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हिंदी में कुल ५,७९२ पाठ हैं।
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जुलाई की निर्वाचित पुस्तक
"हम साहित्यकारों में कर्मशक्ति का अभाव है। यह एक कड़वी सचाई है; पर हम उसकी ओर से आँखें नहीं बन्द कर सकते। अभी तक हमने साहित्य का जो आदर्श अपने सामने रखा था, उसके लिए कर्म की आवश्यकता न थी। कर्माभाव ही उसका गुण था; क्योंकि अक्सर कर्म अपने साथ पक्षपात और संकीर्णता को भी लाता है। अगर कोई आदमी धार्मिक होकर अपनी धार्मिकता पर गर्व करे, तो इससे कहीं अच्छा है कि वह धार्मिक न होकर 'खाओ-पिओ मौज करो' का क़ायल हो। ऐसा स्वच्छन्दाचारी तो ईश्वर की दया का अधिकारी हो भी सकता है; पर धार्मिकता का अभिमान रखने वाले के लिए इसकी सम्भावना नहीं।
जो हो, जब तक साहित्य का काम केवल मन-बहलाव का सामान जुटाना, केवल लोरियाँ गा-गाकर सुलाना, केवल आँसू बहाकर जी हलका करना था, तब तक इसके लिए कर्म की आवश्यकता न थी। वह एक दीवाना था जिसका ग़म दूसरे खाते थे; मगर हम साहित्य को केवल मनोरंजन और विलासिता की वस्तु नहीं समझते। हमारी कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा, जिसमें उच्च चिन्तन हो, स्वाधीनता का भाव हो, सौन्दर्य का सार हो, सृजन की आत्मा हो, जीवन की सचाइयों का प्रकाश हो,––जो हममें गति और संघर्ष और बेचैनी पैदा करे, सुलाये नहीं; क्योंकि अब और ज़्यादा सोना मृत्यु का लक्षण है।"...(पूरा पढ़ें)
सप्ताह की पुस्तक
प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ प्रेमचंद की तेरह कहानियों का संग्रह है जिसका प्रकाशन १९५० ई॰ में बनारस के सरस्वती-प्रेस द्वारा किया गया था। इस कहानी-संग्रह में––ईदगाह, जुलूस, दो बैलों की कथा, रामलीला, बड़े भाई साहब, नशा, लाग-डाँट, आत्माराम, प्रेरणा, सवा सेर गेहूँ, गुल्ली डंडा, लॉटरी तथा शतरंज के खिलाड़ी शीर्षक कहानियाँ शामिल हैं।
"रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है। पड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गये हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जायेगा। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना भेंटना। दोपहर के पहले लौटना असंभव है। लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोजा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं; लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज है। रोजे बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। ..."(पूरा पढ़ें)
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पूर्ण पुस्तक
कोड स्वराज, आधुनिक समय के नागरिक प्रतिरोध के अभियान की एक कहानी है, जो महात्मा गाँधी और उनके सत्याग्रह के अभियानों से प्रेरणा लेती है, जिसने सरकारों का अपने नागरिकों के साथ बातचीत करने का तरीका बदल दिया। ज्ञान की सार्वभौमिक पहुंच, सूचना का लोकतांत्रिककरण और स्वतंत्र ज्ञान की खोज में, मालामुद और पित्रोदा गांधीवादी मूल्यों को, आधुनिक समय पर लागू करने का दावा करते हैं और भारत और दुनिया में परिवर्तन लाने के लिए एक एजेंडा पेश करते हैं। ( कोड स्वराज पूरा पढ़ें)
सहकार्य
- संपादनोत्सव- विकिस्रोत:सामग्री संवर्द्धन संपादनोत्सव/जुलाई 2024
- शोधित की जा रही पुस्तक:
- Kabir Granthavali.pdf [९२१ पृष्ठ]
- जायसी ग्रंथावली.djvu [४९८ पृष्ठ]
- रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf [४७१ पृष्ठ]
रचनाकार
प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 — 8 अक्टूबर 1936) हिंदी और उर्दू के अत्यंत लोकप्रिय कथाकार एवं विचारक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- सेवासदन (1918), हिंदी में प्रकाशित पहला उपन्यास।
- प्रेमाश्रम (1922), किसान आंदोलन की महागाथा
- रंगभूमि (1931), मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मानित
- गबन (1931), साधारण स्त्री जालपा के अद्वितीय बनने की गाथा
- कर्मभूमि (1932), किसानों की लगान समस्या पर केंद्रित उपन्यास
- गोदान (1936), औपनिवेशिक चक्की में पिसते किसान जीवन की महागाथा
- पाँच फूल (1929), पाँच कहानियों का संग्रह
- नव-निधि (1948), नौ कहानियों का संग्रह
- प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (1950), कहानी संग्रह
- मानसरोवर १ तथा मानसरोवर २- कहानी संग्रह
- कुछ विचार — निबंध और व्याख्यान संग्रह।
आज का पाठ
" वीर ह्रदय भूषण इस शताब्दी के ऐसे कवि हैं जिन्होंने समयानुकूल वीर रस-धारा को प्रवाहित करने में ही अपने जीवन की चरितार्थता समझी जब उनके चारों ओर प्रवल वेग से शृंगार रस की धारा प्रवाहित हो रही थी उस समय उन्होंने वीर रस की धारा में निमग्न हो कर अपने को एक विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न पुरुष प्रतिपादित किया। ऐसे समय में भी जब देशानुराग के भाव उत्पन्न होने के लिये वातावरण बहुत अनुकूल नहीं था, उन्होंने देश-प्रेम-सम्बन्धी रचनायें करके जिस प्रकार एक भारत-जननी के सत्पुत्र को उत्साहित किया उसके लिये कौन उनकी भूयसी प्रशंसा न करेगा ? यह सत्य है कि अधिकतर उनके सामने आक्रमित धर्म की रक्षा ही थी और उनका प्रसिद्ध साहसी वीर धर्म-रक्षक के रूप में ही हिन्दू जगत के सम्मुख आता है। परन्तु उसमें देश प्रेम और जाति-रक्षा की लगन भी अल्प नहीं थी। ..."(पूरा पढ़ें)
विषय
- हिंदी साहित्य — कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, निबंध, आत्मकथा, जीवनी, भाषा और व्याकरण, साहित्य का इतिहास
- समाज विज्ञान — दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, विधि
- विज्ञान — प्राकृतिक विज्ञान, पर्यावरण
- कला — संगीत
- अनुवाद — संस्कृत, तमिल, बंगाली, अंग्रेजी
- विविध — ग्रंथावली, संघ लोक सेवा आयोग प्रश्न पत्र, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रश्न पत्र
- सभी विषय देखें
आंकड़े
- कुल पुस्तकें = ५०३
- कुल पुस्तक पृष्ठ = १,६४,०१६
- प्रमाणित पृष्ठ = १२,५४०, शोधित पृष्ठ = ६९,४५२
- समस्याकारक = ७, अशोधित = ९१,८१२, रिक्त = २,७४५
- सामग्री पृष्ठ = ५,७९२, परापूर्ण पृष्ठ = ४३१७
- स्कैन प्रतिशत = १००%
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