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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस नीति के अनुसार दुनिया उन्हें माफ कर देगी किन्तु तुम्हें वह माफ नहीं करेगी। दूसरोंमें तुम्हारी अपेक्षा अनेक-गुने दोष हों तो भी उनकी ओर ध्यान मत देना और अपने दोष दूर करनेका प्रयत्न करना।

[गुजराती से]
नवजीवन, २९-१-१९२८

३७६. भाषण : मोरबीमें[१]

[२४ जनवरी, १९२८][२]

महाराजा साहब, राज्यकी प्रजा और मोढ़ जातिने मेरा और मेरे साथियोंका जो स्वागत किया और मानपत्र दिया, उसके लिए मैं सबका हृदयसे आभार मानता हूँ। मोढ़[३] भाइयोंसे मुझे इतना कहना चाहिए कि आपसे मानपत्र लेनेका मुझे कुछ भी हक नहीं। मैं सपने में भी खयाल नहीं कर सकता कि मैं मोढ़ जातिकी एक जातिके तौरपर कोई भी सेवा कर सका हूँ। कितने ही भाई ऐसा माननेवाले भी हैं कि मैंने मोढ़ जातिको नुकसान भले पहुँचाया हो, पर सेवा कभी नहीं की। घड़ी भरके लिए यह इल्जाम मान भी लूँ, तो भी यह मानपत्र आपकी उदारता जाहिर करता है। पर मुझे इतनी-सी उदारता से सन्तोष नहीं होता। क्योंकि यह उदारताकी निशानी है; तो भी यह मानपत्र लेनेवाले और देनेवालोंमें एक खानगी समझौता यह रहता है कि मानपत्र लेनेवाला जो काम कर रहा है उसके लिए देनेवालोंका आशीर्वाद और सम्मति है, वैसा कोई समझौता हमारे बीच नहीं है। मुझे इसलिए भी मानपत्र लेनेमें संकोच होता है।

आपकी इस छोटी-सी जातिके बारेमें मेरा इतना कहना कुछ मर्म रखता है; मैं यह माननेवाला रहा हूँ कि इन छोटे-छोटे बाड़ोंका नाश करना ही चाहिए। मुझे इस बारे में शक नहीं कि हिन्दू धर्मके भीतर जातियोंके लिए जगह नहीं है। और यह मैं मोढ़ या दूसरी जो भी जातियाँ यहाँ हों उन्हें ध्यान में रखकर कहता हूँ। सच्चे शास्त्रोंमें जातिके बारेमें कोई भी आधार नहीं है। आधार सिर्फ चार वर्णोंके लिए है। भगवानने केवल चार वर्णोंकी ही रचना की है। वर्ण-धर्ममें जातिकी गन्धतक नहीं है। आप सबसे मोढ़ जातिके निमित्त मैं यह कहना चाहता हूँ कि जातिके बाड़ोंको भूल जाइये। आज जो जातियाँ हैं उनका आहुतियोंके रूपमें उपयोग कीजिये और नई न बनने दीजिये। इन जातियोंका यज्ञ कीजिये और इनमें कोई संयमकी बात हो तो उसका पालन कीजिये। आप इन छोटे बाड़ोंके खड्डोंमें पड़े रहेंगे तो बदबू उठेगी। डाक्टर खड्डेभर देनेकी सलाह देते हैं। जिस तरह उनमें से बदबू उठती है, मच्छर पैदा होते हैं, और वे घातक साबित होते हैं, उसी तरह यह समझ लीजिये

  1. सौराष्ट्रकी एक रियासत।
  2. रामदास गांधीके विवाहके उल्लेखसे जो २७ जनवरीको हुआ था। देखिए पृष्ठ ५०७।
  3. गांधीजी बनियोंकी इस उप-जातिके थे।