पृष्ठ:आग और धुआं.djvu/७३

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"इसका क्या मतलब?"

“यही कि अब तक तो बधिक बहुत दूर निकल गया होगा, इसलिये आपका बध अगले दिन के लिये स्थगित करना पड़ेगा।"

"अच्छा?"

"कल रात को हम लोग आपको यहाँ से ले भागेंगे?"

"किस तरह?"--राजा ने चौंककर पूछा। उसका चेहरा प्रसन्नता से खिला हुआ था।

पेरी ने हाथ जोड़कर कहा-"आपको और आपके साथियों को ईश्वर सफलता दे।"

"मुझे तुम्हारी बातें तो मालूम होनी चाहिए, ताकि मैं भी तुम्हारी कुछ सहायता कर सकूँ।"

“सो तो मैं नहीं जानता श्रीमन्। लेकिन हम चारों में जो सबसे अधिक चतुर, वीर और धुन का पक्का आदमी है, उसी ने चलते वक्त मुझसे कहा था कि महाराज से कह देना कि कल रात को दस बजे हम उन्हें भगा लायेंगे। जब उसने यह कहा है तो वह अवश्य पूरा करेगा।"

"मुझे उस उदार सज्जन का नाम तो बताओ, ताकि मैं अन्त समय तक उसे धन्यवाद देता रहूँ, चाहे वह अपने काम में सफल हो या न हो।"

"डी आर्टगनन श्रीमन्। ये वही सज्जन हैं जो आपको उस समय बचाने में असफल रहे थे, जबकि कर्नल हैं रीसन महलों में घुस आये थे।"

"तुम सचमुच विचित्र आदमी हो। यदि मुझसे कोई ऐसी बात कहे तो मैं कभी विश्वास न करूँ।"

"श्रीमान् हम प्रत्येक क्षण आपकी रक्षा के लिए प्रयत्नशील हैं। छोटी-से-छोटी चेष्टाएँ धीमी से धीमी कानाफूसी और गुप्त से गुप्त संकेत, जो शत्रु आपकी बाबत करते रहते हैं, हमसे छिपा नहीं रह सकता।"

"ओह! मैं क्या करूँ? मेरे अन्तस्तल से कोई शब्द नहीं निकलता है। मैं तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ? यदि तुम अपने कार्य में सफल हुए तो मैं यही नहीं कहूँगा कि तुमने एक राजा को बचाया है, बल्कि तुमने एक स्त्री का पति बचाया है, बच्चों का पिता बचाया है। अरेमिस मेरा हाथ तो दबाओ यह हाथ तुम्हारे ऐसे मित्र का है, जो अन्तिम श्वास तक तुम्हें प्यार करता

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