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सड़क के किनारे दूकान है।
पान की, दूर एक्कावान है
घोड़े की पीठ ठोंकता हुआ,
पीरबख़्स एक बच्चे को दुआ
दे रहा है, पीपल की डाल पर
कूक रही है कोयल, माल पर
बैलगाड़ी चली ही जा रही है।
नीम फूली है, खुशबू आ रही है,
डालों से छन-छनकर राह पर
किरने पड़ रही हैं, बाह पर
बाह किये जा रहा है खेत में
दाहनी तरफ़ किसान, रेत में
बांई तरफ़ चिड़ियाँ कुछ बैठी हैं,
खुली जड़ें सिरसे की ऐंठी हैं।
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