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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

फूंक देनेकी धमकी दी, लेकिन रुस्तमजीको, जिन्होंने हमें अपने घरमें पनाह दी थी, कोई विचलित नहीं कर सका। तबसे लेकर मेरे साथ अपने आजीवन मैत्रीकालमें उन्होंने मेरी और मेरे आन्दोलनोंकी सहायता की । और १९२१ में तिलक स्वराज्य कोषके लिए दिया गया उनका दान विदेशमें रहनेवाले किसी भारतीय द्वारा दिया गया सबसे बड़ा दान था।

श्री (बादमें सर) रतन टाटाने मुझे दक्षिण आफ्रिकामें सत्याग्रहके दौरान उस समय २५,००० रुपयेका एक चेक भेजा था जिस समय मुझे रुपयेकी अत्यधिक आवश्यकता थी। और दादाभाई नौरोजी ! उनका मेरे ऊपर जो ऋण है उसका मैं कैसे बखान कर सकता हूँ? उन्होंने मुझे ऐसे समय में सहारा दिया जबकि मैं इग्लैंडमें एक अनजान और बेसहारा नवयुवक था । और आज उनकी पौत्रियाँ मेरे खादीके कार्यमें मेरे लिए बहुत बड़ा सहारा हैं ।

मैं चाहता हूँ कि आप अपने पूर्वजोंकी परम्पराको कायम रखें और पश्चिमकी दिखावटी फैशनकी नकल करके उनकी [पूर्वजोंकी] सादगी और मितव्ययिताको न मुलायें । आपका समाज अपनी दानशीलताके लिए संसार-भरमें प्रसिद्ध है और दानशीलताके साथ ऐशोआराम पसन्दगी और फिजूल खर्चीका कोई मेल नहीं बैठता। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि आपने यहाँ अपनी कुछ सादगी और भारतीय तौर-तरीकोंको कायम रखा है। आप अपनी व्यावसायिक योग्यताके लिए जाने जाते हैं और आपके लोग जहाँ कहीं भी गये हैं उन्होंने बहुत धन कमाया है। लेकिन याद रहे कि उन्हें उनके धन-दौलतने नहीं बल्कि उनकी उदार दानशीलताने प्रसिद्ध बनाया है।

उस परम्पराको अटूट बनाये रखने में ईश्वर आपकी सहायता करे ।

[ अंग्रेजीसे ]
विद गांवोजी इन सीलोन

२०२. भाषण : लंकाकीराष्ट्रीय कांग्रेस के कोलम्बो अधिवेशनमें

२२ नवम्बर, १९२७

आपने जिन शब्दोंमें मेरा उल्लेख किया है, उनके लिए और प्राचीन कालमें जब भारत और लंकाके बीच सम्बन्ध स्थापित था, तबकी उस सुखद स्मृतिकी याद दिलानेके लिए भी मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मैं भारतके लिए और आपके लिए, और मैं कहूँ तो समस्त संसारके लिए, उस सम्बन्धके महत्त्व के बारेमें अपना मत प्रकट करनेमें आपका समय नहीं लेना चाहता। मगर इतना मैं कहूँगा कि मेरी रायमें गौतम बुद्धकी शिक्षाएँ कोई नया धर्म नहीं थीं। जहांतक मैं उन उच्च शिक्षाओंका अध्ययन कर सका हूँ, मैं इसी नतीजेपर पहुँचा हूँ, और आज नहीं बल्कि बहुत दिन पहले ही पहुँच चुका था, कि गौतम बुद्ध हिन्दू धर्मके सबसे बड़े सुधारकोंमें से एक थे और वे अपने जमानेके लोगोंपर और भविष्यकी पीढ़ियोंपर उस सुधारकी