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पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/१०४

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अहिंसा रहेगा जिस तरह अतीत कालमें बुहता रहा है। ऐसी स्थिति काँग्रेस क्या भाव-भंगी, क्या रुख अख्तियार कर सकती है ? उसके वश यो सबसे ऊंची भाय-संगी थी उसे वह अब भी ग्रहण किये हुए है। वह देशमें कोई फिसाब खड़ा नहीं करती है । खुद अपनी ही नीतिके कारण वह इससे बच रही है । मैं कह चुका हूँ और फिर दुहराता हूँ कि मै हटवश मिटनको तंग करने के लिए कोई काम नहीं करूंगा। ऐसा करना सत्याग्रहकी मेरी धारणाके प्रतिकूल होगा। इसके आगे जाना काँग्रेसको तापात के बाहर है। निस्सन्देह, काँग्रेसका फर्ज है कि स्वतंत्रताको अपनी मांगका अनुसरण करे और अपनी शक्तिको पूरी सीमातक सत्याग्रहकी तैयारी मारी रक्खे। इस तैयारीको खासियतका गान करना चाहिए। खादी ग्रामोद्योगों और साम्प्रदायिक एकताको बढ़ाना, अस्पृश्यलाका निवारण, मादक-अध्य-निषेध तथा इस उद्देश्यसे काँग्रेस सदस्य बनाना और उनको गिग छैना या इस तैयारी को मुल्तवी कर देना चाहिए? मै तो कहूंगा कि अगर कांग्रेस सबमुन्न अहिंसात्मक बन गई और अहिंसाको नीतिक पालनमें उसने ऊपर बताए हुए रचनात्मक कार्यक्रमको सफलतापूर्वक नियाह लिया, तो निस्सन्देह वाह स्वतंत्रता प्राप्त कर सकेगी। तभी हिन्दुस्तामफे लिए अवसर होगा कि वह एक स्वतंत्र राष्ट्रको हैसियतसे यह फैसला करे कि उसे बिटमको कौनसी भवन किस तरह बेनी चाहिए। जलासक मित्र राष्ट्रोंका हेतु संसारके लिए शुभ है वहातक उसमें कांग्रेसको बैन यह है कि वह अहिंसा और सत्यका अमली तौरपर पालन कर रही है और बिना कमी व विलंब किये पूर्ण स्वतंत्रताके अपने ध्येयका अनुसरण कर रही है। 'कापसको स्थितिकी परीक्षा करने और उसकी न्याव्यताको स्वीकार करनेसे आग्रहपूर्वक इनकार करके और गलत सवाल खड़े करके ब्रिटेन असलम खुब अपने ही हेतुको नुकसान पहुंचा रहा है। मैंने जिस तरहकी विधान परिषदका प्रस्ताव किया है उसमें एफके अलावा और सब विक्कतें हल हो जाती है बशर्ते कि इस एकको भी दिक्कत मान लिया जाय इस परिषद हिन्दुस्तानके भाग्यनिर्णय बिटिया-हस्तक्षेपके लिए अलमसा कोई गुंजाइश नहीं है। अगर इसे एक दिक्कतको शकलमें पेश किया जाय, तो कांग्रेसको तबतक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी शमतक यह न मान लिया जाय कि यह न सिर्फ कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि यह कि आत्म-निर्णय हिन्दु- स्तानका नियिवार अधिकार है। अच्छा होगा कि इस बारेमें एक में एक बहाना खड़ा करके सत्याग्रहकी घोषणा करने में मेरी भनिन्छाका बोषारोपण करते हुएजो पन मुझे मिले हैं उनका भी णिक मैं कर इन मिनोको मान लेना चाहिए कि अहिंसा-अस्त्रके सफल प्रदर्शन के लिए में उनसे ज्यादा चिन्तित हूँ। इस शोषके अनुगमनमें में ऐसा लगा हूँ कि अपनेको एक पलका विधान नहीं दे रहा हूँ। निरंतर में प्रकाशके लिए प्रार्थना कर रहा हूँ, लेकिन नाही वाक्क कारण मैं सत्याग्रह छेड़ने में जल्दबाजी नहीं कर सकता नक से, जैसे कि बाहरी दबावके कारण मैं उसको छोड़ नहीं सकता। मैं जानता हूँ कि यह मेरी सबसे बड़ी कसौटीकी पड़ी है। मह वर्शाने के लिए मेरे पास