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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करते हैं, अपने हाथसे छूनेके भी काबिल नहीं मानते। मैं आपको बता दूं कि यह धर्म नहीं, बल्कि अधर्म है। मैं चाहता हूँ कि आप अस्पृश्यताके इस कलंकसे मुक्त हो जायें।

तीसरी बात जो मैं आपसे कहना चाहता हूँ, वह देवदासियोंके बारेमें है। बहनो, मुझे पता है कि उनमें से कुछेक बहनें यहाँ भी मौजूद हैं। मैं देवदासियोंके पेशेको अनैतिक मानता हूँ। उन्हें ऐसे पेशेमें नहीं होना चाहिए था। मैं समझता हूँ कि आपके स्त्री-क्लब या स्त्री-संघ बने हुए हैं। इन अभागी बहनोंकी देख-भाल करना आपका पहला कर्तव्य है। यदि आप एक होकर इस मामले में कोई आन्दोलन चलायें तो आप कोयम्बटूरके स्त्री-पुरुषोंको इस सम्बन्धमें अपना कर्त्तव्य निवाहनेके लिए बाध्य कर सकती हैं।

इस तरहके सुधारोंको आपको अपने हाथ में ले लेना चाहिए। आपने मद्रासकी डा० मुत्तुलक्ष्मीका नाम तो सुन ही रखा है। वे मद्रास विधान परिषदमें आपकी प्रतिनिधि हैं। वे इसकी उपाध्यक्षा भी हैं। मेरी उनसे लम्बी बातचीत हुई थी । उनका खयाल है, और दूसरे भी यही मानते हैं कि हिन्दू समाजकी इस खतरनाक बुराईसे जूझनेका यह उपयुक्त समय है। आप भी यहाँ वैसा ही करिए ।

एक बुराई और है जिसके बारेमें मैं आपसे कहना चाहता हूँ। आप अपनी लड़कियोंका विवाह ऐसी अवस्थामें कर देती हैं जबकि उन्हें यह भी पता नहीं होता कि विवाह क्या चीज होती है। जबतक वे परिपक्व अवस्थाको न पहुँच जायें, जबतक वे कमसे-कम १६ वर्षकी न हो जायें तबतक उनकी शादी नहीं करिए। मैं आपको बता दूं कि ऐसा करना पाप है।

अहमदाबादमें मेरे साथ १६ वर्षसे अधिक उम्रकी अविवाहित लड़कियाँ रहती हैं। वे उतनी ही मासूम हैं जितने कि आपके घरके फूल । वे अपना समय समाजके लिए विभिन्न सेवाकार्य करते हुए बिताती हैं। वहाँ उन्हें समुचित शिक्षा प्राप्त होती है। उनकी शादी तबतक नहीं होनेवाली है जबतक वे स्वयं न चाहें । एक क्षणके लिए भी ऐसा मत सोचिए कि यह काम आपका नहीं, बल्कि मर्दोंका है। यह तो खास तौरपर आपका ही काम है, अत: जागो और लड़कियोंकी खुशीके लिए काम करो। यह पुरुष नहीं कर सकते और न करेंगे ।

जो सत्य मैं आपको बता चुका हूँ, उसे जाननेके लिए आपको कालेजोंमें जानेकी या एक लाइन भी पढ़नेकी जरूरत नहीं है। आप इन सबको आसानी से समझ सकती हैं। यह वह चीज है जिसे मैं मानवीय शिक्षा कहा करता हूँ और जिसे स्त्रियाँ वर्णमालाका एक अक्षरतक जाने बिना प्राप्त कर सकती हैं ।

अब मैं आपको यह बता दूं कि आपकी थैलीसे मुझे सन्तोष नहीं हुआ है। आपको बहनोंने, दूसरे जिलोंकी स्त्रियोंने, इस आन्दोलनके सिलसिले में क्या-कुछ किया है, वह मैं आपको बता सकता हूँ। मलाबारकी लड़कियाँ आपकी ही तरह ज्यादा जेवर नहीं पहनतीं । जेवरोंका बाहुल्य मैंने तमिलनाडु और आन्ध्र देश में ही देखा है। मलाबारकी स्त्रियोंने तो जो इक्के-दुक्के कंगन या अँगूठियाँ पहन रखी थीं, उन्हें भी खादी आन्दोलनके लिए उतार दिया था। और मेरी उनसे यह प्रार्थना रहेगी कि