पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३६४

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(३३६) पल्लव कोन थे ६ १७६. आखिर ये पल्लव कौन थे ? जब से पल्लवों के ताम्र- लेखों से पल्लव राजवंश का पता चला है, तभी से अनेक विद्वानों ने इस प्रश्न की मीमांसा करने का प्रयत्न किया है। लेकिन फिर भी पल्लव संबंधी रहस्य का अभी तक कुछ भी पता नहीं चला है। कुछ दिनों यह प्रथा सी चल गई थी कि जिस राजवंश के संबंध में कुछ पता नहीं चलता था, उसके संबंध में यही समझ लिया जाता था कि उस राजवंश के लोग मूलतः विदेश से आए हुए थे और इसी फेर में पड़कर लोगों ने पल्लवों को पार्थियन मान लिया था। परंतु इतिहासज्ञों को इससे संतोष नहीं होता था और बहुत कुछ अपने अंतःकरण की प्रेरणा से ही वे लोग इस परिणाम पर पहुँचे थे कि पल्लव लोग इसी देश के निवासी थे। परंतु वे लोग या तो उन्हें द्रविड़ समझते थे और या यह समझते थे कि लंका या सिंहल के द्रविड़ों के साथ उनका संबंध था। ये सभी सिद्धांत स्थित करने में उन लिखित प्रमाणों और सामग्री की उपेक्षा की गई थी जो किसी प्रकार के वाद-विवाद के लिये कोई स्थान ही बाकी नहीं छोड़ती। इतिहासज्ञों के द्वारा जिस प्रकार की दुर्दशा शुंगों की हुई थी, उसी प्रकार की दुर्दशा पल्लवों को भी उनके हाथों भोगनी पड़ी वस्तुतः पल्लव लोग बहुत अच्छे और कुलीन ब्राह्मण थे; परंतु वे अपनी इस वास्तविक और सच्ची मर्यादा से बंचित कर दिए गए थे। सब लोगों ने कह दिया था कि शुंग भी विदेशी ही थे। पर अंत में मैंने यह सिद्ध कर दिखलाया था कि शुंग लोग वैदिक ब्राह्मण थे और उन्होंने एक ब्राह्मण साम्राज्य की स्थापना की थी; और यह एक ऐसा निष्कर्ष है जिसे अब सभी जगह के लोगों ने बिलकुल ठीक मान लिया है। उनके मूल की कुंजी इस देश के