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भाषण : लंकाकी राष्ट्रीय कांग्रेसके कोलम्बो अधिवेशन में

इस लक्ष्यसे कोसों दूर हैं। मगर आपकी स्थिति ऐसी है कि आप दौड़में हमसे आगे बढ़ जा सकते हैं और हमारे सामने एक मिसाल पेश कर सकते हैं; आपके लिए यह सरल है, हमारी बनिस्बत बहुत ही अधिक सरल है। मगर इसके लिए एक लाजिमी शर्त है, और वह यह कि आपमेंसे कमसे-कम कुछ लोगोंको तो अवश्य ही इसमें अपना सारा समय देना होगा सिर्फ समय ही नहीं बल्कि अपना सर्वस्व दे देना होगा, आपको आत्मनिग्रह करना होगा ।

जैसा कि गोखले कहते थे, राजनीति तो आज फुर्सतका समय गुजारनेका खेल बन गई है, जब कि उसे कुछ लोगोंका एकमात्र पेशा होना चाहिए; देशके कुछ योग्यतम लोगोंको उसमें तन्मय हो जाना चाहिए। पर कोई आदमी राष्ट्रकी निःस्वार्थ सेवामें तभी जुट सकता है जब उसके अन्दर सत्य, निर्भीकता और अहिंसाके तत्त्वोंकी प्रधानता हो ।

मैं आशा करता हूँ कि आपकी कांग्रेसमें ऐसे स्त्री-पुरुष मौजूद होंगे, स्त्रियाँ भी होंगी, क्योंकि उन्हें पुरुषोंके साथ-साथ चलना ही चाहिए। जैसा कि मैंने हिन्दुस्तानमें कहा है, हमारे एक अंगको लकवा मारे हुए है। स्त्रियोंको पुरुषोंके बराबर उठना है। मैंने आज स्त्रियोंकी एक समामें कहा था कि तुम जंगलीपनमें पुरुषोंकी नकल मत करो, उनमें जितनी अच्छी चीजें हैं, उन सबमें ही उनकी बराबरी करो। तभी आपके इस द्वीपमें बड़ा ही सुन्दर मेल बैठेगा, और प्रकृतिने इतनी उदारतापूर्वक आपको जो दान दिये हैं, आप तभी उनके योग्य बन सकेंगे ।

आज सबेरे कैण्डीसे कोलम्बो आते समय मैं सोच रहा था कि ईश्वरने जिसे नैसर्गिक रूप सुधाका वरदान दिया है उस लंकाको मदिराके उन्मादसे बचानेके लिए कांग्रेस क्या करने जा रही है ? मैं आपके सामने एक विनम्र सुझाव रखता हूँ। अगर कांग्रेसको पूरे तौरपर राष्ट्रीय बनना है तो वह इस मूलभूत सामाजिक समस्याको यों ही नहीं छोड़ सकती । यहाँकी समशीतोष्ण जलवायुमें, जहाँ कृत्रिम मस्तीकी कोई जरूरत नहीं, आपके लिए यह शर्मकी बात है कि आपकी आमदनीका एक काफी बड़ा हिस्सा शराबसे हासिल हो । सम्भव है आप यह न समझते हों कि मजदूरोंका. जिनके आप जैसे रक्षक हैं और जो आपके पक्षमें मत डालकर केवल एक बार अपनी इच्छा व्यक्त कर पाते हैं - इससे क्या बिगड़ रहा है। मैंने हजारों-हजार मजदूरोंको हैटनमें देखा। मुझे तो गन्धकी बिलकुल ही पहचान नहीं रही, मगर एक मित्रने मुझे बतलाया कि उनमें कुछके शरीरसे शराबकी महक आ रही थी। वे तो इसपर होहल्ला मचा रहे थे कि उनका ही कोई साथी शराबके नशेमें पागल हो रहा था । खैर मुझे मालूम है कि इसपर आप क्या कहेंगे । आप यही कहेंगे न कि वह हालत तो अधिक पीनेसे हुई थी मगर संयमित ढंगसे थोड़ी-सी शराब पीनेमें कोई हर्ज नहीं । मैं जानता हूँ कि कई आदमियोंने पहले ऐसा ही दावा किया और वे बादमें बुरी तरह असफल सिद्ध हुए। मैं दक्षिण आफ्रिकाके शहरोंमें रह आया हूँ। मैंने वहाँ शराबके नशेमें चूर हब्शियों, यूरोपीयों और हिन्दुस्तानियोंको नालियोंमें पड़ा पाया है। मैंने शराबके नशेमें उच्चाधिकारियों, वकीलों और बैरिस्टरोंको मोरियोंमें पड़े देखा है और उनकी