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पृष्ठ:अदल-बदल.djvu/८५

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८७::अदल-बदल
 

'जी हां, मेरा मतलब है सहारा।'

'आप अपना मतलब और साफ-साफ कहिए।'

वकील साहब अपनी गंजी खोपड़ी सहलाते हुए बोले-'ओफ, आप समझीं नहीं। लेकिन, जहां तक मेरा ख्याल है, शादी तो आप करेंगी ही।'

'इससे आपको क्या मतलब ?'

'जी, मतलब तो कुछ नहीं। परन्तु मैं शायद आपकी मदद कर सकूँ।'

'किस विषय में?

'शादी के विषय में । मैं एक ऐसे योग्य पुरुष को जानता हूं जो आप ही के समान कल्चर्ड विचारों का है, सभ्य पुरुष है, खुश- हाल है, समझदार है। हां, उम्र जरा खिच गई है, पर मर्द की उम्र क्या, पर्स देखना चाहिए। वह पुरुष खुशी से आप जैसी कल्चर्ड महिला से शादी करने को तैयार हो जाएगा।'

मायादेवी ने घृणा से होंठ सिकोड़कर गंजे वकील की ओर देखा और कहा-

'आप कैसे कह सकते हैं कि वह तैयार हो जाएगा, दूसरे के दिल की बात आप जान कैसे सकते हैं ?'

'खूब जानता हूं देवीजी, मैं दावे से कह सकता हूं कि वह आप पर मर मिटेगा।'

'तो वह मर मिटने वाले शायद आप ही हैं।' मायादेवी ने भ्रूभंग करके कहा।

'हो ही, आप भी कमाल की भांपने वाली हैं, मान गया। अब जब आप समझ ही गई हैं, तो फिर कहना ही क्या। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि आप एक दिलवाला पति पा सकेंगी।'

'खैर देखा जाएगा, अभी तो आप जो मामले की बात है उसीका ध्यान कीजिए। इस मसले पर पीछे गौर कर लिया ,