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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शायद ही कोई ध्यान देता हो । यदि मैं आपसे यह कहूँ कि भारतके सभी शहरोंमें यही हालत है तो यह मेरी गलती होगी। कोई भी नगर-पार्षद गरीबोंकी सेवा करना अपना कर्त्तव्य नहीं मानता। मुझे यह भी बता देना चाहिए कि अब यह हालत सुधर रही है, हालाँकि सुधारकी गति दुखद रूपसे धीमी है।

मैं आपसे यह कहनेका साहस करूंगा कि लंकामें आप लोग हम भारतके लोगोंकी अपेक्षा अधिक सुखी, कहीं अधिक सुखी हैं, और वह इस कारण कि आपके यहाँ विशाल जन-संख्याकी समस्या नहीं है। प्राकृतिक सौन्दर्य अथवा जलवायुकी दृष्टिसे आपका देश किसीसे पीछे नहीं है। यहाँ प्लेग होने अथवा प्लेगसे डरनेकी तो कोई वजह ही नहीं है। दक्षिण आफ्रिकाकी कुछ नगरपालिकाओंकी ही तरह -- मैं दक्षिण आफ्रिकाको अपने देशसे भी अधिक अच्छी तरह जानता हूँ - आप भी ऐसी बीमारियोंको दूर रखनेमें समर्थ हो सकेंगे। मैंने देखा है कि केपकी नगरपालिकाओंकी तरह ही यहाँकी नगरपालिकाएँ भी अपने दर्शनीय स्थलोंका विज्ञापन करने तथा विश्वके सभी भागोंसे पर्यटक लोगोंको आकृष्ट करनेका कार्य करती हैं। वे अपने शहरोंको खूब सुन्दर सजाकर उनका विज्ञापन करती है; फिर आपका यह नगर तो सौन्दर्यकी दृष्टिसे केपटाउनसे भी बढ़कर है।

जो प्राकृतिक दृश्यावलि लंकामें मैं अपने चारों ओर देख रहा हूँ उसका शायद विश्व-भरमें कोई सानी नहीं है। और मनुष्यके लिए इस सौन्दर्यमें जितनी अभिवृद्धि कर सकना सम्भव है वह यदि आप कर दें तो निःसन्देह आप भी इस सुन्दर स्थानका विज्ञापन कर सकते हैं और संसारके सभी भागोंके लोगोंको आकृष्ट कर सकते हैं और ऐसा करनेमें उनका और आपका, दोनोंका, लाभ होगा।

भगवान बुद्धकी ज्योतिसे दीप्त इस द्वीपमें उन यात्रियोंके सीखनेके लिए काफी कुछ है। आपका एक महान धर्म है जिसकी विश्व-भरमें कोई समता नहीं कर सकता । यह वह धर्म है जो उदात्ततम व्यक्तिको और उदात्त करता है। इसके माननेवालोंकी संख्या संसारमें सबसे अधिक है। लेकिन आपका धर्म आज कोई बहुत अच्छी हालतमें नहीं है। इसका कारण यह है कि आप इसे अच्छा बनानेके लिए कोई प्रयत्न करते। ऐसा करना आपका कर्त्तव्य है।

आपके लिए सबसे अच्छी शुरूआत और क्या हो सकती है कि आप इस सुन्दर स्थानको एक छोटा स्वर्ग बना दें। अभिनन्दनपत्रके लिए मैं आपको फिरसे धन्यवाद देता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

सीलोन डेली न्यूज, १९-११-१९२७

विद गांधीजी इन सीलोन