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२०३. भाषण : तमिल संघ, कोलम्बोमें

२२ नवम्बर, १९२७

आपने जो अभिनन्दनपत्र दिया है, और मेरे अनुष्ठानके लिए जो थैली दी है, उसके लिए मैं आपका हृदयसे कृतज्ञ हूँ ।

मैं जानता हूँ कि इस सुन्दर देशमें मैं जहाँ-जहाँ भी गया हूँ, तमिल मित्रोंने अपने अभिभूत कर देनेवाले प्रेमसे मुझे घेर लिया है, और मैं जिस उद्देश्यको लेकर यहाँ आया हूँ उसके लिए वे अधिकसे-अधिक जो-कुछ दे सकते थे, दिया है। इसलिए मुझे इसमें कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है कि इस संघके सदस्य, आप लोगोंने अपनी ओरसे मुझे एक अलगसे थैली देनेका निश्चय किया, लेकिन मैं यह भी जानता हूँ कि आपने जो दिया है वह देनेमें आप भलीभाँति सक्षम हैं, और यदि आप मेरे सन्देशका पूरा महत्त्व समझें तो आपने जितना दिया है उससे भी ज्यादा देना आपके लिए सम्भव है ।

महोदय, आपने यह कहकर मुझपर बड़ी कृपा की है कि मैं इस सभाको बताऊँ कि इस समय मैं जो चन्दा इकट्ठा कर रहा हूँ उसका उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है और इस धन-राशिके वितरणसे मैं क्या अपेक्षाएँ रखता हूँ ।

भारतमें एक संघ है जिसका नाम है अखिल भारतीय चरखा संघ । इस संघका अपना संविधान है, और इसके कार्यका संचालन ९ व्यक्तियोंकी एक परिषद करती है जिसका मैं संघके अस्तित्वके प्रथम पाँच वर्षोंके लिए अध्यक्ष हूँ । एक करोड़पति व्यापारी इस संघके कोषाध्यक्ष हैं। उनका नाम सेठ जमनालाल बजाज है। इस समय वह मेरे एवजमें परिषदके अध्यक्षके रूपमें भी काम कर रहे हैं । संघके मंत्री एक धन- वान व्यक्तिके पुत्र हैं जिनका नाम है शंकरलाल बैंकर । परिषदके अन्य सदस्य भी ऐसे ही प्रसिद्ध लोग हैं जो अपने आत्म-त्यागके लिए भी प्रसिद्ध हैं। यह परिषद भारत भरमें अपनी शाखाओंके जरिये काम करती है। सभी हिसाब-किताबकी जाँच समय-समय पर चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट लोगों द्वारा की जाती है।

इस संघके जरिये आज भारत भरमें १,५०० से ऊपर गाँवोंकी सेवा की जा रही है। और इन गाँवों कमसे-कम ५०,००० कतैयोंको, जो हिन्दू हैं, मुसलमान हैं, और कुछ तो ईसाई तथा अन्य लोग भी हैं, चरखेके जरिये काम उपलब्ध करवाया जा रहा है। जबकि चरखेके आविर्भावसे पहले इन लोगोंके पास सालमें चार महीने कोई काम करनेको नहीं था, अब चरखेके आविर्भावके बादसे वे चरखा चलाकर प्रतिदिन एकसे दो आने तक कमा लेते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा धन तमिलनाडु में खर्च होता है क्योंकि सबसे ज्यादा बड़ी संख्यामें कतैये तमिलनाडुके उन जिलोंमें पाये जाते हैं जहाँ लगभग सदा अकालकी स्थिति बनी रहती है। अकसर औरतें कई मील पैदल चलकर रुई या पूनियाँ लेने तथा सूत देने और अजित किया पैसा प्राप्त करने आती हैं।