अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/अरब

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अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश  (1943) 
द्वारा रामनारायण यादवेंदु

[ २८ ] अरब--अरब जाति की कुल सख्या ५ करोड़ है। १ करोड़ अरब, अरब देश मे है, ४० लाख अरब शाम मे, ३५ लाख इराक मे, १० लाख फिलिस्तीन मे, १ करोड़ ४० लाख मिस्र मे, ७ लाख लीबिया में, २३ लाख ट्यू निशिया मे, ६० लाख अलजीरिया और ७० लाख मरक्को मे हैं। सिर्फ अरब देश के अधिवासी सभी अरब सामी(Semitic) नस्ल के हैं, दूसरे देशो के अरब वर्णसकर है। अरबो मे राष्ट्रीयता की भावना सबसे प्रथम सन् १८४७ मे शाम(सीरिया) मे उदय हुई। अरबों की स्वाधीनता का संघर्ष पहले-पहल तुर्की के विरूद्ध शुरू हुआ, क्योंकि अधिकांश अरब देशों पर उसका ही प्रभुत्व था।

सन १९१४-१८ के विश्वयुद्ध मे अरबों ने तुर्की के विरूद्ध ब्रिटेन का साथ दिया। अँगरेजो ने अरबों को स्वाधीनता देने की प्रतिज्ञा की थी। अक्टूबर सन् १९१५ में मक्का शरीफ मे अमीर हुसैन ने अँगरेजी राजदूत सर हैनरी मेकमाहाने के साथ समझौते की वार्त्ता की और अरबों की स्वाधीनता की माँग प्रस्तुत की। वह अरब-देश, शाम(सीरिया)और मेसोपोटा-
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मिया में अरबो की स्वाधीनता चाहता था। सर हेनरी ने लिखा कि ब्रिटेन मक्का के शरीफ की उपर्युक्त मॉग को स्वीकार करने के लिए तैयार था परन्तु पश्चिम मे दमिश्क, होम्स, हामा और यलेप्पो को वह अपने संरक्षण मे रखना चाहता था। युद्ध के बाद कोई सयुक्त स्वाधीन अरब राज्य नही स्थापित किया गया, जैसा कि युद्ध से पूर्व वादा किया गया था। इससे अरबो में असन्तोष फैल गया। संयुक्त अरब राज्य के स्थान पर छोटे-छोटे परतत्र राज्य ईराक़, फिलिस्तीन, ट्रान्सजोर्डेनिया, सीरिया बना दिये गए। इन पर अँगरेज़ो और फ़्रासीसियो का आधिपत्य क़ायम होगया। केवल हेजाज़ प्रदेश ही स्वतंत्र रह सका। इस प्रकार

अरबो का राष्ट्रीय आन्दोलन, युद्ध के बाद, ब्रिटेन और फ्रान्स के विरुद्ध होने लगा। अरब देश में बड़े उपद्रव हुए। फिलिस्तीन में यहूदी-अरब-संघर्ष ख़ूब हुआ। सन् १९३२ में ईराक़ को स्वतंत्रता देदी गई। शाम को भी सन् १९३६ में स्वतंत्रता दी गई। परन्तु फ्रान्स ने अभी तक इस देश से अपनी फौज़े वापस नही बुलायी हैं।