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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है। मुझे ऐसी आशंका है कि आपको शायद इस बातका भान नहीं है कि खादीका यह सन्देश मुख्यतः उन लाखों क्षुधात बहनोंकी दशा सुधारनेका प्रयत्न है जो भारतके हजारों गाँवोंमें रहती हैं। स्त्री-पुरुषके जीवनमें समान रूपसे जबर्दस्त महत्त्व रखनेवाली अनेक बातोंकी तरफसे आपको भारतकी महिलाओंको अन्धेरेमें रखनेके लिए भारतके पुरुषोंको कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी, मैं नहीं कह सकता। लेकिन ईश्वरको धन्यवाद है कि चरखेका पुनरुद्धार करनेका आन्दोलन शुरू होनेके बादसे हजारों स्त्रियाँ अपने घरकी चहारदीवारियोंसे बाहर निकलकर चरखेका संगीत सुनने लगी हैं। और मुझे यह सोचकर खुशी होगी कि आप चेट्टिनाडकी स्त्रियोंने अपने मकानों और महलोंकी देहरीसे बाहरकी चीजोंकी चिन्ता करना शुरू कर दिया है। मैं चाहता हूँ कि आप अपनी लाखों बहनोंकी गहरी और कष्टकर गरीबीको समझें, और अपने आदमियोंसे अलहदा अपनी चीजें, अपने रुपये और अपने गहने इन बहनोंके वास्ते दें। मुझे आपको यह बता सकने में खुशी होती है कि जहाँतक इस सन्देशका सवाल है, भारतकी स्त्रियोंमें स्वतःस्फूर्त अनुकूल प्रतिक्रिया हुई है और उन्होंने खुशी-खुशी अपने रुपये और गहने दे डाले हैं, और कुछने तो मुक्तहस्तसे दिया है। लेकिन अपना रुपया या गहना मुझे देना ही आपके लिए काफी नहीं है। यदि आप अपने और अपनी क्षुधातं बहनोंके बीच जीवन्त सम्बन्ध स्थापित करना चाहती हैं तो यह अत्यन्त जरूरी है कि आप विदेशी कपड़ेका त्याग कर दें और हमेशा खादीकी पोशाक ही पहनें। कारण, यदि आप इन बहनोंके परिश्रमसे तैयार हुई खादी नहीं पहनेंगी तो आप जो भी धन दें, वह व्यर्थ होगा।

एक शील-गुण-सम्पन्न स्त्रीका सौन्दर्य उसके सुन्दर वस्त्रोंमें नहीं, बल्कि उसके शुद्ध हृदय और पवित्र जीवनमें है। भारत-भरमें लाखों स्त्री-पुरुष प्रातःकाल सीताका पवित्र और अमर नाम-स्मरण करते हैं ताकि वह नाम कवचकी तरह अपनी रक्षा- शक्तिसे दिन-भर उन लोगोंकी रक्षा करे। सीताका नाम वे इसलिए स्मरण नहीं करते कि सीता बहुमूल्य रत्न पहनती थीं, बल्कि इसलिए कि उनका हृदय शुद्ध स्वर्ण और शुद्ध होरेकी तरह था । रामको वनवास मिलनेपर सीता महलोंमें नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने वनवासके तमाम घटनापूर्ण वर्षोंमें रामके साथ रहनेका आग्रह किया। जिन निषादोंको आज हम अपने अज्ञानवश अस्पृश्य समझते हैं, उन्हें सीताने गले लगाया था और भक्ति- भावसे अर्पित उनकी सेवाओंको कृतज्ञ मनसे स्वीकार किया था । और मैं चाहता हूँ कि आप सीताके गुणोंको, सीताकी विनम्रताको, सीताकी सादगीको और सीताकी वीरताको अपनायें। आपको समझना चाहिए कि अपने शीलकी रक्षाके लिए सीताको अपने स्वामी और प्रभु रामकी सहायताकी आवश्यकता नहीं पड़ी थी । सीता और रामके जीवनका इतिहास लिखनेवाला हमें बताता है कि सीताकी पवित्रता ही उनका रक्षा-कवच, उनकी सुरक्षा थी । और अगर आप अपने हृदयमें छिपी शक्तिको पहचान लें तो आप अपनी पवित्रता, प्रेम और आत्म-त्यागकी भावनासे अपने पुरुषोंके दर्पीले स्वभावपर काबू पा सकती हैं, और वे लज्जित होकर बुराई और व्यभिचारकी जिन्दगीको छोड़ सकते हैं। मैं चाहता हूँ कि आप अपने अन्दर अपने