पृष्ठ:अप्सरा.djvu/५८

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अप्सरा

अप्सरा "तुम अँगरेजी जानती हो, मुझे नहीं मालूम था।" फनक मुसकियई । "हाँ, मुझे कैथरिन घर पर पढ़ा जाया करती थी। थोड़े ही दिन हुए, मैंने पढ़ना बंद किया है। हम लोगों के साथ अदालत से आने के समय वह कैथरिन ही थीं।" राजकुमार के मानसिक सम्मान में कनक का दर्जा बढ़ गया। उसने उस ग्रंथ को पूर्णतः नहीं पढ़ा, इस अज्ञान-मिश्रित दृष्टि से कनक का देख रहा था, उसी समय नौकर कुछ सामान एक काराज में बँधा हुआ लाकर कनक के सामने रख गया। कनक ने खालकर देखा । फिर राजकुमार से कहा, लीजिए, पहन लीजिए, चलें प्रिंस-ऑफ-वेल्स घाट की तरफ, शाम हो रही है, टहल आवें। राजकुमार को बड़ी लब्बा लगी। पर कनक के आग्रह को वह टाल न सका। शट. वेस्ट कोट और कोट पहन लिया। टोपी दे ली। जूते पहन लिए! _____ कनक में कपड़े नहीं बदले। उन्हीं वसों से वह उठकर खड़ी हो गई। राजकुमार के सामने ही एक बड़ा शीशा दीवार से लगा था। इस तरह खड़ी हुई कि उसकी साड़ी और कुछ बाहने अंग राजकुमार के आधे अंगों से छू गए, और उसी तरह खड़ी हुई वह हृदय की ऑखों से राजकुमार की तस्वीर की आँखें देख रहो थी। वहाँ उसे जैसे लज्जा न थी । राजकुमार ने भी छाया की कनक को देखा । दोनी की असंकुचित चार आँखें मुसकिर पड़ीं, जिनमें एक ही मर्म, एक ही स्नेह का प्रकाश था। अलंकारों के भार से कनक की सरल गति कुछ मंद पड़ गई थी। राजकुमार को बुलाकर वह नीचे उतरने लगी। कुछ देर तक खड़ा वह उसे देखता रहा । कनक उतर गई । राजकुमार भी चला। गाड़ी तैयार खड़ी थी। अदली ने मोटर के पीछे की सीट का द्वार खोल दिया । कनक ने राजकुमार को बैठने के लिये कहा । राजकुमार बैठ गया लोगों की भीड़ लग रही थी' अवाक आँखों से पाला