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पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/७

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प्राकथन यह ग्रंथ पाँच भागों में विभक्त है-(१) नाग वंश के अधीन भारत ( सन् १५०-२८४ ई०); (२) वाकाटक साम्राज्य (सन् २८४-३४८ ई०); जिसके साथ परवर्ती वाकाटक राज्य (सन् ३४८- ५२० ई) संबंधी एक परिशिष्ट भी है; (३) मगध का इतिहास (ई० पू० ३१-३४० ई०); और समुद्रगुप्त का भारत; (४) दक्षिणी भारत ( सन् २४०-३५० ई०); और (५) गुप्त-साम्राज्य के प्रभाव । इस काल का नो यह इतिहास फिर से तैयार किया गया है, वह मुख्यतः पुराणों के अाधार पर है और इंडियन एंटिकरी के प्रधान संपादक की सूचना ( उक्त पत्रिका १६३२, पृ० १०० ) के अनुसार यह काम किया गया है। श्रीयुत के० के० राय एम० ए० से यह ग्रंथ प्रस्तुत करने में लेखक को जो सहायता प्राप्त हुई है और जो कई उपयोगी सूचनाएँ मिली हैं, उनके लिये लेखक उन्हें बहुत धन्यवाद देता है। इसमें एक ही समय के अलग अलग राज्यों और प्रदेशों के संबंध की बहुत सी बातें पाई हैं; और इसी लिये कुछ बातों की पुनरुक्ति भी हो गई है। श्राशा है कि पाठक इसके लिये मुझे क्षमा करेंगे। २३ जुलाई १६३२ । X X X X