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भाषण : तिन्नेवेल्लीकी सार्वजनिक सभामें

है कि इस कपड़ेकी तरह ही, मैं जितनी भी खादी इस्तेमाल कर रहा हूँ, उस सबका ऐसा ही अपना एक इतिहास है। मुझे यह याद रखने में बहुत खुशी होती है कि जो कपड़े मैं पहन रहा हूँ उसे किस बहन या बेटीने काता या किसके हाथोंने बुना है। भारतका यह एक अत्यन्त व्यापक और सार्वत्रिक उद्योग है जिसे न केवल हमारे करोड़ों भूखे देशवासी अपना सकते हैं, बल्कि जिसकी बुनियादपर आप महान प्रवृत्ति- योंका भवन खड़ा कर सकते हैं और इस देशकी सभी जातियों और समुदायोंको एक सूत्रमें बाँध सकते हैं ।

लेकिन जहाँ इन दोनों मित्रोंको खादीके भविष्यमें और जनसाधारणकी गहरी और दुःखद गरीबीको काफी हदतक हल कर सकनेकी उसकी क्षमतामें विश्वास है, वहीं उन्हें इस देशमें ब्राह्मण और अब्राह्मण समस्याके हल होनेमें अभी कोई विश्वास नहीं है। उन्हें भय है, कमसे-कम उनमेंसे एकको यह भय है कि तमिलनाडु में खादी-कार्य- पर ब्राह्मणोंकी छाप अधिक है। इसलिए मुझपर यह बन्धन लगा दिया गया है कि मैं यह खादी तो आपको बेच सकता हूँ लेकिन इस धनका उपयोग मैं तमिलनाडु में खादी-कार्यपर न करूंगा। मैंने यह वचन उन्हें दे दिया है, क्योंकि आप जितना दे सकें उतने घनकी मुझे देशके अन्य भागोंमें खादी-कार्यके लिए आवश्यकता है। लेकिन मैं आपको सूचित कर दूं कि हालाँकि तमिलनाडुके खादी संगठनपर ब्राह्मणोंका प्रभाव है, लेकिन इस आन्दोलनसे लाभ उठानेवाले कतैयों और बुनकरोंकी बहुत बड़ी संख्या अब्राह्मणोंकी है। और अखिल भारतीय चरखा संघके अध्यक्ष और प्रधानके नाते मैं आपको यह आश्वासन भी देना चाहता हूँ कि यदि मुझे अपनी शर्तोंपर उतनी ही संख्या में प्रवीण कार्यकर्ता अब्राह्मणोंमें से मिल जायें तो मैं अखिल भारतीय चरखा संघ के सभी ब्राह्मण कार्यकर्त्ताओंको आज बर्खास्त ही कर दूंगा। मैं आपको यह भी बता दूं कि तमिलनाडुमें जो थोड़े-से ब्राह्मण अखिल भारतीय चरखा संघमें काम कर रहे हैं, उनमें से हर व्यक्ति उस वेतनसे कहीं ज्यादा कमा सकनेमें समर्थ है जितना कि संघ उन्हें कभी दे सकता है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अखिल भारतीय चरखा संघ ऐसी संस्था नहीं है जिसमें पैसा कमा कर अमीर बननेकी इच्छा रखनेवाला कोई भी व्यक्ति शामिल हो सके। इसके लिए निःस्वार्थ भाव, आत्मत्याग और जीवनकी शुद्धता परमावश्यक गुण हैं। सरकारी नौकरियोंमें जैसे वेतन-मान हैं, वैसे वेतनोंपर अखिल भारतीय चरखा संघको चलाना मेरे लिए असम्भव होगा। अखिल भारतीय चरखा संघ में ऐसे लोग हैं जो किसी समय १००० से १५०० रुपये महीना कमा रहे थे और जो अब संघसे मुश्किलसे १०० रुपये पाते हैं। यदि मैं चरखा संघके अधि- कारियोंको वैसे वेतन देना शुरू कर दूं तो मुझे दिवाला अदालतमें अर्जी दाखिल करनी पड़ जायेगी (हँसी) । इसलिए आप विश्वास करें कि यदि चरखा संघमें अपनेको खपा देनेवाले कुछ ब्राह्मण हैं तो वे सच्चे ब्राह्मण धर्मसे ही उसमें कार्य कर रहे हैं । और मैं आपसे साफ कहूँगा कि यद्यपि मैं ब्राह्मण नहीं हूँ, फिर भी वास्तविक और सच्चे ब्राह्मण-धर्मके प्रति मेरे मनमें असीम आदरका भाव है । यदि मुझे उस धर्मका पालन करनेवाले लोग काफी संख्या में मिल जायें तो इस समय देशके सामने जो भी सम- ३५-७