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पृष्ठ:अजातशत्रु.djvu/७४

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अजातशत्र। फर लिया है, उसके साथ मिाया विहार फरते २ उन्हें युद्धि का अजीर्ण हो गया है। महावी यासवदचा और पन्नावती जीर्ष हो गई है, तब कैसे मेल हो ? क्या तुम उन्हें अपनी औषधि से, उस . विवाह करने के समय को अयम्धा फा नहीं बना सकते, जिसमें ' महारान इस अजीर्ण से पच जायें |" ____ जीवफ-"तुम्हारे से चाटुकार और मी घाट लगा देंगे, दो घार और जुड़ा देंगे।" ____घसन्तक-"उसमें तो गुरजनों का ही अनुकरण है। श्वसुर ने दो व्याह किये, वो दामाद ने तीन। कुछ उमवि ही रही। . - जीवक-"दोनों अपने मर्म के फल भोग रहे हैं। कहो कोई यथार्थ पास भी कहने सुनने की है या यही हँसोड़पन ?” ।' । वसन्तफ-"पपराइये मत । बड़ी रानी थासयत्ता पाठी को सहोदरा भगिनी की तरह प्यार करती हैं। नफा कोई अनिष्ट

  • नहीं होने पावेगा। उन्होंने ही मुझे भेजा है, और प्रार्थना की है।

कि "आर्यपुत्र की भयस्था आप देख रहे हैं, उनके व्यवहार पर ध्यान न दीजियेगा। पद्मावती मेरी सहोदरा है, उसकी ओर से प्राप निश्चिन्त रहें। क्या फरें ये लाचार हैं नहीं तो आपकी दो बार रेपकी गोली रोजा को खिला उती। फिर वो मट नफी गर्मी शान्ट हो जावी। अच्छा भाप हताण न इजियेगा । फोराल से समाचार मेजियेगा। नमस्कार ! 71 - - ---