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आल्हखण्ड/१६ नदी बेतवा का समर

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आल्हखण्ड
जगनिक

पृष्ठ ४९३ से – - तक

 

अथ पाल्हखण्ड॥

नदीबेतवापरलाखनिपृथीराज

काप्रथमयुद्धवर्णन॥


सवैया॥

रामसिया पद दोउ मनाय सो ध्याय शिवा शिव चर्ण यथारथ ।
कीरति कृष्ण बखान करों जिनके बलसों बलवान भे पारथ ।।
भीषम कर्ण सुयोधन ज्वान महान सबै मरिगे रणभारथ ।
चाहत कृष्ण नहीं ललिते बलते थलते जगते सो अकारथ १

सुमिरन ॥


दशरथ नन्दन को बन्दन करि सीता चरण कमलको ध्याय ॥
सुमिरि भवानी शिवशंकर को औ यदुनन्दन चरण मनाय १
बड़े प्रतापी कुंती नन्दन बन्दन करों युधिष्ठिरराय ।।
गदा प्रहारी भीमसेन को ध्यावों वार बार शिरनाय २
एर धनुर्धर नर अर्जुन की कीरति सकै कौन नर गाय ।।

विद्या पूरण सहदेऊ की कीरति रही जगतमें छाय ३
बड़ा प्रतापी रण मण्डल मा नकुलो समरधनी तलवार ।।
करण न होतो जो दुनिया मा तौ को होत दान वरियार ४
छूटि सुमिरनी गै देवन कै शाका सुनो पिथौरा क्यार ।।
नदी बेतवाके डाँडे़पर लाखनि करी खूब तलवार ५

अथ कथाप्रसंग ॥


आल्हा ठाकुर के तम्बू मा भारी लाग राज दरबार ।
त्यही समैया त्यहि औसर मा वोले उदयसिंह सरदार ?
घाट बयालिस पिरथी रोंके दादा करो कछु तदवीर ।।
इतना सुनिकै आल्हा बोले उदन धरो हृदय में धीर २
इतना कहिकै आल्हा ठाकुर तुरतै पान दीन धरवाय ॥
है कोउ योधा दूनों दल मा जो वितवा पर पान चबाय ३
इतना सुनिकै दोऊ दल के क्षत्री गये सनाकाखाय ।।
बोलि न आवा क्यहु क्षत्री ते सबहिन मूड़ लीन अउँधाय ४
ऊदन तड़पे त्यहि समया मा पहुँचे पाननिकट फिरिजाय ॥
आल्हा बोले तब ऊदन तै मानो कही लहुरवाभाय ५
अबती बारी है लाखनि के गाँजर फते कीन तुम जाय ॥
नदी बेतवा के मुर्चा पर जावैं अवशि कनौजीराय ६
मीराताल्हन धनुवाँ तेली बोले दोऊ शीश नवाय॥
तजी सम्पदा सव कनउज की आये लड़न कनौजीराय ७
नव दिन दश दिन भेगौने के सो तजिदई पदमिनी नारि ॥
बीरा खैये लाखनि राना करिये नदी भयानक रारि ८
बात बराबरि की सहिये ना चहिये जायँ नदी पर प्रान ।।
बातै सुनिकै ये सय्यद की बीरा लीन कनौजी ज्वान ९

ऊदन बोले तब लाखनि ते हमरे वचन करो परमान ।।
संग कनौजी हमहूं चलिबे करिबे घोर शोर घमसान १०
मान न रखिबे क्यहु क्षत्री के तुम्हरे संग कनौजी ज्वान॥
ऊदन लाखनि के मुर्चाते जैहैं लौटि वीर चौहान ११
इतना सुनिकै लाखनि बोले मानो उदयसिंह सरदार॥
रतीभान का मैं लड़काहूं नाती बेनचक्कवै क्यार १२
काह हकीकति हैं दिल्लीपति जो तुम चलो संगमें ज्वान॥
भूरी हथिनी कछु बूढ़ी ना ना कछु ग्रसारोग बलवान १३
संग न लेवे हम काहू को आल्हा वचन करब परमान ॥
इतना कहिकै लाखनि ठाकुर नद्दी हेतु कीन प्रस्थान १४
धनुवाँ तेली मीरा सय्यद येऊ भये साथ तय्यार ।।
नदी बेतवा के पाँजर मा पहुँचा कनउजका सरदार १५
नौसै हाथी लखरानाके पानी पियनगये त्यहिकाल॥
पार उतरिगे ते नद्दी के सहिनहिंसकेघाम बिकराल १६
तब हरिकारा पृथीराज का चौड़े खबरि जनाई जाय॥
बहुतक हाथी पार आयगे मानों कही चौड़ियाराय १७
इतना सुनिकै चौड़ा बाम्हन अपनो हाथी लीन मँगाय॥
चढ़ा तड़ाका फिरि हाथीपर नद्दी उपर पहूँचा आय १८
सवियाँ हथिनी लखराना की चौंड़ातुरत लीन खिदवाय॥
भगे महाउत सब तहँना ते आये जहाँ कनौजीराय १९
हाल बताइनि सब हाथिनका ज्यहिबिधिचौंड़ालीनखिदाय ॥
सुनि संदेशा लाखनिराना डंका तुरत दीन बजवाय २०
भारी लश्कर लखराना का गर्जति चला समरको जाय ।
घरी मुहूरत के अरसा मा पहुँचे समरभूमि में आय २१

लाखनिराना मीरा सय्यद धनुवाँ सहित उतरिगे पार॥
नौसै हाथी लखराना का सातसै हथी पिथौरा क्यार २२
सोलासै के हाथी दलमा पहुंचे तुरत कनौजीराय ।।
जितने हाथी दूनों दल के सोसव तुरतलीन खिदवाय २३
गा हरिकारा पृथीराज का चौंड़ै खबरि जनाई जाय ॥
हमरी अपनी सब हथिनिनको लाखनिराना लीनखिदाय २४
सुनिकै बातैं हरिकारा की चौंड़ा फौजलीन सजवाय॥
धाँधूठाकुर को सँग लैकै तुरतै कूचदीन करवाय २५
बीस खेत जब लाखनि रहिगे चौंड़ा बोला वचन सुनाय।।
कहाँते आयो औ कहँ जैहौ आपन हाल देउ बतलाय २६
इकलो हाथी लखि चौंडाको लाखनि भूरी दीन बढ़ाय।।
सम्मुख आये जब चौंड़ा के बोले तवै कनौजीराय २७
वेन चक्कवै के नाती हम बेटा रतीभान को जान।
मोहबा देखन हम जाइत है लाखनि नाम हमारो मान २८
आल्हा ऊदन के सँग आयन चौड़ा साँच दीन बतलाय ॥
इतना सुनते चौड़ा बोला मानो कही चँदेलेराय २९
आल्हा चाकर परिमालिक के सो कनउजको गये रिसाय।।
कीनि चाकरी उन जयचँदकी तिनके साथ कनौजीराय ३०
ऐसी कहिये नहिं काहू सों अबहीं कूच देउ करवाय॥
संगति राजा अरु चाकर की कतहुँ न सुनाकनौजीराय ३१
इतना सुनिकै लाखनि बोले मानो कही चौंड़ियाराय ।।
बड़ी बड़ाई ऊदन कीन्ही तब मनगई लालसा आय ३२
बिना मोहोबा आँखिन दीखे कैसे कूच देयँ करवाय ॥
इतना सुनिकै चौंड़ा बोला मानो साँच कनौजीराय ३३

चढ़ा पिथौरा सातलाख सों सबियाँ घाट दये रुकवाय ॥
जो तुम लड़िहो ह्वै चाकरसँग तौ रजपूती धर्म नशाय ३४
इतना सुनिकै लाखनि बोले चौंड़ा काहगये बौराय ॥
किरिया कीन्ही हम गंगा में चलिबे साथ बनाफरराय ३५
पाँउँ पिछारी का डरिबे ना चहु तन धजी धजी उड़िजाय।
चुवै निशाकर ते आगी चहु औनभमिलै धरणिमेंआय ३६
उवै दिवाकर चहु पश्चिमको सातों सूखि समुन्दर जायँ ।
लाखनि भागै नहिं नदियाते चौंड़ा साँच दीन बतलाय ३७
इतना सुनिकै जरा चौंड़िया तुरतै दीन्ही ढाल चलाय ।।
होउ बहादुर जो लखराना हमरी ढाललेउ उठवाय ३८
लाखनि बोले तब धनुवाँ ते लावो ढाल यार यहिबार ।।
दावि बछेड़ा धनुवाँ चलिभा धाँधू कहा बचन ललकार ३९
पाँउँ अगाड़ी को डारे ना नहिं मुहँ धाँसि देउँ तलवार ।।
वात न मानी कछु धाँधू की धनुवाँ घोड़े का असवार ४०
भाला धमका धाँधू ठाकुर धनुवाँ लैगा वार बचाय ।।
ढाल उठाई जब धनुवाँ ने स्यावसिकह्यो कनौजीराय ४१
लीन कटारी लाखनि राना औ रेतीमा दीन चलाय ।।
होय बहादुर जो दिल्ली को सो अब लेय कटार उठाय ४२
इतना सुनिकै भूरा चलिभा सय्यद उठा तड़ाका धाय ।।
तब ललकारा वहि भूराने सय्यद खबरदार ह्वैजाय ४३
कहा न माना कछु भूरा का सय्यद लीन कटार उठाय ॥
सो दैदीन्ही लखराना का चौंड़ा बहुत गयो शरमाय४४
झुके सिपाही दुहुँ तरफा के फिरितहँचलनलागि तलवार ।।
पैदल पैदल के बरणी भै औअसवार साथ असवार १५

मूँड़ि लपेटा हाथी भिड़िगे अंकुश भिड़े महौतन क्यार ।।
गजके हौदाते शर बरषैं नीचे करैं महाउत मार ४६
कटि कटि कल्ला गिरैं खेतमा घायल भये सुघरुवा ज्वान ॥
नदी बेतवा के डांड़ेपर लाखनि चौंड़ाका मैदान ४७
दाव्यो लश्कर लखराना का लाग्यो होन भड़ाभड़ मार ॥
भागि सिपाही दिल्लीवाले अपने डारि डारि हथियार४८
चौंड़ा बाम्हन नौ लाखनिका परिगा समर बरोबरि आय ॥
तीर चौंड़िया तकिकै मारा लाखनि लैगे वार बचाय ४९
तुरतै भूरी को दौरावा चौंड़ा पास पहूँचे जाय ।।
भाला मारा लखराना ने हाथी गिरा पछाराखाय ५०
तुरत चौंड़िया पैदल ह्वैगा तब यह कहा कनौजीराय ॥
पायॅ पियादे को मारैं ना हाथी और लेउ मँगवाय ५१
इतना कहिकै लाखनिराना आगे दीन्ही फौजबढ़ाय ।।
बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय ५२
मुर्चा हटिगा जब चौंड़ा का धावन तबै पहूँचा जाय॥
सुनि हरिकारा की बातै सब ताहर बेटा लीन बुलाय ५३
हुकुम लगावा महराजा ने तुम चढ़िजाउ नदीपर धाय ॥
हुकुम पिथौरा का पावतखन डंका तुरत दीन बजवाय ५४
सजा रिसाला घोड़न वाला आला तीनि लाखलों भाय ।।
कच्छी मच्छी ताजी तुर्की हरियल सुर्ख परैं दिखेराय ५५
को गति वणै तहॅ सिरगनकी मिरगन चाल चलेसब जायॅ ।
हंस चालपर पँचकल्यानी मुश्की मोरसरिस दिखरायॅ ५६
लबा कि चालन ताजी जावैं हरियल चलैं कबूतर चाल ।
कच्छी कच्छपकी चालनमा मच्छी मगरमच्छकी चाल ५७

 सुर्खा जावैं शशाचालपर तुर्की तीतर के अनुहार ।।
भाला वलछी छुरी कटारी लीन्हे चढ़े ढाल तलवार ५८
अंगद पंगद मकुना भौंरा सजिगे श्वेतबरण गजराज ।।
धरी अँवारी तिन हाथिन के बहुतन हौदा रहे बिराज ५६
आदि भयंकर हाथी ऊपर पिरथीराज भये असवार ।।
तीरकमानै अनगिन्ती लै लीन्ही फेरि ढाल तलवार ६०
छुरी कटारी भाला वरछी लीन्हे सबै नृपति हथियार ।।
घोड़नाम दलगंजन ऊपर ताहर आगे राजकुमार ६१
ढढ़ी करखा बोलन लागे विप्रन कीन बेद उच्चार ।।
औरि वयरिया डोलन लागीं औरै होनलाग व्यवहार ६२
मारु मारु कै मौहरि बाजी बाजी हाव हार करनाल ।।
खर खर खर खर कै रथ दौरे रव्वा चले पवनकी चाल ६३
घोड़ा हीसैं हाथी चिघरैं ह्वैगा अन्धधुन्ध त्यहिबार ।।
डेढ़ लाख दल पैदल लीन्हे राजा दिल्ली का सरदार ६४
डगमग डगमग धरती डोली देवता झाँपि गये असमान ।।
देवी देवता पृथ्वी वाले चक्रित भये देखि चौहान ६५
को गति वरणै त्यहि समया कै जा क्षण चला पिथौराज्वान ॥
लाली लाली आँखी कीन्हे गजभरि छातीका चौहान ६६
जहाॅ है फौजै लखराना की प्यारो पूत कनौजी क्यार ।।
मीराताल्हन बनरस वाला सिर्गा घोड़े पर असवार ६७
धनुगाँ तेली है घोड़े पर वारहु कुँवर बनौधा केर ।।
चारौराजा गाँजर वाल तिनते कहा कनौजी टेर ६८
आई फौजै पृथीराज की यारो वेगिहोउ हुशियार ।।
इतना सुनिकै कनउन वाले बोले सबै शूरसरदार ६६

हुकुम लगावो अब तोपन को गोलंदाज होयँ तय्यार ।।
लखि अस मर्जी सरदारन की लाखनिहुकुमदीनत्यहिवार७०
लैले थैली बारूदन की सो तोपनमा दई डराय ॥
गोला छूटे दुहुँ तरफा के हाहाकार शब्द गा छाय ७१
लागै गोला ज्यहि हाथी के मानो चोर सेंधि कैजाय ।।
जउने ऊंट के गोला लागै तुरतै गिरे सार अललाय ७२
लागै गोला ज्यहि घोड़ा के मानो मगर कुल्याचै खाय ॥
गोला लागै ज्यहि क्षत्री के धुनकतरुईसरिसउड़िजाय ७३
जउने रथमा गोला लागै विजली गिरे वृक्ष जस आय ।।
तैसे चूरण करि स्यन्दन को पहियाधुरी देय अलगाय ७४
फूटै गोला जब ठुकरे मा बिथरैं पाँच खेतलों भाय ।।
गोली निकरै तिन गोलन ते ओलनसरिसजायँतहँछाय ७५
बोलि न पावैं कोउ ठाकुर तहँ चुप्पे भूमि देयँ पौढ़ाय॥
बड़ी दुर्दशा भै तोपन मा तव फिरि मारु बन्दह्वैजाय ७६
दुनों गोल आगे को बढ़िगे रहिगा डेढ़ खेत मैदान ।।
भाला बलछी की मारुन मा व्याकुलभये सिपाहीज्वान७७
शुण्डा कटिगे हैं हाथिन के रुण्डन ह्वैगा ऊंच पहार ।।
कल्ला कटि कटि गिरैं बछेड़ा घैहा होन लागि सरदार ७८
गंगा ठाकुर कुड़हरि वाला पूरन पटना का सरदार।।
देवी मरहटा दक्षिण वाला अंगदनृपतिग्वालियरक्यार७९
हिरसिंह विरसिंह विरिया वाले इनके साथ करैं तलवार ।
भुरा मुगलिया काबुल वाला सय्यद वनरस का सरदार ८०
धाँधू धनुवाँ का मुर्चा है औ दतियाके वंशगुपाल
चिंता ठाकुर रुसनी वाला गुरखा नृपति शहरबंगाल १

कालनेमि औ परसू, सिंहा, ताहर साथ सबै सरदार॥
भूरी हथिनी सों लखराना गरुई हाँक कीन ललकार ८२
कौन बहादुर है दिल्ली का रोंकै बाट हमारी आय ।।
इतना सुनिक ताहर जरिगे बोले सुनो कनौजीराय, ८३
तुम्हरे घरते संयोगिनि को दिल्ली वाले लयै लिवाय ।।
चई बहादुर पृथीराज हैं गाँस्यनिनगरमोहोबाआय८४
काह हकीकति कनवजिया कै जो अब धरै अगारी पायँ ।
हुकुम पिथौरा का नाही है ताते कूच देउ करवाय ८५
इतना सुनिकै लाखनि बोले ताहर काह गये बौराय ॥
लैकै बिटिया चेरी घरकै रानी कीन पिथौराराय ८६
एकतो बदला है चेरी का दूसर साथ बनाफर क्यार॥
कसरि न राखे दिल्ली वाले ठाकुर घोड़े के असवार ८७
इतना कहिकै लाखनि राना मारन लाग ढूँढ़ि सरदार॥
भूरी हथिनी का चढ़वैया नाती बेनचक्कवै क्यार ८८
जैसे भेड़िन भेड़हा पैठै जैसे अहिर बिडारै गाय ।।
तैसे पैठ्यो लाखनि राना कोऊ शूर नहीं समुहाय ८९
कायर भागे दुहुँ तरफा ते सायर खूब करैं तलवार ॥
यहु दलगंजन का चढ़वैया ताहर दिल्ली राजकुमार ९०
बहुदल मारै रजपूतन का नदिया वही रक्तकी धार ॥
छुरी मछली के समसोहैं‌‌‍ ढालैं कछुवाके अनुहार ९१
चहैं लहाशैं जो मनइन की तिनपर चढ़े गृद्ध विकराल ।।
बार सिवारा समसोहत हैं चहुँदिशिसोहेैश्वानशृगाल९२
चहै अपारा शोपिण धारा मज्जन करें भूत वैताल ।।
को गति बरणे त्यहि समया कै कागन भई टोट सब लाल ९३

तीनि सै हाथी के हलका मा अकसर परे कनौजीराय ।।
देखन लागे चौगिर्दा ते कोउनहिंअपनपरैदिखराय ९४
जितने आये चढि कनउज ते ते सब हटे समर ते भाय॥
मीरा सय्यद धनुवाँ तेली दूनों दीन्हेनि समर वराय ९५
सुफना बोला तब लाखनि ते मानो कही कनौजीराय ॥
सबदल हटिगाहै कनउज का इकले आप रहे मड़राय ९६
हुकुम जु पावें महराजा का हथिनी देवैं तुरत भगाय ।।
छुवै न पावैं दिल्ली वाले राजन साँच दीन बतलाय ९७
इतना सुनिकै लाखनि बोले सुफना काह गये बौराय ।।
कहान माना हम जयचँद का हटका मातु हमारी आय १८
अब जो भाग समर भूमि ते तो रजपूती धर्म नशाय ।।
अमर न देही रामचन्द्र कै नारहिगये कृष्ण यदुराय ९९
जो कोउ जनमाहै दुनिया मा निश्चय मरै एक दिन भाय ।।
जितने जावैं मरि दुनिया ते पैदा होयँ तड़ाका आय १००
यामें संशय कछु नाहीं है गीता पाठकीन अधिकाय ॥
सुनिकै बातैं लखराना की नीचे गयो महाउत आय १०१
फूल पियायो त्यहि भूरी को पक्का पौवा भाँग खवाय ।।
गोटा दीन्ह्यो इक अफीम का ऊपर चढ़ा तड़ाकाधाय १०२
बोला महाउत फिरि लाखनिते ओ महराज कनौजीराय ।।
चारों तरफा दल वादल सों क्यहिदिशिहथिनीदेयँबढ़ा1१०३
सुनी महाउत की बातैं जब बोले फेरि कनौजीराय ।।
ऐसी हाथी है पिरथी का भारी ध्वजा रहा फहराय १०४
चलो तड़ाका दिशि याही को सुफना साँच दीन बतलाय ॥
किरपा ह्वैहै नारायण की पैवे विजय समरमें भाय १०५

सुनिकै बातैं लखराना की सुफना हाथी दीन बढ़ाय ॥
अकसर लाखनि के जियरेपर चहुँदिशिफौजरहीमड़राय१०६
साँकरि फेरै भूरीहथिनी सबदल हटत पछारीजाय ॥
मारत मारत लाखनिराना पहुँचे जहाँ पिथोराराय १०७
आदिभयंकर गज के भरी मस्तक हना तड़ाकाधाय ॥
आदिभयंकर पाछे हटिगा तव पहिचना पिथौराराय १०८
लैकै माला गल अपने सों सोलाखनिको दीन पहिराय ॥
जैसे लड़िका रतीभान के तैसे पूत कनौजीराय १०९
घाटि न जानैं हम ताहरते ओ महराना बात वनाय ।।
तुम अब आवो हमरे दलमा मोहवाशहर लेयँ लुटवाय११०
पारस पत्थर को तुम लीन्ह्यो लोहाछुवत स्वान ह्वैजाय ॥
कहा न मानो तुम ऊदन का घटिहा बंश बनाफरराय १११
खुनस जो मनिहैं तुमतेतनको कनउज शहर लेयँ लुटवाय ॥
बेनचक्कवै के नाती हौ चाकर साथ कनौजीराय ११२
तुम्हरी हीनी नीकि न लागै ताते साँच दीन बतलाय॥
सुनिकै बातैं पृथीराज की बोला फेरि कनौजीराय ११३
बढ़िकै आयन ऊदन सँगमा ना अब घाटि करैं महराज ।।
पारस पत्थर के गिन्ती ना जो मिलिजायइन्द्रकोराज११४
तबहूँ लाखनि कहि बदलैंना ओ महराज पिथौराराय॥
बदला लेवे संयोगिनि का ताते गयन यहाँपर आय ११५
सुनिकै वातैं लखराना की माहिल बोला बचन उदार ॥
गहौ कमनियाँ अब हाथे सों राजा दिल्ली के सरदार ११६
डारि कमनियाँगल लाखनिके अवहीं कैदलेउ करवाय ।।
छोटे मुखकी ई बातें ना जैसे कहै कनोजीराय ११७

सुनिकै बातैं ये माहिल की राजा लीन कमान उठाय ।।
त्यही समैया त्यहि औसरमा रूपन गये नदीपर आय ११८
पानी देखें रक्त वर्ण सब रूपन गये बहुत चकड़ाय॥
ऊंची टिकुरी चढ़ि देखतभे चहुँदिशिरुण्डपरैदिखराय ११९
पनी पियायो तहँ घोड़े का झावर गयो तड़ाका आय ॥
जहँना तम्बू था द्यावलिका रूपन अटा तड़ाकाधाय १२०
द्वारे ठाढ़ी द्यावलि माता रूपन बोला बचन सुनाय ।।
पनी पियावन हम नद्दी गे तहँ बिपरीतपरा दिखराय १२१
हमरे मनते यह आवति है नदिया जुझे कनौजीराय ।।
खबरि मँगावो तुम लाखनिकै हमरे धीर धरा ना जाय १२२
इतना सुनिक द्यावलि माता आल्हा पास पहूँची जाय ॥
खबरि सुनाई सब आल्हाको रूपनगयो जौनवतलाय १२३
बारह रानिन का इकलौता ऊदन लाये ताहि लिवाय ॥
होय हँसौवा सब दुनिया मा जोमरिगयेकनौजीराय १२४
सातलाख सों चढ़ा पिथौरा देवो उदयसिंह पठवाय॥
इतना सुनिकै आल्हा बोले माता काह गयी बौराय १२५
गाँजर उसरीथी ऊदन की नदिया लड़ैं कनौजीराय ।।
कछु नहिं जानैं पाल्हा ठाकुर माता साँच दीन बतलाय १२६
नाहि हँसौवा का डर राखैं प्यारो मोर लहुरवाभाय ।।
जो कहुँ जुझिहैं उदयसिंहजी तौहमकाहकरबफिरिमाय १२७
सुनिकै बातें ये आल्हा की द्यावलि उठी तड़ाका धाय ।।
जहँना तम्बूथा ऊदन का माता अटी तहाँपर आय १२८
आवत दीख्यो जब माता को ऊदन गहा द्वऊपद जाय ॥
आदर करिकै महतारी का उत्तमआसन दीन बिछाय १२६

धूप दीप अरु अक्षत चन्दन पूजन हेतु लीन मँगवाय ॥
नदी बेतवा का जल लैकै धोये चरण बनाफरराय १३०
विधिवत पूजनकरि माताका बोला फेरि लहुरवाभाय ।।
हुकुम जो पावैं महतारी का सो करिलावै शीशनवाय १३१
सुनिकै बातैं ये ऊदन की द्यावलि बोली आँसुबहाय ।।
परे कनौजी हैं सँकरे मा रूपन खबरि जनाई आय १३२
जो कछु होई लखराना का देई दोष सबै संसार ।।
त्यहिते जावो तुम नदियाको वेटा उदयसिंह सरदार १३३
मैं समुझावा भल आल्हा का तिन नहिं माना कहा हमार।
गाँजर उसरी थी ऊदन की नदियाकनउजका सरदार१३४
तुम्है मुनासिब अब याही है जावो अवशि पूत यहिबार ।।
सुनिक बातैं ये माता की बेंदुल उपरभयो असवार १३५
गयो तड़ाका त्यहि तम्बूमा ज्यहिमा रहैं बनाफरराय ।।
खबरि सुनाई सब आल्हा को दोऊहाथजोरि शिरनाय १३६
हुकुम जो पावै हम दादाको नदिया जायँ तड़ाका धाय ।।
जयचँद तिलका ते बाचा दै लायन रहैं कनौजीराय १३७
जियत वनाफर उदयसिंह के इनको बार न बाँकाजाय ।
करैं प्रतिज्ञा जो साँची ना तौ सबजावै धर्म नशाय १३८
सुनिकै बातैं उदयसिंह की आल्हा चुप्प साधि रहिजाय।।
चलिभे ऊदन तब तम्बू ते दोऊहाथ जोरि शिरनाय १३६
लौटिकावा फिरि लश्करमा डंका तुरत दीन बजवाय॥
साजि सिपाही सब जल्दी सों ऊदन कूचदीन करवाय १४०
नदीबेतवा को उतरत भा यहु रणवाघु बनाफरराय ।।
मीरासय्यद धनुवाँ तेली दोऊ परे तहाँ दिखलाय १४१

छाँड़े मुर्चा भागति आवै औरौ परे नजरि सब आय ।।
दय्या बापू की ध्वनि लागी कोऊ पाव घसीटनजाय १४२
बिना हाथ के कोऊ आवै कोऊ रोवै घाव दिखाय ।।
हाय ! गोसइयाँ दीनबन्धुकहि कोऊ सज्जन रहे मनाय १४३
यह गति दीख्यो जव क्षत्रिनकै बोले तुरत बनाफरराय ।।
सय्यद चाचा तुम बतलावो कहँपर हटि कनौजीराय १४४
जो कछु ह्वैहै लाखनि जियका सबके मूड़ लेव कटवाय ।।
इतना सुनिकै सय्यद बोले मानो कही बनाफरराय १५५
तीनिसै हाथी के हलकामा अकसर परे कनौजी जाय ।।
प्राण आपने लय हम भागे मानो कही बनाफरराय १४६
नहीं आसरा लखराना का तुमते साँच दीन बतलाय ।।
सात लाखलों फौजे लैकै आवा आप पिथौराराय १४७
शब्द पायकै हनै निशाना त्यहिते कौन आसराभाय ।।
सुनिकै बातैं ये सय्यद की ऊदन गये सनाकाखाय १४८
धनुवाँ बोला तब सय्यद ते चलिये फेरि समरको भाय ।।
हमका तुमका जयचँदराजा सौंपा रहै कनौजीराय १४९
सम्मुख जातै महराजा के सय्यद जियत मौत ह्वैजाय ।
इतना सुनिकै सय्यद लौटे मुर्चा गहा तडाका आय१५०
धनुवाँ आयो फिरि मुर्चा मा औरौ शूर गये सब आय ।।
तीनिसै हाथीके हलका मा पहुँचा तुरत बनाफरराय १५१

सवैया॥


लाखनि खोज करैं बघऊदन नाहिं मिलय कहुँ ठौर ठिकाना ।
कूदत फॉदत मारत धावत आवत डंक वजाय निशाना ॥

शंक नहीं निरशंक फिरै यहु बंक है ठाकुर ठीक वखाना।
काह बखान करै ललिते गुणवान जहान यही हम जाना१५२



बड़ा प्रतापी रणमण्डल मा ठाकुर उदयसिंह सरदार ॥
वहु दलमारा पृथीराज का नदिया वही रक्तकी धार १५३
मारत मारत दल बादल के तव लखिपरे वीर चौहान ।।
विषधर शायक इक हाथेमा इक लोहेकी गहे कमान १५४
तहँई दीख्यो लखराना को तब मन ठीक लीन ठहराय ।।।
शब्द भेद शर हनै पिथौरा कैसे बचैं कनौजीराय १५५
जो मरिजैहैं लाखनि राना तौ सब जैहैं कामनशाय ॥
जो सुनि पैहैं तिलका रानी तौ मरिजायँ जहरकोखाय१५६ .
नहीं आसरा यह लाखनि का जो अब धरै पछारी पायँ ।।
शूर शिरोमणि सबविधि साँचे हमरे मित्र कनौजीराय १५७
साम दाम अरु दण्ड भेद ये चारों अङ्ग नीतिके आयँ ॥
इनसों लड़िकै सज्जन क्षत्री पावें विजय समरमें जाय १५८
यहै सोचिकै ऊदन क्षत्री आपन घोड़ दीन दौराय ।।
जहँपर हाथी पृथीराज का ऊदन अटातड़ाका धाय १५६
हाथ जोरिकै ऊदन बोले ओ महराज पिथौराराय॥
तुम्है मुनासिब यह नाहीं है जैसी करो समर में आय १६०
ना चढ़ि आये जयचंद राजा ना चढ़िअये रजापरिमाल ।।
राजा राजा का रण सोहै मानो साँच बात नरपाल १६१
लड़िका लाखनि तुम्हरे आगे तिन पर कैसे गहौ कमान ।
बातैं सुनिकै बघऊदन की रहिगा चुप्प साधि चौहान१६२
एँड़ लगावा फिरि बेंदुल के हौदा उपर पहूँचाजाय ।।

कलश सूवरण हौदावाला लीन्ह्यो तुरत बनाफरराय १६३
स्यावसि स्यावसि कह्यो पिथौरा पाछे हाथी लीन हटाय ॥
तबै कनौजी मन शरमाने ताहर गयो बरोबरि आय १६४
लाखनि ताहर का मुर्चामा ऊदन और चौंड़िया ज्वान ।।
धाँधू धनुवाँ के वरणी मै सच्यद भूरूका मैदान १६५
नदी बेतवाके झाबर मा बाजे घूमि घूमि तलवार ।। ॥
ऐसी नाहर कनउज वाले वैसी दिल्लीके सरदार १६६
हौदा हौदा यकमिल ह्वैगा अंकुशभिड़ा महौतनक्यार॥
पैदल पैदलकै वरणी भै औ असवारसाथ असवार १६७
उरई फौजे दल बादल सों बाजैं छपक छपक तलवार ।।
छुरी कटारी भाला बरछी ऊनाचलै विलाइतिक्यार १६८
तीर तमंचा के मंचा भे भाला वरछिनकेर पगार ।।
मरे कटारिन औ छूरिनके नदिया बही रक्तकी धार १६६
मुण्डन केरे मुड़ चौराभे औ रुण्डन के लगे पहार।।
हिरसिंह विरसिंह विरियावाले दोऊ लड़ै तहाँसरदार १७०
रहिमत सहिमत द्वउ मारेगे हिरसिंह विरसिंह के मैदान ।
धाँधू धनुवाँ के मुर्चामा मुर्चा हारिगये चौहान १७१
लाखनि राना के मुर्चामा मरिगे दतिया के नरपाल ॥
ताहर ठाकुर के मुर्चा मा बेटा देशराजका लाल १७२
तबलों आये लाखनिराना तिनते फेरि चली तलवार ।।
चढ़ा कनौजी है भूरी पर यहुदलगंजनपरअसवार १७३
तीनि सिरोही ताहर मारी लाखनि लीन ढालपर वार ।।
क्रोधित ह्वैकै लाखनिराना तुरतै कीन्ह्यो गुर्जप्रहार १७४
चोट लागिगै सो घोड़ा के तुरतै भाग सहित असवार ।

पाछे भूरी लखराना की आगे दिल्ली राजकुमार १७५
घाट बयालिस तेरह घाटी सब दल भाग पिथौरा क्यार।
जहँ पर तम्बू पृथीराज का पहुँचाकनउजकासरदार १७६
उतरिके हथिनी ते भुइँ आवा तम्बू तुरत कूचदीन गड़वाय ।।
यहु महराजा दिल्लीवाला तहते कूचदीन करवाय १७७
बहुतक घोड़ा पृथीराज के लूटे तहाँ लूटे तहाँ बनाफरराय ।।
बाकी तम्बू जे पिरथी के लाखनिआगिदीनलगवाय९७८
जितनी फौजें लखराना की चन्दन बाग पहूँचीं आय ॥
दिल्ली पहुँचे दिल्ली वाले धावन गयो बेतवाधाय १७६
आल्हा ठाकुर के तम्बू मा धावन खबरि जनाई जाय ॥
सुनिकै बातैं मुख धावन की आल्हा कूचदीन करवाय १८०
बाजत डंका अहतंका के चन्दन बाग पहूँचे आय ॥
यकदिशि तम्बू है आल्हा का दुसरी तरफ कनौजीराय १८१
बाजैं डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय॥
गा हरिकारा मोहबेवाला बैठे जहाँ चँदेलेराय १८२
खबरि सुनाई सब पिरथी की जाविधि कूचदीन करवाय ।।
जैसे आये चन्दन बगिया दूनों भाय बनाफरराय १८३
करणी वरपी सब लाखनि कै धावन बार बार शिरनाय ।।
सुनी वीरता लखराना की भे मन खुशी चँदेलेराय १८४
ब्रह्मा ठाकुर को बुलवायो औ सबहाल कह्यो समुझाय ॥
तुरत महोबा को सजवावो देखन अवैं कनौजीराय १८५
सुनिकैं बातैं ब्रह्मा ठाकुर लीन्ह्यो कोतवाल बुलवाय ।।
कहि समुझायो कोतवाल को मोहवा तुरत देउसजवाय १८६
इतना कहिकै ब्रह्मा चलिभे मल्हना महल पहुँचे जाय ।।

कही वीरता लखराना की ब्रह्मा वार वार तहँ गाय १८७
चन्दन बगिया डेरा परिगा पिंरथी कृच दीन करवाय ।।
इतना सुनिकै रानी मल्हना तुरतै दीन्योहुकुमलगाय१८८
सजो मोहोवा चौगिर्दा ते हाटक नये करौ तय्यार॥
हुकुम पायकै महरानी का मोहवासजनलागत्यहिबार१८९
पुती दिवालै गइँ केसरि ते चमचम्चमकिचमकिरहिजायँ।।
द्वार द्वार में वन्दन वारे घरघर रहे पताका छाय १९०
को गति वरणे पुरवासिन कै द्वारे कलश दीन धरवाय ।।
घृतसों पूरित दीपक बारे सुन्दरिगीत रही सवगाय१९१
सजी बजारै गलियारन मा माली चैठ ठठ्ठ के ठठ्ठ।।
चलें कदमपर कहुँ कहुँ घोड़ा कहुँकहुँचलें चालसरपट्ट १९२
ठठ्ठ लागि गे तम्बोलिन के जाहिर पान मोहोवे क्यार ।।
सतर सराफाकी बैठी है सोहैं भाँति भाँति के हार १९३
कौन बजाजा कै गति बरणे भाला वरछिन केरि बजार ।।
गमला विरवन के गलियनमा जिनमाछोटि वृक्ष कह्लार १९४
फूले बेला अलबेला कहुँ मेला लाग चमेलिन क्यार ।।
रेला आवैं कहुँ नारिन के गावैं गीत मंगलाचार १६५
बारह रानी चंदेले की तिनके महल सजे त्यहिबार ।।
धरे खिलौना हैं ताखन मा पाखनवेलि बूट अधिकार १६६
सोने चांदी के जेवर को रानी करतफिरैं झनकार ॥
को गति बरणे महरानिन कै सोलोकीन तहाँ श्रृंगार १६७
हाट बाट चौहाटा सजिगे बोले तबै रजापरिमाल॥
चलिकै लइये जगनायक जी बेटा रतीभानको लाल १६८
इतना कहिकै परिमालिक जी पलकी उपर भये असबार।

ब्रह्मा चढ़िकै हरनागर पर तुरतै भयो तहाँ तैयार १९९
भैने सजिगा परिमालिक का तब फिरि कूचदीन करवाय ।।
जहँ पर तम्बू लखराना का तहँपर गये चँदेलेराय २००
आवत दीख्यो परिमालिक को लाखनि उठे तड़ाका धाय ॥
पकरिकै बाहू लखराना की औछातीमा लीन लगाय २०१
बैठे तम्बू मा परिमालिक आये द्वऊ बनाफरराय ।।
मिलाभेंट करि सब काहुन सों सबहिनकूच दीन करवाय २०२
चला कनौजी चढ़ि भूरी पर इन्दल पपिहा पर असवार ॥
घोड़ मनोहर पर देवा चढ़ि बेंदुल उदयसिंह सरदार २०३
हिरसिंह विरसिंह बिरिया वाले येऊ साथ भये तय्यार।
सिंहा ठाकुर परहुल वाला गंगा कुड़हरिका सरदार २०४
मीरा सय्यद वनरस वाले औरौ नृपति चले त्यहिबार ।।
ठाढ़ो हाथी पचशब्दा था आल्हा तापर भये सवार २०५
द्यावलि सुनवाँ फुलवा तीनों डोलन उपर भई असवार।।
डोला चलिभा चितरेखा का मोहवालखनलागिसरदार २०६
जौनी गलियन जाय कनौजी तौनी देखैं नई बहार ॥
चलें पिचक्काक्यहुगलियन मा कहुँकहुँहोयफुलनकीमार २०७
कहुँ कहुँ ढोलक सारंगी ध्वनि कहुँ कहुँ बाजैं खूब सितार॥
तबलागमकैं क्यहुगलियनमा होवै नाच पतुरियनक्यार २०८
परे पाँवड़ेहैं द्वारे मा महलन मणी करैं उजियार ।।
उड़ैं कबूतर क्यहु महलन ते होवै नाच मुरैलन क्यार २०६
पिंजरा टाँगे ललमुनियन के चक्कस गड़े बुलबुलन केर ।।
सुवा पहाड़ी कहुँ पिंजरन में कहुँ कहूँ तीतर और बटेर २१०
को गति बाणैं त्यहि समयाकै चक्रित लखैं चहूँदिशि हेर

 चारहु राजा गाँजर वाले बारहु कुँवर वनौधाकेर २११
इन के सँगमा लाखनि राना मल्हना द्वार पहूँचे आय ।।
कीनि आरती चन्द्रावलि तहँ भीतरगये कनौजीराय २१२
संग पतोहुन को लैकै फिरि द्यावलिगई तड़ाका धाय !!
आल्हा ऊदन इन्दल तीनों येऊ फेरि पहूँचेजाय २१३
बड़ी कसामसि भै महलन मा बैठे सबै महा सुखपाय ।।
बारहु रानी परिमालिक की मल्हनामहलगईसबआय २१४
बड़ी खुशाली भै मल्हना के फूले अङ्ग न सके समाय ।।
बेटी बोली चन्द्रावलि तब मानों सॉच लहुनवाभाय २१५
जबते छाँड्यो नगर मोहोबा जबते मरे वीर मलखान ।।
तबते ईजति ये ताके हैं लुच्चा दिल्ली के चौहान २१६
जोना अवतिउ ऊदन भैया पिरथी लूटि लेत करवाय ।।
धर्म रखैया सब मोहबे के युगयुगजियौबनाफरराय २१७
सुनिकै बातैं चन्द्रावलि की ऊदन कहा बहुत समुझाय।।
काहहकीकति थी पिरथी की मोहबा शहर लेत लुटवाय २१८
मिला भेंट करि सब काहुन सों सबहिन कूच दीन करवाय ।।
जहाॅ कचहरी परिमालिक की आल्हा सहित पहूँचेआय२१६
खातिर कीन्ह्यो परिमालिक ने बैठे तहाँ कनौजीराय ।।
राजा बोले तब आल्हा ते हमपरदया दीन विसराय २२०
जवै बनाफर तुम मोहबेगे तबहीं चढ़ा पिथौराराय ।।
जूझिग ठाकुर सिरसावाला विपदा गई मोहोबे आय २२१
इतना सुनिकै आल्हा बोले मानों साँच बचन महराज ॥
सुनी तलाकैं जब तुम्हरी हम मानो गिरीं उपरते गाज २२२
माहिल भूपतिकी चुगुली सुनि हमरी देश निकासी कीन ।।

जूझिगे ठाकुर सिरसा वाले तबहूं खबरि आपनहिंलीन२२३
खबरि जो पावत मलखाने की दिल्ली शहर देत फुकवाय ।।
चढ़िकै मारत हम पिरथी का साँची सुनो चँदेलेराय २२४
द्यावलि विरमा सम माता ना ना जग भायसरिस मलखान।।
ब्रह्मा ठाकुर के ब्याहे मा हाथी द्वार पछारा ज्वान २२५
पहिलि लड़ाई भै माड़ौगढ़ दूसर नैनागढ़ मैदान ।
तिसरि लड़ाई भै पथरीगढ़ ब्याहे गये तहाँ मलखान २२६
चौथि लड़ाई भै दिल्ली मा पाँचो नरवर का मैदान ।।
इन्दल ब्याह हरण छठयें मा तहँपर भयो घोर घमसान २२७
सतों लड़ाई भै बौरीगढ़ आठो बूँदी का मैदान ।।
नव दश बार लड़े रण नाहर तब मरिगये बीर मलखान२२८
भुजा टूटिगै इक आल्हा की ह्वैगा बली बीर चौहान ।।
स्वपना ह्वैगा अब दुनिया मा हमका आजु बीरमलखान२२९
यहु दुख पावा तुम्हरी दिशि ते मानो साँच चँदेलेराय ॥
सवन चिरैया ना घर छोंड़ै नाबनिजरा बणिजकोजाय२३०
मोहिं निकारा तब मोहवे ते तुम्हरो काह बिगारा भाय ।।
जयत मोहोबे हम आइत ना जो ना चढ़त पिथौरा धाय २३१
वाल्यो पोष्यो लरिकाई ते ताते लाज दीन बिसराय ।।
दूध पियायो मल्हना रानी तबयहुजिया लरहुवाभाय २३२
अससमुझायो मोहिं माता जब तब सब क्रोध दीन बिसराय ॥
सुनिकै बातैं ये आल्हा की कायल भये चँदेलेराय २३३
तबै बनाफर उदयसिंह जी बोले हाथ जोरि शिरनाय ॥
मुखसों सोवो अब मोहवे मा करिहै काह पिथौराराय २३४
जो कछु ह्वैगा पाछे परिगा अब आगे का करो विचार ।।

इतना सुनिकै परिमालिकजी लागे करन मंगलाचार २३५

सवैया॥


मोद अपार बढ्यो त्यहि बार सो यार सँभार रह्यो कछु नाहीं।
पैरको भूषण हाथन धारि सो हाथको भूपण पैरन माहीं।।
हाथ मिलावत धावत आवत गावत गीत डरे गलबाहीं।
कौन सों मारग ऐसो तहाँ सो जहाँ ललिते सुखपावत नाहीं २३६



बड़ा मोदभा पुर महलन मा टहलन नेक न लागी वार॥
आल्हा ऊदन लाखनि ठाकुर सबहिनखूबकीनज्यँवनार २३७
खेत छूटिगा दिननायक सों झण्डा गड़ा निशाको आय॥
तारागण सब चमकन लागे संतन धुनी दीनपरचाय २३८
परे आलसी खटिया तकितकि घों घों कण्ठ रहे धर्राय ॥
आशिर्वाद देउँ मुन्शी सुत जीवो प्रागनरायण भाय २३६
रहै समुन्दर में जबलों जल जबलों रहैं चन्द औ सूर॥
मालिक ललिते के तबलों तुम यशसों रहौ सदा भरपूर २४०
माथ नवाबों पितु माता को देवी देव सरिस औतार॥
सेवा करिकै पितु माताकी सरवन पूत भयो भवपार २४१
औरौ गाथा रघुनाथा की कहिगे वालमीकि विस्तार॥
पूरण ब्रह्म आदि पुरुषोत्तम स्वामी रामचन्द्र अवतार २४२
अब बदनामी का डर नाही होवो रामचन्द्र भर्त्तार ।।
शरण तुम्हारी हम ताके हैं दर्शन चाहैं नाथ यहिबार २४३
पगड़ी हमरी अब अरुझी है सो सुरझाय-देव रघुनाथ ।।
कितनो पापी कलियुग करि है तबहूँ धरों चरण में माथ २४४
माता भ्राता त्राता ताता; नाता एक ठीक रघुनाथ ।।

स्वारथ साथी सब दुनिया है कासों करों जगतमें साथ२४५
सुमिरि भवानी शिवशङ्कर को ह्याँते करों तरँग को अन्त ॥
राम रमा मिलि दर्शन देवैं इच्छा यही भवानीकन्त २४६

इति श्रीलखनऊनिवासि (सी,आई,ई) मुशीनवलकिशोरात्मजबाबूप्रयागनारायण

जीकीआज्ञानुसार उन्नामप्रदेशान्तर्गत पँड़रीकलांनिवासि मिश्र

वंशोद्भव बुधकृपाशङ्करसूनु पण्डितललिताप्रसादकृतनदीवे-

तवायुद्धवर्णनोनामप्रथमस्तरंगः॥१॥

नदीबेतवाकायुद्धसमाप्त॥

इति॥