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अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/धुरी राष्ट्र

विकिस्रोत से
अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ १६३ से – १६५ तक

 








धरना--यह सत्याग्रह का एक रूप है। सन् १९२०-२१ और १९३०-३२ के सत्याग्रह आन्दोलन में विदेशी वस्त्रो के बहिष्कार, मादक द्रव्यो के निषेध तथा स्कूल और कालिजो मे विद्यार्थियो को जाने से रोकने के लिए, सत्याग्रहियो द्वारा, इसका प्रयोग किया गया। सत्याग्रही दूकानो पर तथा कालिज और स्कूल के द्वार के सामने खड़े होकर ग्राहको तथा विद्यार्थियों से शान्तिपूर्ण आग्रह करते थे कि वे विदेशी वस्त्रो, शराब आदि को न बेचे-ख़रीदे तथा सरकारी स्कूल व कालेज में अध्ययन न करे। सन् १९४२ मे सीमान्त प्रदेश मे लालकुर्ती दलवालो ने अदालतो पर धरना दिया तथा विद्यार्थियो ने शिक्षा-संस्थाओं पर।



धुरी राष्ट्र--रोम-बर्लिन-धुरी (Axis)--इन शब्दो का प्रयोजन इटली तथा जर्मनी की राजनीतिक सहकारिता से है। सन् १९३५ मे जब इटली ने अबीसीनिया को अपने साम्राज्य मे हड़प करने के लिए उस पर धावा किया तब इस नीति का श्रीगणेश हुआ। सन् १९३७ मे कामिण्टर्न-विरोधी समझौते से यह सहचारिता और भी सबल होगई। १९३८ मे हिटलर और मुसोलिनी एक-दूसरे से मिले। इसी वर्ष सितम्बर मास में जर्मनी द्वारा चैकोस्लोवाकिया के संघर्ष में इटली चुप रहा। जर्मनी को प्रसन्न करने के लिए इटली ने यहूदी-

विरोधी नीति ग्रहण की, और १९३९ के मार्च मास में जब जर्मनी चेकोस्लोवाकिया के शेष भाग को भी दबा बैठा, तब इटली ने अलबानिया को धर दबाया। सन् १९३९ की २२ मई को इटली तथा जर्मनी में जो राजनीतिक तथा सैनिक समझौता हुआ उससे तो यह धुरी सर्वथा ध्रुव बन गई। इटली वास्तव में पश्चिमी योरपियन राष्ट्रो का हिमायती रहा है। वह नहीं चाहती था कि डैन्यूव के कछार में जर्मनी का विस्तार हो। यहाँ तक कि १९३४ की गर्मियों में, आस्ट्रिया में प्रथम नात्सी-उत्थान के समय, वह नात्सियों का सशस्त्र मार्गावरोध करने पर तुल गया था। लेकिन जब वह अबीसीनिया को हडप चुका, और पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा उस पर दण्डस्वरूप लगाये गये प्रति-रोध हटा लिये गये, तब वह धुरी-नीति की ओर झुका। इस नीति के प्रथम परिणामस्वरूप इटली की अवीसीनिया पर विजय पुष्ट होगई और उधर जर्मनी ने राइनलैण्ड पर अपना कब्ज़ा जमा लिया। इन दोनों राज्यों ने स्पेन के गृह-युद्ध में जनरल फ्राको को भारी मदद दी। १९३८ में जर्मनी आस्ट्रिया को दबा वैठा, तब इटली ने चूँ तक नहीं की और न डैन्यूव के कछार में जर्मनी के विस्तार का विरोध किया,

यद्यपि ऐसा होने से हंगरी और यूगोस्लाविया के प्रदेश में इटली के हितो की हानि होती थी। फिर दोनों ने मिलकर योरप के छोटे राष्ट्रो को तलवार के बल पर हड़पना शुरू कर दिया। जर्मनी यह चाहता है कि पूर्वी, दक्षिणी तथा मध्य योरप मे जर्मन-राज्य का विस्तार हो तथा भूमध्यसागर के तटवाले प्रदेशो में इटली का। फ्रान्स, ब्रिटेन, तथा रूस से इनका विरोध था। जापान रूस का सदैव शत्रु रहा
है, और ब्रिटेन तथा संयुक्त-राष्ट्र अमरीका से भी उसकी, चीन के कारण, नही पटती। इसलिए उसने इसीमे भलाई समझी प्रतीत होती है कि वह धुरी राज्यों में शामिल होजाय। जब उसने कामिण्टर्न-विरोधी-सधिपत्र पर हस्ताक्षर कर दिये तो वह भी इस गुट में शामिल होगया और पीछे बर्लिन-रोम-तोक्यो सामरिक त्रिगुट भी बन गया।