आग और धुआं/12
बारह
रूहेलखंड युद्ध के अत्याचारों की कहानी इंगलैण्ड में विभिन्न रूप धारण करके पहुँची। गवर्नर के कार्य को दोषपूर्ण कहा गया। अन्त में १७७३ में लार्डनार्थ के द्वारा पालियामेंट में एक बिल रेग्युलेटिंग एक्ट' पास हुआ, जिसके द्वारा 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' के हाथ से भारतीय शासन
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पार्लियामेंट के नये एक्ट के अनुसार भारत में एक नयी बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट खोली गई। इसके एक प्रधान न्यायधीश और तीन न्यायधीश नियत हुए। प्रधान न्यायधीश का वेतन एक लाख बीस हजार रुपया तथा दूसरे न्यायधीशों का ६० हजार रुपया वार्षिक वेतन नियत हुआ। इस कोर्ट का पहला प्रधान न्यायधीश सर इलिजा इम्पे को बनाया गया। इम्पे हेस्टिग्स के बाल-सहपाठी रहे थे।
गवर्नर जनरल और उनकी नई कौन्सिल की पहली बैठक बैठी। पहले ही दिन हेस्टिग्स को ज्ञात हो गया कि वह अब स्वतन्त्र नहीं रह गए हैं। बैठक आरम्भ होने पर हेस्टिग्स ने अपनी शासन सम्बन्धी रिपोर्ट सदस्यों को सुनाई। जब रूहेला युद्ध और बनारस की सन्धि का प्रसंग आया तब कर्नल मानसून ने कहा-“गवर्नर जनरल और उनके एजेण्ट के बीच इस विषय में जो लिखा-पढ़ी उस दिन तक हुई, वह सब हमारे सामने रखी जाय।"
हेस्टिग्स हतप्रभ होकर बोले-"वे अत्यन्त गोपनीय कागजात हैं, अतः सब नहीं दिखाए जा सकते। सभ्य केवल वह अंश देख सकते हैं जिसे सर्व- साधारण में दिखाये जाने से हानि की संभावना नहीं है।"
इस उत्तर से गवर्नर जनरल और सदस्यों में विग्रह उठ खड़ा हुआ। जो अधिकार गवर्नर जनरल को थे वही अधिकार प्रत्येक सदस्य को भी थे। गवर्नर जनरल मनमानी नहीं कर सकते थे। कर्नल मानसून, क्लेवरिंग और फ्रांसिस ने लखनऊ के रेजीडेन्ट मिडिलटन को पदच्युत कर दिया, कम्पनी की अंग्रेजी सेना तुरन्त लखनऊ से वापिस बुला ली गई और नवाब से फौरन रुपया तलब किया गया। रूहेला युद्ध की जाँच के लिए भी आदेश दिया गया।
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