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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एक थैली पानेकी भी मुझे बहुत खुशी है जो आर्थिक दृष्टिसे आपकी अपेक्षा कहीं खराब हालतमें हैं। आपने अपने अभिनन्दनपत्रमें "भारत माता " शब्दका जो प्रयोग किया है उसने मेरे अन्तरतमको छू लिया है। यह शब्द मेरे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि मैं जानता हूँ कि आपमें से सब लोग भारतीय नहीं हैं । शायद आप लोगोंके सामने आप लोगोंमें जो भारतीय नहीं हैं और जो इस यूनियन या इन यूनियनोंमें बहुसंख्या में हैं इस शब्दका इस्तेमाल करते समय वह अर्थ नहीं था जो मैं इसे प्रदान करता हूँ और जिसे मैं अभी स्पष्ट करूंगा। ऐसी अनु- श्रुति है - और अनुश्रुति कभी-कभी इतिहाससे श्रेष्ठ होती है -- कि प्राचीन कालमें राम नामके एक राजा लंका द्वीपको एक दुष्ट राजाके चंगुलसे छुड़ानेके लिए यहाँ आये थे और जब कि विजयके पुरस्कार स्वरूप वे इसे अपने राज्यमें मिला सकते थे तब वैसा न करके उन्होंने इसे उस दुष्ट राजाके विभीषण नामक भाईको सौंप दिया और उसे लंकाका राजा बना दिया ।

आधुनिक भाषामें कहा जाये तो इसके अर्थ यह हैं कि रामने लंकाकी जनता या राजा विभीषणकी राजनिष्ठाकी परीक्षा लिये बगैर और जनताको या राजा विभीषणको अभिभावककी तरह कुछ समयतक अपने अभिरक्षणमें रखे बगैर उन्हें सीधे पूर्ण स्वशासन या औपनिवेशिक दर्जा प्रदान कर दिया। इस अनुश्रुतिका जो काल बताया जाता है, तबसे लेकर अबतक लंकामें, और भारतमें भी अनेक परिवर्तन हुए हैं और दोनोंने भाग्यके बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन भारतमें करोड़ों लोग आज भी इतिहासके तथ्योंकी अपेक्षा इस अनुश्रुतिमें कहीं अधिक दृढ़तापूर्वक विश्वास करते हैं। और यदि इस सुन्दर द्वीपके रहनेवाले आप लोग अपने निकटस्थ पड़ोसीके साथ कुछ अपनापन माननेमें हेटी महसूस न करते हों तो मैं आपको सलाह दूंगा और कहूँगा कि इस अनुश्रुतिमें भारतके करोड़ों लोगोंको जो गर्व है उसे आप भी महसूस करें। और अब आप समझ सकते हैं कि मैंने आपसे यह क्यों कहा कि आपने, जो मेरी रायमें भारतके एक 'अपत्य राज्य' के निवासी हैं, "भारत माता शब्दके प्रयोग द्वारा भारतके प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करके ठीक ही किया है।

मैं यह भी बताऊँगा कि अनुश्रुतिके राम इस पृथ्वीपर कभी रहे हों या न रहे हों, और दस सिरवाला रावण लंकामें कभी रहा हो या न रहा हो, लेकिन यह सच है कि एक ऐसा राम है जो आज भी जीवित है और एक रावण भी है जो जीवित है। हिन्दू धर्ममें राम ईश्वरका मधुर और पवित्र नाम है, और हिन्दू पुराणोंमें रावण उस दुष्टता या बुराईका नाम है जो मानव-शरीरमें मूर्तिमती हो उठती है। राम-रूपी ईश्वरका काम है कि जब और जहाँ कहीं बुराई हो, उसका नाश करें, और साथ ही उनका यह भी काम है कि विभीषण सदृश अपने भक्तोंको स्वशासनका अपरिवर्तनीय अधिकार प्रदान करें।

अपने अन्दरके बुराई-रूपी दशाननका अपने हृदयस्थ ईश्वर, रामकी सहायतासे नाश करके, आइए, हम सब लोग, चाहे मजदूर हों या और कुछ, स्वशासनका अधिकारपत्र माँगें । और आप साथी मजदूर, जिन्हें अपना वाजिब हिस्सा अभी