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७. तार : जमनालाल बजाजको

त्रिचनापल्ली
२० [ सितम्बर, १९२७]

[१]

जमनालाल सेठ

मार्फत रामनारायण

मंगलदास रोड, पूना

अगर मीराबहन वहीं हो तो उससे कहें कि वह जल्दबाजी न करे। में बिलकुल ठीक हूँ । प्रायः ईश्वरकी वाणी और हमारे भयकी प्रतिध्वनियाँ एक जैसी प्रतीत होती हैं। गर्मीमें इस पैदल यात्रा के दौरान उसके नाजुक स्वास्थ्यको देखते उसका यहाँ होना बाधक होगा। मेरी चेतावनीके बावजूद यदि वह आना चाहे तो उसका स्वागत है ।

बापू

[ अंग्रेजीसे ]
पाँचवें पुत्रको बापूके आशीर्वाद

८. भेंट : एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाके प्रतिनिधिसे

त्रिचनापल्ली
[२० सितम्बर, १९२७]

[२]

मैंने देखा है कि त्रिचनापल्लीमें दिये गये मेरे पहले भाषणको[३] बाहर गलत समझा गया है और मित्रोंमें चिन्ता पैदा हो गई है। मैं अपने मित्रोंको यकीन दिलाना चाहता हूँ कि इसमें घबरानेकी कोई बात नहीं है। मेरे इस कथनका कि मुझमें अब और शक्ति नहीं रह गई है सन्दर्भ स्थानीय था और इसीलिए त्रिचना- पल्ली में इसको भली प्रकार समझ लिया गया था। मेरे कहनेका तात्पर्य यह था कि अबतक में अपनी शक्तिकी सीमातक कार्यक्रमोंमें भाग लेता रहा हूँ तथा त्रिचना- पल्लीके अधिक व्यस्त कार्यक्रमको निपटाना मेरे लिए सुविधाजनक न होगा । त्रिचना- पल्लीमें मित्रोंको तथा उन स्थानोंकी कमेटियोंको जहाँ मुझे अभी पहुँचना था यह एक चेतावनी थी कि वे एक ही प्रकारके बहुत से कार्यक्रम न रखें। अपने हृदयको क्षमताका खयाल रखते हुए मैं एक दिन में अधिक से अधिक एक सभामें ही भाग ले

  1. १. इस दिन गांधीजी त्रिचनापल्ली में थे।
  2. २. भेंटकी रिपोर्ट प्रेसको इसी दिन भेजी गई थी।
  3. ३. देखिए “ भाषण : त्रिचनापल्ली नगरपालिकाके अभिनन्दनपत्रके उत्तरमें", १७-९-१९२७ ।