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हिंदी में कुल ५,७३३ पाठ हैं।
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मार्च की निर्वाचित पुस्तक
"जब मनुष्य ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग में पैर रखता है तो सबसे कठिन बात जो इस शिष्य को मालूम होती है वह मन को अपने वश में रखना है। यह कितना क्लिष्ट और कष्टसाध्य कार्य है, इसका केवल वे ही मनुष्य अनुभव कर सकते हैं जिन्होंने इसके लिए कुछ परिश्रम किया है। जब हम विचारों को अपने आधीन रखने के सम्बंध में सोचते हैं तब हमें कुछ अनुभव होता है कि मन सदैव कितना उद्दंड और अशासित अवस्था में रहता रहा है और वह कैसे हर प्रकार की और हर विषय की विचार तरंगों का पात्र रहा है और कैसे सब प्रकार के संकल्प विकल्पों का द्वार रहा है। इस बात को देखकर हमें बड़ा विस्मय होता है और साथ ही साथ लज्जा भी आती है कि हम ने कितना अमूल्य समय व्यर्थ चंचल विचारों में नष्ट कर दिया है। वह समय जिसको यदि हम उचित रीति से उपयोग में लाते और उसको किसी अभीष्ट के सिद्ध करने में लगाते तो निस्संदेह हम शक्तिशाली और दृढ़ चारित्रवान बन जाते। ऐसा समय यदि हम शुभ विचारों और शुभ भावनाओं में लगाते तो हमारा जीवन सुधर जाता, हमारी अंतरात्मा पवित्र हो जाती, हम प्रभावशाली बन जाते और हम में आत्मिक शक्ति का महत्व आ जाता।"...(पूरा पढ़ें)
सप्ताह की पुस्तक
आकाश-दीप लीडर प्रेस, इलाहाबाद द्वारा १९२९ ई. में प्रकाशित जयशंकर प्रसाद का कहानी संग्रह है। इसमें १९ कहानियाँ हैं- आकाश-दीप, ममता, स्वर्ग के खँड़हर में, सुनहला साँप, हिमालय का पथिक, भिखारिन, प्रतिध्वनि, कला, देवदासी, समुद्र-संतरण, वैरागी, बनजारा, चूड़ीवाली, अपराधी, प्रणय-चिह्न, रूप की छाया, ज्योतिष्मती, रमला तथा बिसाती।
""बन्दी! "
"क्या है? सोने दो।"
"मुक्त होना चाहते हो?"
"अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।"
"फिर अवसर न मिलेगा।"
"बड़ा शीत है, कहीं से एक कम्बल डाल कर कोई शीत से मुक्त करता।"
"आँधी की सम्भावना है। यही अवसर है। आज मेरे बंधन शिथिल हैं।”
“तो क्या तुम भी बन्दी हो?"
“हाँ, धीरे बोलो, इस नाव पर केवल दस नाविक और प्रहरी हैं।”
“शस्त्र मिलेगा?”
"मिल जायगा। पोत से सम्बद्ध रज्जु काट सकोगे?”
"हाँ। "
समुद्र में हिलोरें उठने लगीं। दोनों बंदी आपस में टकराने लगे। पहले बंदी ने अपने को स्वतंत्र कर लिया। दूसरे का बंधन खोलने का प्रयत्न करने लगा। लहरों के धक्के एक दूसरे को स्पर्श से पुलकित कर रहे थे। मुक्ति की आशा--स्नेह का असम्भावित आलिंगन। दोनों ही अन्धकार में मुक्त हो गये। दूसरे बंदी ने हर्षातिरेक से, उसको गले से लगा लिया। सहसा उस बंदी ने कहा--“यह क्या? तुम स्त्री हो?"
"क्या स्त्री होना कोई पाप है?"--अपने को अलग करते हुए स्त्री ने कहा।..."(पूरा पढ़ें)
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पूर्ण पुस्तक
दुर्गेशनन्दिनी बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित प्रथम बांग्ला उपन्यास है। सन् १८६५ के मार्च में यह उपन्यास प्रकाशित हुआ। माना जाता है कि इस उपन्यास के प्रकाशित होने के बाद बांग्ला कथासाहित्य की धारा एक नये युग में प्रवेश कर गयी। १६वीं शताब्दी के उड़ीसा को केन्द्र में रखकर मुगलों और पठानों के आपसी संघर्ष की पृष्ठभूमि में यह उपन्यास रचित है। फिर भी इसे सम्पूर्ण रूप से एक ऐतिहासिक उपन्यास नहीं माना जाता। (दुर्गेशनन्दिनी का प्रथम भाग पूरा पढ़ें)
सहकार्य
- इस माह शोधित करने के लिए चुनी गई पुस्तक:
- हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu [७६३ पृष्ठ]
- हिंदी व्याकरण.pdf [६९६ पृष्ठ]
- Kabir Granthavali.pdf [९२१ पृष्ठ]
- जायसी ग्रंथावली.djvu [४९८ पृष्ठ]
- रेवातट (पृथ्वीराज-रासो).pdf [४७१ पृष्ठ]
- खूनी औरत का सात ख़ून.djvu [१८६ पृष्ठ]
रचनाकार
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल 1865 — 16 मार्च 1947) हिंदी भाषा के कवि, निबंधकार तथा संपादक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:
- प्रियप्रवास (1914), खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य जो कृष्ण के गोकुल से मथुरा प्रवास की घटना पर आधारित
- चोखे चौपदे (1924), हरिऔध हजारा नाम से भी प्रसिद्ध इस पुस्तक में एक हजार चौपदे हैं
- वेनिस का बाँका (1928), अंग्रेजी नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस का अनुवाद
- रसकलस (1931), मुक्तकों का संग्रह
- रस साहित्य और समीक्षायें (१९५६), आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह
- हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास
आज का पाठ
"कवि-कुल-कमल-दिवाकर महात्मा सूरदासजी ने सत्य कहा है-"सबै दिन जात न एक समान"। निस्संदेह यह वाक्य ऐसा सारगर्भित है कि इसे जितना ही सोचिए उतना ही यह गूढ़ प्रतीत होता है। इतिहासानुरागी लोगों के लिये तो यह वाक्य ऐसा उपयोगी है कि यदि वे इसे स्वर्णाक्षरों से लिखकर रात दिन अपने सामने लटकाए रहें तो भी अनुचित न होगा। दंभी पुरुषों के सम्मुख तो यह वाक्य घनघोर नाद से पढ़े जाने के योग्य ही है।..."(पूरा पढ़ें)
विषय
- हिंदी साहित्य — कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, निबंध, आत्मकथा, जीवनी, भाषा और व्याकरण, साहित्य का इतिहास
- समाज विज्ञान — दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, विधि
- विज्ञान — प्राकृतिक विज्ञान, पर्यावरण
- कला — संगीत
- अनुवाद — संस्कृत, तमिल, बंगाली, अंग्रेजी
- विविध — ग्रंथावली, संघ लोक सेवा आयोग प्रश्न पत्र, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रश्न पत्र
- सभी विषय देखें
आंकड़े
- कुल पुस्तकें = ५२४
- कुल पुस्तक पृष्ठ = १,६३,१६९
- प्रमाणित पृष्ठ = १२,३६५, शोधित पृष्ठ = ६८,१६२
- समस्याकारक = ६, अशोधित = ९२,२७८, रिक्त = २,७२३
- सामग्री पृष्ठ = ५,७३३, परापूर्ण पृष्ठ = ४३१७
- स्कैन प्रतिशत = १००%
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