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पृष्ठ:अन्तस्तल.djvu/१७६

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स्मृति

मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकता, कभी नहीं।

जीवन के प्रत्येक सौन्दर्य-स्थल मे तुम्हारी स्मृति लहरा रही है और उसका अकस्मात् स्पर्श होते ही हृदय मे घाव हो जाता है। जहर से बुझी हुई बी की भॉति तुम्हारा नाम कलेजे के भीतर तक घुस जाता है।