कार्ल मार्क्स फ्रेडरिक एंगेल्स

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कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स  (1918) 
द्वारा लेनिन
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व्ला० इ० लेनिन

कार्ल मार्क्स

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फ्रेडरिक एंगेल्स













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मास्को

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विषय-सूची
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कार्ल मार्क्स (मार्क्सवाद की व्याख्या सहित, एक संक्षिप्त जीवनी)
भूमिका
मार्क्स का सिद्धान्त ११
दार्शनिक पदार्थवाद ११
द्वंद्ववाद १४
इतिहास की पदार्थवादी धारणा १६
वर्ग-संघर्ष १९
मार्क्स के आर्थिक सिद्धान्त २२
मूल्य २२
अतिरिक्त मूल्य २४
समाजवाद ३६
सर्वहारा के वर्ग-संघर्ष की कार्यनीति ४०
फ़्रेडरिक एंगेल्स ४७
टिप्पणियां ५९
[ भूमिका ]

कार्ल मार्क्स

(मार्क्सवाद की व्याख्या सहित, एक संक्षिप्त जीवनी)

भूमिका

कार्ल मार्क्स संबंधी मेरा जो लेख इस समय अलग से प्रकाशित हो रहा है, जहां तक मुझे याद है, मैंने उसे १९१३ में ग्रानात विश्वकोष के लिए लिखा था, और मार्क्स से संबंध रखनेवाली पुस्तकों की एक लम्बी सूची लेख के अंत में जोड़ दी थी जिसमें अधिकांश पुस्तकें विदेशी थीं। प्रस्तुत संस्करण में वह सूची छोड़ दी गई है। विश्वकोष के सम्पादकों ने सेंसर की सीमाओं के कारण लेख के अन्त का वह हिस्सा काट दिया था जिसमें मार्क्स की क्रांतिकारी कार्यनीति की व्याख्या थी। दुर्भाग्यवश , वह हिस्सा यहां दुबारा दे सकने की स्थिति में नहीं हूं, क्योंकि लेख की पहिली प्रति मेरे काग़जों में कहीं त्रैको या स्विट्जरलैंड में रह गयी है। मुझे केवल इतना याद है कि लेख के इस अन्तिम भाग में, बाकी चीजों के साथ मैंने मार्क्स के एक पत्र में से- जो उन्होंने एंगेल्स को १६ अप्रैल १८५६ को लिखा था- एक उद्धरण दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था : “किसी दूसरे कृषकयुद्ध द्वारा सर्वहारा क्रान्ति के समर्थन किये जाने की संभावना पर ही जर्मनी में सब कुछ निर्भर है। तब सब बात ठीक बैठेगी।" यह बात है जो हमारे मेन्शेविक - जो अब इस क़दर गिर गये हैं कि समाजवाद से गद्दारी पर उतर आये हैं और भाग कर पूंजीवादियों से जा मिले हैं - १९०५ में भी नहीं समझ पाये और न ही उसके बाद ही।

न० लेनिन

मास्को, १४ मई, १९१८

१९१८ में न० लेनिन, कार्ल मार्क्स' नामक पुस्तिका में प्रकाशित , 'प्रिंबोई' प्रकाशन गृह,मास्को

यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।


यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।