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भाषण : श्रमिक संघकी सभा, कोलम्बोमें

लिए तो यह कहा गया है कि मैं जो कुछ करता हूँ, पूरी तरह करता हूँ, और उस पर इतना जोर देता हूँ कि लोगोंको यह चीज खटकती है। मैं जानता हूँ कि जब मैं अपनेको सनातनी हिन्दू बताता हूँ तो मित्र लोग गड़बड़ीमें पड़ जाते हैं क्योंकि सनातनी कहे जानेवाले व्यक्तिके आमतौरपर जो लक्षण होते हैं उन्हें वे मुझमें नहीं देखते। लेकिन उसका कारण यह है कि एक कट्टर हिन्दू होनेके बावजूद मैं अपने विश्वासोंमें ईसाई धर्म, इस्लाम और जरथुस्त्रकी शिक्षाओंके लिए गुंजाइश पाता हूँ और इसलिए मेरा हिन्दू धर्म कुछ लोगोंको कई चीजोंकी खिचड़ी-जैसा प्रतीत होता है और कुछने तो मुझे धर्मके मामलोंमें विभिन्न स्रोतोंसे अपनी पसंदके अनुसार कुछ-कुछ ले लेनेवाला सार-संग्रही व्यक्ति तक करार दिया है। किसी व्यक्तिको सार-संग्रही कहनेके मतलब हैं कि उस व्यक्तिका कोई विश्वास या धर्म नहीं है, लेकिन मेरा विश्वास तो बहुत व्यापक है, जो ईसाइयोंका विरोध नहीं करता - यहाँतक कि 'प्लिमथ ब्रदर' जैसे लोगोंका भी नहीं - यहाँतक कि बड़ेसे-बड़े धर्मान्ध मुसलमानका भी विरोध नहीं करता। मेरा यह धर्म अत्यन्त व्यापक सहिष्णुतापर आधारित है। मैं किसी व्यक्तिको उसके धर्मान्ध कृत्योंके लिए बुरा-भला कहनेसे इनकार करता हूँ क्योंकि मैं उसके कृत्योंको उसके दृष्टिकोणसे देखनेकी कोशिश करता हूँ। यह व्यापक विश्वास ही है जो मुझे सहारा देता है, बल देता है। यह स्थिति थोड़ी अटपटी है, यह मैं जानता हूँ - लेकिन मेरे लिए नहीं, औरोंके लिए !

[ अंग्रेजीसे ]

सीलोन डेली न्यूज, १७-११-१९२७

यंग इंडिया, २२-१२-१९२७

१७९. भाषण : श्रमिक संघकी सभा, कोलम्बोमें

१६ नवम्बर, १९२७

अध्यक्ष महोदय, मित्रो और साथी मजदूरो,

मैं जिस उद्देश्यको सामने रखकर संसारके द्वीपोंमें मोती-सदृश इस द्वीपमें आया हूँ, उसके निमित्त दी गई आपकी थैली तथा आपके अभिनन्दनपत्रके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। आपको साथी मजदूर कहकर मैंने अपनेको मजदूर कहा है, और ऐसा मैंने इस कारण किया है कि १९०४ से मैं भरसक एक मजदूरकी भाँति रहनेका प्रयत्न करता रहा हूँ। लेकिन उससे बहुत पहले ही मैं श्रमकी गरिमाको समझने और उसकी कद्र करने लगा था, और साथ ही यह भी महसूस करने लगा था कि श्रमको जो प्रतिदान मिलना चाहिए वह उसे नहीं मिल रहा है। और ईश्वरने अपनी असीम अनुकम्पावश मेरा जीवन ऐसा बना दिया कि मैं श्रमिकोंके, और श्रमिकोंके सेवा-कार्यके अधिकाधिक निकट खिंचता चला गया। इसलिए आपके बीच होने और अपने साथी मजदूरोंसे एक अभिनन्दनपत्र पानेकी तथा उन लोगोंकी ओरसे साथ ही