बोई जाती है। अतः अब और खेती बढ़ानेकी गुंजाइश बहुत ही कम है। जिसका एकमात्र आधार खेती है, ऐसा कोई भी किसान एक एकड़से कम जमीनसे गुजारा नहीं कर सकता। सच्चा औसत तो ऊपर दिए गये औसतसे बहुत कम बैठता है, क्योंकि इस हिसाबमें घनी जमींदारोंकी बहुत बड़ी सीरें भी शामिल हैं।

इसलिए यह कोई ताज्जुबकी बात नहीं कि एक बड़े सरकारी अफसरको यह कहना पड़ा है कि इस देशमें आधे लोग यह जानते ही नहीं कि दो बार खाना किसे कहते हैं।
अकाल-कमीशनने, १८७७-७८ में ही, इस स्थितिकी गम्भीरता यों बताई थी:
हिन्दुस्तान में अकालोंका इतना सर्वनाशी प्रभाव पड़नेका एक मुख्य कारण और अकाल-पीड़ितोंको कुछ वास्तविक सहायता पहुँचानमें सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि अधिकांश लोग कृषिपर ही निर्भर हैं, और ऐसा कोई भी दूसरा धन्धा नहीं जिससे काफी लोगोंकी गुजर होती हो। नियमित वर्षा न होनेके कारणसे मेहनत मजदूरी करनेवाले सभी लोगोंको न केवल ऐसी खाद्य-सामग्रीका ही मिलना, जिसे खरीदना उनकी शक्तिके भीतर हो, बन्द हो जाता है, बल्कि उसे खरीदनेके लिए धन पैदा करनेका उनका एकमात्र रोजगार भी बन्द हो जाता है। कमिश्नरोंका कहना है कि इसकी पूरी दवा यह है कि कृषिके अलावा दूसरे ऐसे धन्धे भी शुरू किए जायें जिनपर मौसमकी भारी तबदीलियोंका कोई असर न पड़े।
३१-३१