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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यहाँके स्कूली विद्यार्थियोंसे दो थैलियाँ पाकर मुझे बड़ी खुशी हुई है। राजा हाई स्कूलके विद्यार्थियोंने अपने मानपत्रमें इस बातके लिए क्षमा माँगी है कि वे थैलीके लिए कम राशि जमा कर पाये । लंकामें कुछ विद्यार्थियोंने तो हर स्कूल पीछे एक हजार तककी थैली भी दी है, जैसा कि रामनाथन गर्ल्स कालेजने कल किया था। विद्यार्थियोंकी ओरसे दी गई थैलियाँ यदि राशियोंके हिसाबसे देखी जायें, तो काफी छोटी ही रहती हैं। परन्तु मैं थैलियोंको उनकी राशियों के हिसाबसे छोटी या बड़ी नहीं मानता। बहनों द्वारा भेंट की गई जिस थैलीका मैंने उल्लेख किया है, यदि विद्यार्थियोंकी थैलियाँ भी उसी तरहकी हों, उन्होंने अपनी सारी बचत थैलीमें दे दी हो, तो फिर थैली छोटी होनेके लिए क्षमा माँगनेकी कोई जरूरत ही नहीं। पर यदि विद्यार्थियोंने चन्दा देनेमें कोई कंजूसी की है, तो उनको इसपर फिरसे विचार करना चाहिए, और यथाशक्ति अधिकसे-अधिक देना चाहिए। विद्या- थियोंके मानपत्रमें किये गये इस वायदेसे मुझे बड़ी खुशी हुई है कि आगे से वे अधिकसे-अधिक खादी ही खरीदेंगे । ऐसा वायदा कर देने के बाद, उनको उसे अच्छेसे- अच्छे तरीकेसे निभाना चाहिए। विद्यार्थियोंको यह भलीभाँति समझ लेना चाहिए कि देशका भविष्य उनके ही हाथोंमें है। और यदि विद्यार्थी लोग अपना चरित्र उन्नत नहीं बनायेंगे, यदि वे विचारोंकी पवित्रता और इससे भी अधिक हृदयोंकी पवित्रता अपने अन्दर पैदा नहीं करेंगे और अपने वायदोंके प्रति सच्चे नहीं रहेंगे तो देशका भविष्य बिलकुल भी आशापूर्ण नहीं रह जायेगा । विद्यार्थियोंको यह भलीभाँति महसूस कर लेना चाहिए कि चारित्रिक दृढ़ताके बिना सारा किताबी ज्ञान एकदम निरर्थक हो जाता है ।

अब मैं दो बातें शेष श्रोताओंसे कहना चाहता हूँ। शराबखोरीकी लत जिनको हो, उनको शराबखोरी बिलकुल छोड़ देनी चाहिए और इस देशमें पूर्ण मद्य-निषेधके लिए सभीको प्रयत्नशील होना चाहिए। और अब समय आ गया है कि हम सब लोग बिलकुल भुला दें कि इस देशमें अस्पृश्यता-जैसा कोई कलंक कभी था भी। मैं आपको बतलाता हूँ कि मैं यह देखकर बड़ा लज्जित हुआ कि हमारे पड़ोसी लंकाको भी यह छूत लग गई है। हम अगर सचमुच स्वराज्य चाहते हैं तो हमें यह बात बिलकुल ही भूल जानी चाहिए कि हमारे समाजमें चन्द लोग अन्य लोगोंकी अपेक्षा बड़े या श्रेष्ठ हैं।

आपने मुझे फ्रेममें जड़ा हुआ मानपत्र भेंट किया है। आप जानते ही हैं कि मैं ऐसी चीजोंको बेचकर देशके मुक निर्धन लोगोंके लिए अधिकसे-अधिक धन जमा करनेसे अपनेको नहीं रोक पाता। अपने आपको भुखमरीसे पीड़ित करोड़ों लोगोंका प्रतिनिधि बतलानेवाले व्यक्तिके लिए ऐसे कीमती उपहार रखना बिलकुल शोभा नहीं देता । उसे तो यही शोभा देता है कि ऐसे उपहारोंको धनके रूपमें बदल ले और उस धनको अपने स्व-निर्धारित लक्ष्यके लिए उपयोग में ले ।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, २-१२-१९२७