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अवैध स्वतन्त्रता लेना

है, इसलिए कि उसकी जनसंख्या अत्यन्त विशाल, उसकी भौगोलिक परिस्थिति इसके उपयुक्त और युग-युगकी विरासत में मिली उसकी संस्कृति अत्यन्त उच्च है। मैं जानता हूँ मैं एक बहुत बड़ी बात कह रहा हूँ। स्वयं हीनावस्था में पड़े भारतवर्ष के लिए यह आशा करना कि वह संसारको हिला देगा, निर्बल जातियोंकी रक्षा करेगा, धृष्टतापूर्ण लग सकता है। मगर स्वतन्त्रताकी इस पुकारके प्रति अपने घोर विरोधको स्पष्ट करते हुए मुझे अपना आदर्श आपके सामने अब रखना ही पड़ेगा। मेरी यह महत्वाकांक्षा ऐसी है जिसे पूरी करने के लिए जीना और प्राणोंकी बलि देना भी उचित होगा। मैं नतीजोंके डरसे कभी सर्वोत्तमसे जरा भी निचले स्तरकी किसी स्थितिको स्वीकार नहीं कर सकता। मैं स्वतन्त्रताको अपना ध्येय बनानेका विरोध इसलिए ही नहीं कर रहा हूँ कि समय इसके अनुकूल नहीं है। मैं चाहता हूँ कि भारतवर्ष पूरी गरिमाके साथ अपने पैरोंपर खड़ा हो, और उस स्थितिका निरूपण 'स्वराज्य' शब्दसे अधिक अच्छी तरह अन्य किसी भी एक शब्दसे नहीं हो सकता। 'स्वराज्य' में कैसा और कितना सार-तत्व होगा यह इस बात से निर्धारित होगा कि राष्ट्र किसी अवसर विशेषपर कितना क्या कर पाता है। भारतके अपने पैरों खड़े होनेका अर्थ होगा कि प्रत्येक राष्ट्र अपने पैरों खड़ा होने लगेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १२-१-१९२८

३४७. अवैध स्वतन्त्रता लेना

एक सिन्धी मित्र लिखते हैं :

मैं इसके साथ कराचीके 'सिन्ध ऑब्जर्वर' की एक कतरन भेज रहा हूँ जिसमें आप देखेंगे कि अन्य लोगोंके साथ आपके नामका भी इस विज्ञापनकी उन दवाओंके समर्थकोंके रूपमें उपयोग किया गया है जिन्हें लोकप्रिय बनाने और बेचनके लिए इसे प्रकाशित किया गया है।
मुझे विश्वास नहीं होता कि सम्बन्धित फार्मेसीकी इन दवाओं, मिक्स्चरों, गोलियों और मरहमोंकी सराहनामें आपने कुछ कहा या लिखा होगा।
मैं आशा करता हूँ कि 'यंग इंडिया' में आप इस विषयमें लिखेंगे।

मैंने भी यह विज्ञापन देखा है। यह मेरे नामका, और मुझे सन्देह नहीं है कि अन्य नेताओंके नामका भी गैरकानूनी इस्तेमाल है। अपनी बेहूदा चीजोंके लिए बाजार तैयार करनेके लिए ये फार्मेसियाँ जो छूट लेती हैं वह विचित्र है। मेरी राय में बिना अनुमति लिए किसी व्यक्ति के नामका इस्तेमाल करना गैरकानूनी हरकत है जो कानूनके अनुसार दण्डनीय है। चूंकि एक असहयोगीके नाते मैं कानूनका संरक्षण नहीं ले सकता, इसलिए मुझे इतनेसे ही सन्तोष करना पड़ेगा कि किसी भी दवाके विषयमें मेरे नामके उपयोगसे जनता धोखे में न पड़े। सामान्य रूपसे दवाओंमें मेरा अविश्वास पहले