पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तिरुपुरकी खादीमें जो बढ़ियापन पहले नजर आता था अब नहीं दिखाई पड़ता। परन्तु इस वर्ष थोड़ा सुधार देखनेमें आया है। तिरुपुरकी खादी-उत्पादक संस्थाने इस साल अपनी खादीके बड़े-बड़े दोष दूर करनेकी कोशिश की है। परन्तु अभी बहुत सुधार हो सकता है। उस संस्थाने तानेके प्रति चौथाई इंचमें दस तार रखनेका दस्तूर बना लिया है, परन्तु बानेके लिए उन्होंने कोई निश्चित पैमाना स्थिर नहीं किया है। इसका नतीजा यह होता है कि बुनकर लोग प्रति इंच अपनी मर्जीके मुताबिक ज्यादा या कम तार भर लिया करते हैं। इसके फलस्वरूप करघेसे कमजोर और ढीली-ढाली खादी उतरती है।

कृपया इस मामलेकी छानबीन कीजिए और यदि आप वर्तमान खादीके घटियापनका आरोप स्वीकार करते हैं तो आप सब कैफियत सही-सही लिख भेजिए। अगर ऐसा है तो वर्तमान खादीकी किस्ममें गिरावट कैसे और किस हदतक पहुँची है, इस दोषको दूर करने के लिए कौन-कौनसे कदम उठाये जाने चाहिए? यह भी लिखिए कि इस गिरावटके लिए कौन जिम्मेवार है।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एस० रामनाथन

मन्त्री
अखिल भारतीय चरखा संघ (तमिलनाड शाखा)

इरोद

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १११९१) की माइक्रोफिल्मसे।

२५. पत्र : च० राजगोपालाचारीको

आश्रम
साबरमती
१९ जून, १९२६

मैं इसके साथ उस पत्रकी प्रतिलिपि संलग्न कर रहा हूँ जो मैंने रामनाथनको[१] लिखा है। मैं जानता हूँ कि आप यथासम्भव सब-कुछ करेंगे ही।

इस माहके अन्ततक आप यहाँ आयेंगे ऐसी आशा है।

हृदयसे आपका,

संलग्न : १

श्रीयुत च० राजगोपालाचारी
गांधी आश्रम

पुडुपालयम, तिरुच्चडमोड

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १११९०) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. १. देखिए पिछला शीर्षक।