सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आग और धुआं.djvu/३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।


सिंहासन की ओर बढ़े और सम्मानपूर्वक अभिवादन करके नवाब के सामने खड़े हुए।

नवाब ने मधुर स्वर और सम्यक् भाषा में उनका कुशल प्रश्न पूछा, और समझाकर कहा—“मैं तुम्हारे वाणिज्य की रक्षा करना चाहता हूँ, और अपने तथा तुम्हारे बीच में सन्धि-स्थापना करना ही मेरे इतना कष्ट उठाने का कारण है।"

अंग्रेजों ने झुककर कहा—"हम लोग भी सन्धि को उत्कण्ठित हैं, और झगड़े-लड़ाई से हममें बड़ी बाधाएँ पड़ती हैं।"इसके बाद नवाब ने सन्धि की शर्ते तय करने के लिए उन दोनों को दोपहर को डेरे में जाने की आज्ञा दे,दरबार बर्खास्त कर दिया।

षड्यन्त्रकारियों ने देखा-काम तो बड़ी खूबी से समाप्त हो गया है। उन्होंने इस अवसर पर एक गहरी चाल खेली।

मानिकचन्द ने बड़े शुभचिन्तक की तरह अंग्रेजों के कान में कहा-"देखते क्या हो, जान बचाना हो तो भाग जाओ। वहाँ डेरों में तुम्हारी गिरफ्तारी की पूरी-पूरी तैयारियाँ हैं। यह सब नवाब का जाल है। नवाब की तोपें पीछे रह गई हैं। इसीलिये यह धोखा दिया जा रहा है। भागो, मशाल गुल कर दो।" इतना कह, मानिकचन्द झपटकर घर में घुस गया और दोनों अंग्रेज हत्बुद्धि होकर भागे।

उस दिन रात-भर अंग्रेजों ने विश्राम नहीं किया। क्लाइव जलते अंगारे की तरह लाल-लाल होकर सैन्य-सज्जित करने लगा। हेस्टिग्स भी अपने भाग्योदय का अवसर देख, उसमें सम्मिलित हुआ। वाट्सन ने ६०० जहाजी गोरे माँगकर अपनी पैदल सेना में मिलाये, और रात के तीन बजे नवाब के पड़ाव पर आक्रमण कर दिया। नवाब के पड़ाव में उस समय साठ हजार सिपाही, दस हजार सवार और चालीस तोपें थीं। सब मजे में सो रहे थे। क्लाइव ने यह न सोचा, विशाल सैन्य के जागने पर क्या अनर्थ होगा? उसने एकदम तोपें दाग दीं।

एकदम 'गुडम्-गुड़म्' सुनकर नवाब की छावनी में हलचल मच गई। जल्दी-जल्दी लोग सजने लगे। सिपाही मशाल जला, हथियार ले, तोपों के पास आने लगे। फिर तो नवाब की तोपें भी प्रचण्ड अग्नि-वर्षा करने लगीं।

३०