पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/४४७

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२८७. पत्र : विश्वम्भर सहायको

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
२१ दिसम्बर, १९२७

प्रिय मित्र,

मुझे दुःख है कि आपका पत्र आज ही मेरे हाथमें आया । अगर मेरी याद- दाश्त ठीक है तो मैंने अपनी 'गाइड टु हेल्थ'[१] को हिन्दी या उर्दूमें प्रकाशित करने का एकाधिकार किसीको नहीं दिया है। मुझे मालूम है कि बहुतसे लोगोंने उस पुस्तक का अनुवाद भारत और यूरोप, दोनों जगह प्रकाशित किया है। आपको मेसर्स एन० डी० सहगल ऐंड सन्स, लाहौरसे मेरा अनुमतिपत्र दिखानेको कहना चाहिए, और यदि ऐसा कोई अनुमतिपत्र आपको दिखाया जाये तो कृपया उसकी एक प्रति पुष्टिके लिए मुझे भेजिए ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत विश्वम्भर सहाय

प्रेम साहित्य भण्डार

मेरठ
अंग्रेजी (एस० एन० १२६५४) की माइक्रोफिल्मसे ।

२८८. पत्र : देवीचन्दको

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
२१ दिसम्बर, १९२७

प्रिय मित्र,

मुझे दुख है कि आपके पत्रका पहले उत्तर न दे सका । आपकी पृच्छा बिलकुल उचित है। जबतक में विश्वासभंग न करूँ तबतक मैं खादीके लिए जो धन एकत्र करता हूँ या जो धन उस निमित्त भेजा जाता है उसे खादीपर ही खर्च किया जाना चाहिए। लेकिन मैं अस्पृश्योंके लिए जरूर धन एकत्र करता हूँ और मुझे मिलता भी रहता है, जो केवल उनके उत्थानपर ही खर्च किया जाता है। मैं विभिन्न

  1. १. आरोग्यके सम्बन्ध में सामान्य ज्ञान; देखिए खण्ड ११ और १२ ।