पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/११५

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चारों कोनों की ओर खुला आँगन है । आँगन के पूर्व उत्तर के कोने के पास गणेश जी का छोटा मंदिर है । उत्तर द्वार के बाहर अघोरेश्वर का शिवलिंग है । स्वयं सोमनाथ के मंदिर के पूर्व की ओर एक बड़ा आँगन है। उसके चारों बगलों पर दोखण्ड के घर और दालान हैं । पूर्व की ओर सिंहद्वार और दक्षिण की ओर खिड़की है। यहाँ यात्रियों का नित्य आना जाना बना ही रहता है ।

त्र्यंबक---यह स्थान बंबई अहाते में नासिक से पश्चिम-दक्षिण के कोने में १८ मील की दूरी पर है । यहाँ पर पत्थर का एक सुंदर तालाब और दो छोटे छोटे मंदिर हैं ।

गया ( विष्णुपद का मंदिर -- यह स्थान बिहार अहाते के जिले में है । गया शहर के दक्षिण पूर्व फलगू नदी के समीप गया के सब मंदिरों में प्रधान और सबमें उत्तम विष्णु पद का विशाल मंदिर पूर्व मुख खड़ा है । मंदिर काले पत्थर का बना हुआ है । भीतर से अठपहलू कलशदार और ध्वजा के स्तंभ पर सोने का मुलम्मा किया हुआ है । किवाड़ों में चाँदी के पत्तर लगे हुए हैं । मदिर के मध्य में विष्णुका एक चरण-चिह्न शिला पर बना है । उसके हौदे के चारों ओर चाँदी फा पत्तर लगा है । दीवारों के ताकों में कई देव-मूर्तियाँ भी स्थापित हैं । मंदिर के सामने १८ गज़ लंबा और १७ गज़ चौड़ा ४२ सुंदर खंभे लगे हुए काले पत्थर का बना हुआ गुंबजदार उत्तम जगमोहन है । बीच का हिस्सा छोड़कर इसके चारों बगल दोमंजिला है । गुंबज के ऊपर सुनहला कलश लगा है और नीचे बड़ा घंटा