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हिंदी में कुल ५,३७८ पाठ हैं।
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मई की निर्वाचित पुस्तक
बिरजा राधाचरण गोस्वामी द्वारा बंगाली से अनूदित हिंदी उपन्यास है।इसका प्रकाशन काशी के भारतजीवन यन्त्रालय द्वारा १८९१ ई॰ में किया गया था।
"आषाढ़ मास है; समय एक पहर भर मात्र दिन शेष है, आकाश के उत्तर पूर्व कोण में एक खण्ड वृहत् नील मेघ सज रहा है, उसके इतस्ततः कई एक क्षुद्र वारिदखण्ड छूट रहे हैं। भगवान् कमलिनीपति ज्यों ज्यों अस्ताचल शिखरावलम्बी होने लगे, वृहत् वारिदखण्ड भी त्यों त्यों वृहत होने लगा। ग्राम में जैसे किसी के बलवान और क्षमताशाली होने से पांच जन उसके शरणागत हो जाते हैं उसी प्रकार क्षुद्रकाय वारिदखण्ड समूह भी देखते देखते वृहत वारिदखण्ड के संग मिल गये। सूर्य्य-किरणों से मेघ समूह का पश्चिम प्रान्त रक्तवर्ण हो गया। झड़ वृष्टि के आगमन का पूर्व लक्षण देखकर गगनविहारी बिहङ्गम धीरे २ निम्न गमन करने लगे। दो एक श्वेतकाय पक्षी वारिदखण्ड को विद्रूप करने के छल से उसके इधर उधर फिरने लगे। नदी और पतिव्रता नारी का एक ही स्वभाव है। जैसे स्वामी का मुख विषण्ण देखने से पत्नी [ ४ ]का बदनकमल भी विपन्न हो जाता है, वैसे ही वारिद खण्ड को कृष्णकाय देखकर पतितपावनी भागीरथी भी कृष्णकाय हो गईं।
इस समय एक नौका गङ्गा में होकर नवद्वीप से कलकत्ते के अभिमुख जाती थी। वह नौका आषाढ़ मास की गङ्गा के तीक्ष्ण स्रोत के वेग में पूर्व पर होकर द्रुत गमन से जा रही थी, आरोही लोग छप्पर के भीतर थे और अति असमय में आहार करके सो रहे थे। आकाश में जो निविड़ कृष्णवर्ण मेघ छा रहा है यह उनलोगों ने नहीं देखा..." (पूरा पढ़ें)
सप्ताह की पुस्तक
"होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा—गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। ज़रा मेरी लाठी दे दे।
धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथकर आयी थी। बोली—अरे, कुछ रस-पानी तो कर लो। ऐसी जल्दी क्या है?
होरी ने अपने झुरिर्यों से भरे हुए माथे को सिकोड़कर कहा—तुझे रस-पानी की पड़ी है, मुझे यह चिन्ता है कि अबेर हो गयी तो मालिक से भेंट न होगी। असनान-पूजा करने लगेंगे, तो घंटों बैठे बीत जायगा।..."(पूरा पढ़ें)
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पूर्ण पुस्तक
जो किसी के भी नहीं बाँधे बँधे ।
प्रेमबंधन से गये वे ही कसे॥
तीन लोकों में नही जो बस सके।
प्यारवाली आँख में वे ही बसे ॥
पत्तियों तक को भला कैसे न तब।
कर बहुत ही प्यार चाहत चूमती ॥
साँवली सूरत तुम्हारी साँवले।
जब हमारी आँख में है घूमती॥
...(पूरा पढ़ें)
सहकार्य
- इस माह प्रमाणित करने के लिए चुनी गई पुस्तक:
- हिंदी रस गंगाधर.djvu [४२८ पृष्ठ]
- इस माह शोधित करने के लिए चुनी गई पुस्तक:
रचनाकार
जॉन स्टुअर्ट मिल (२० मई १८०६–८ मई १८७३) प्रसिद्ध सामाजिक, राजनैतिक तथा दार्शनिक चिन्तक थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ :
- स्त्रियों की पराधीनता - १९१७, THE SUBJECTION OF WOMEN का हिंदी अनुवाद।
- उपयोगितावाद - १९२४, Utilitarianism का हिन्दी अनुवाद
रबीन्द्रनाथ ठाकुर या रबीन्द्रनाथ टैगोर (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) नोबल पुरस्कार विजेता बाँग्ला कवि, उपन्यासकार, निबंधकार, दार्शनिक और संगीतकार हैं। विकिस्रोत पर उपलब्ध इनकी रचनाएँ :
- स्वदेश – १९१४, निबंध संग्रह
- राजा और प्रजा – १९१९, निबंध संग्रह
- विचित्र-प्रबन्ध – १९२४, निबंध संग्रह
- दो बहनें' (१९५२), हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा अनूदित उपन्यास।
विकिस्रोत पर उपलब्ध सभी लेखकों के लिए देखें- समस्त रचनाकार अकारादि क्रम से।
आज का पाठ
"हजरत मुहम्मद को इलहाम हुए थोड़े ही दिन हुए थे। दस-पांच पड़ोसियों तथा निकट-सम्बन्धियों के सिवा और कोई उनके दीन पर ईमान न लाया था, यहाँ तक कि उनकी लड़की ज़ैनब और दामाद अबुलआस भी, जिनका विवाह इलहाम से पहले ही हो चुका था, अभी तक दीक्षित न हुए थे। ज़ैनब कई बार अपने मैके गई थी और अपने पूज्य पिता की ज्ञानमय वाणी सुन चुकी थी।..."(पूरा पढ़ें)
विषय
- हिंदी साहित्य — कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, निबंध, आत्मकथा, जीवनी, भाषा और व्याकरण, साहित्य का इतिहास
- समाज विज्ञान — दर्शनशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र
- विज्ञान — प्राकृतिक विज्ञान, पर्यावरण
- कला — संगीत
- अनुवाद — संस्कृत, तमिल, बंगाली, अंग्रेजी
- सभी विषय देखें
आंकड़े
- कुल पुस्तकें = ५०४
- कुल पुस्तक पृष्ठ = १,४६,०२०
- प्रमाणित पृष्ठ = ११,३८८, शोधित पृष्ठ = ४७,४२१
- समस्याकारक = ५४, अशोधित = ९६,०७१, रिक्त = २,४७४
- सामग्री पृष्ठ = ५,३७८, परापूर्ण पृष्ठ = ३६८५
- स्कैन प्रतिशत = १००%
विकिमीडिया संस्थान
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