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२३६. अमेरिकासे सहायता

लगातार यात्राके कारण मैं इससे पहले रेवरैंड जॉन हेन्स होम्सके[१] निम्नलिखित पत्रको प्रकाशित नहीं कर सका :

जो विनाशकारी बाढ़ अगस्तमें आपके देशमें आई थी, उसकी खबरसुनते ही मैंने'यूनिटी'में तुरन्त उसकी कहानी छाप दी थी आगेअब हमने प्रोफेसर हैरी वार्डके सहयोगसे एक कोषके लिए, जिसकानामहमने "गांधी सहायता कोष " रखा है, धन संग्रह करनेके खयाल सेजनताके नाम एक अपील छापी है। अपनी इस अपीलको हम विभिन्न धार्मिक समाचारपत्रों तथा उदारवादी पत्रिकाओंमें छाप रहे हैं और मुझे कुछ अच्छे परिणामकी आशा है ।

इसी बीच 'यूनिटी'ने अपना एक अलग कोष खोल लिया है,और इसमें से में आपको प्राथमिक भेंटके रूपमें मनीऑर्डर द्वारा १०० डालर भेज रहा हूँ। दूसरी सहायता हम प्राप्त होते ही भेजेंगे

इस भारी विपत्तिके लिए,जिसने आपको तथा आपके देश कोजनता को संकट में डाल दिया है, क्या में अपनी हार्दिक सहानुभूति प्रकट कर सकता हूँ ? अहमदाबाद किस कदर विपत्तिम फँस गया है तथा आश्रम संकटसे घिर गया है, इसकी खबरसे में अत्यन्त दुखी हो गया हूँ। अगर आप और कोई सूचना भेज सकें तो आगे धन संग्रह करनेमें यह बहुत सहायक हो सकती है।

मुझे इस बातका निश्चय है कि पाठक अमेरिकासे प्राप्त धनको मात्रापर नहीं जायेंगे । शायद हमें यह अधिकार नहीं है कि अपनी स्थानीय कठिनाइयों जैसे गुजरातमें आई हालकी बाढ़ में दूर देशोंसे किसीकी सहायताकी अपेक्षा करें । इसलिए इस अयाचित और अप्रत्याशित अमेरिकी सहायताके पीछे जो नीयत है वह महत्त्वपूर्ण है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १-१२-१९२७
 
  1. १. माई गांधीके लेखक तथा अमेरिकाके एक पादरी। ३५-२४