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राम की शक्ति-पूजा
 

ज्योतिर्म्मय रूप, हस्त दश विविध-अस्त्र-सज्जित,
मन्दस्मित मुख, लख हुई विश्व की श्री लज्जित,
है दक्षिण में लक्ष्मी, सरस्वती वाम भाग,
दक्षिण गणेश, कार्तिक बाँये रण-रङ्ग-राग,
मस्तक पर शङ्कर।" पदपद्मों पर श्रद्धाभर
श्रीराघव हुत प्रणत मन्दस्वर वन्दन कर।
"होगी जय, होगी जय, हे पुरुषोत्तम नवीन!"
कह महाशक्ति राम के वदन में हुईं लीन।

२३. १०. ३६.
 

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