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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जब मैं कोलम्बोमें था, उस समय मुझे जो पुस्तक भेजी गई थी और उसके बादसे जो साहित्य मुझे सुलभ कराया गया है, उससे आपकी प्रवृत्तियोंके बारेमें इतना तो जान ही गया हूँ कि कह सकूँ कि सफल ग्राम-संगठनके लिए आवश्यक सारे उपादान आपके पास हैं। आपका समाज छोटा और काफी सुगठित है। इस समाजके सभी लोग एक ही भाषा बोलते हैं और स्पष्टतः आपके यहाँ सुव्यवस्थित शिक्षा-संस्थाएँ हैं। जाहिर है कि आपने प्राचीन सभ्यतामें जो कुछ अच्छा और उदात्त था, उसके प्रति अपना प्रेम अभीतक खोया नहीं है। स्पष्ट ही, पाश्चात्य सभ्यताकी चमक-दमकसे अभी आपकी आँखें चौंधिया नहीं गई है। इसलिए, आपके लिए अपने भाग्यका निर्माण स्वयं करना बहुत आसान है ।

यह जानकर मुझे अत्यन्त हर्ष हुआ है कि अब आपके यहाँ पूर्ण मद्यनिषेध लगभग सम्पन्न होनेको है। अभिशाप रूप शराबखानोंको बन्द करना सही दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है। आप न केवल यहाँके लोगोंकी हार्दिक बधाई के पात्र हैं, न केवल लंकाकी जनताकी बधाईके पात्र हैं, बल्कि अपनी मातृभूमिके लोगोंकी भी हार्दिक बधाई के पात्र हैं। मुझे इस बात से और भी खुशी होती है कि आपने बिलकुल निकट भविष्यमें पूर्ण मद्यनिषेध सम्पन्न करनेका वचन दिया है, लेकिन मुझे मालूम हुआ है कि आपके रास्ते में कुछ आन्तरिक कठिनाइयाँ हैं ।

एक भाईने मुझे पत्र लिखते हुए साथमें एक पर्चा भेजा है, जिसका उद्देश्य स्पष्टतः मद्यनिषेधके लिए काम कर रहे लोगोंकी प्रवृत्तियोंका प्रतिकार करना है। मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि वह पर्चा बहुत सुन्दर ढंपसे लिखा हुआ है और उसे ऊपर- ऊपरसे पढ़नेपर तो ऐसा लगता है कि कतिपय धर्मतत्त्वज्ञ भी मद्यपानके पक्षमें रहे हैं। यह देखकर मुझे बड़ा दुःख हुआ है और साथ ही आश्चर्य भी। दुखके साथ कहना पड़ता है कि पर्चेके लेखकने अपनी परिहास-प्रियता और सयानापन दिखानेकी उत्कंठा में उन लोगोंकी भावनाको चोट पहुँचानेमें भी कोई संकोच नहीं किया है, जिनके उद्देश्यका उसने विरोध किया है। उसने केलेके सुन्दर पत्तोंपर बड़े ही सुरुचिपूर्ण और सादे ढंगसे चावल और दही परोसकर खानेवालोंकी हँसी उड़ानेमें भी कोई संकोच नहीं दिखाया है और न उन लोगोंके सादे जीवनका ही मजाक उड़ानेमें उसे कोई हिचक हुई है, जो तन ढँकनेके लिए सिर्फ एक धोती ही काफी समझते हैं। उसने ऐसे लोगोंको अर्ध-नग्न कहा है। कहाँ तो मद्यनिषेध-जैसा गम्भीर विषय और कहाँ लेखक द्वारा यदि वह भारतीय हो तो अपने ही देशभाइयोंकी सादगीका इस तरह हलके मनसे मजाक उड़ाना ? उसके प्रति न्याय करनेकी अपनी पूरी कोशिशके बावजूद मुझे इन दो बातोंमें कोई संगति नहीं दिखाई दी।

लेकिन चाहे आपके सामने आन्तरिक कठिनाइयाँ हों या बाहरी, मैं तो यही उम्मीद करता हूँ कि आप पूर्ण मद्यनिषेध सम्पन्न करनेके लिए अविरत प्रयत्न करते रहेंगे।

चूंकि मैं बराबर आलोचकोंकी सही बातको स्वीकार करने और उनसे जो सीखने लायक है उसे सीखने में विश्वास रखता हूँ; इसलिए इस पर्चेपर से मैं आपको दो सुझाव देना चाहूँगा। उनमें से एक यह है कि जोर-जबरदस्ती या असत्यकी छाया-