पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१७३

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Pada 4] Pilgrimage ११५ (४) अनुवाद. अपने घट में दीपक जलाओ । नाम का तेल डालकर सुरति की वत्ती को ब्रम्ह रूप अग्रि से उद्दीपित करो । मन्दिर में जगमग ज्योति देख कर, उस पर अपना तन, मन और धन सब निछावर कर दो । जगत की आशा को झूठी जान कर बार बार उसका विस्मरण करो । कवीर कहते हैं कि हे साधो, अपना काम अच्छी तरह से सम्पूर्ण करो ।