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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लाज बचाने के लिए पुलिसके सिपाहियों द्वारा उन्हें उठाकर ले जाते देखा है। मैंने शरावके नशेमें पागल जहाजके कप्तानोंको अपना काम सहायक अधिकारीपर छोड़ जाते देखा है, या अपना कैबिन भ्रष्ट करते देखा है जहां तैनात रहकर उनसे अपने मुसाफिरोंकी सुरक्षा करनेकी अपेक्षा की जाती है। आप हिन्दुस्तानके प्रति अपनी निष्ठाका दम भरते हैं और 'रामायण' की कथासे अपना सम्बन्ध जोड़ते हैं। तब आपको रामराज्यसे कम किसी भी व्यवस्थासे सन्तुष्ट नहीं होना चाहिए और राम- राज्यमें स्वराज्य भी शामिल है। आज जबकि यह अभिशाप इस रमणीक देशके कोने-कोनेमें फैला हुआ है, आपको इस समस्याको हल करनेके लिए पूरे मनोयोग से लग कर देशको सर्वनाशसे बचाना चाहिए ।

एक और भी समस्या है-- अस्पृश्यताकी । आप रोडियोंको[१] अछूत मानते हैं । उनकी स्त्रियोंको अपना वक्षस्थल ढँकनेकी मुमानियत है। अब समय आ गया है कि कांग्रेस रोडियोंका मसला अपने हाथमें ले, उनको अपनाये और कांग्रेसका काम करनेके लिए उनमें से स्वयंसेवक बनाने शुरू कर दे । प्रत्येक जनको जबतक राज्य सत्ताके उपयोगका अधिकार नहीं मिलता तबतक लोकतन्त्र असम्भव है, पर जनताके लोकतन्त्र- को हुल्लड़शाही तो मत बनाइए । स्वराज्य या स्वशासनमें तो हर परयाको, हर मजदूर तकको जो आपको अपनी रोजी पैदा करनेमें सहायता देता है, हाथ बँटानेका अवसर रहेगा । मगर इसके लिए आपको उनके जीवनसे सम्बन्ध जोड़ना पड़ेगा, उनके साथ हेल-मेल पैदा करना होगा, जिन झोपड़ोंमें वे ठसाठस भरे रहते हैं, उनमें जाना होगा, उनकी देख-माल करना आपका कर्तव्य होगा। आप उनका जीवन बना सकते हैं, और बिगाड़ना भी आपके ही हाथमें है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन दोनों सवालोंको हल करनेकी कोशिश कर रही है। हमारे कार्यक्रम में उनका स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और बुनियादी है। अगर आप अपनी कांग्रेसको सचमुच ही राष्ट्रीय बनाना चाहते हैं, अगर आप उसे लंकाके सबसे गरीब और दीन-हीन लोगोंका भी प्रतिनिधि बनाना चाहते हैं तो आपसे मेरा अनुरोध है कि अगर आपने अबतक इन बातोंको अपने कार्यक्रममें न जोड़ा हो तो अब तुरन्त जोड़ लीजिए, अपनी राजनीतिमें धर्मनीतिको पूरी तौरपर शामिल कराइए और इसके बाद सब-कुछ स्वयं ही ठीक होता चला जायेगा । तब स्वराज्य, जो आपका जन्मसिद्ध अधिकार है, फलोंसे लदे वृक्षसे पके हुए फलके समान आपके हाथोंमें आप ही आ टपकेगा । भगवान् करे कि इस सन्देशका आपपर यथोचित प्रभाव पड़े और यह आपके हृदयोंमें गहरा पैठ जाये ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १-१२-१९२७
 
  1. १. कथा चली आ रही है कि राजाकी रसोईके लिए हिरनका मांस भेजनेका काम करनेवाले एक रोडियाने एक दिन उसके स्थानपर मनुष्यका मांस भेज दिया था। इसपर उसकी समूची जातिको बहिष्कृत कर दिया गया था।