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आ रही याद
तूलिका नारियों के चित्रण की निरपवाद,
ब्राह्मण-प्रतिभा का अप्रतिहत गौरव-विकास,
वर्णाश्रम की नव स्फुरित ज्योति, नूतन विलास,
कामिनी-वेश नव, नवल केश, नव-नव कवरी,
नव-नव वन्धन, नव-नव तरंग, नव-नवल तरी,
नव-नव वाहन-विधि, वाहित वनिता-जन नव-नव,
नव-नव चिन्तन, रचना नव-नव, नव-नव उत्सव,
नूतन कटाक्ष सम्बोधन नूतन उच्चारण,
नूतन प्रियता की प्रियतमता, समता नूतन,
संस्कृति नूतन, वस्तु-वास्तु-कौशल-कला नवल,
विज्ञान-शिल्प-साहित्य सकल नूतन-सम्वल,
पाली के प्रवल पराक्रम को संस्कृत प्रहार,
कालिदास-वररुचि के समलंकृत रुचिर तार॥

कर रहा मनन
मैं शंकर का उत्थान, बौद्ध-धर्म का पतन—
जन-बल-वर्धन के हेतु वाम-पथ का चालन,—