ने आशीर्वाद दिया। पहरेदारों ने मस्तक झुका दिए, और बड़ी शान के साथ सैनिकों से भरे उस कमरे में से निकलकर वह अपनी गाड़ी में आ बैठा। गाड़ी पादरी साहब के घर की ओर चल दी।
जुक्सन व्याकुलता से उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। अरेमिस को देखकर उसने कहा-"आ गए?"
अरेमिस ने कहा-“जी हाँ, “मेरी इच्छानुसार सब कुछ सफल हुआ। सिपाही, पहरेदार, सभी ने मुझे समझा कि आप ही हैं। राजा ने आपको आशीस दी है और आपकी आशीस के लिए भी वे व्याकुल हैं।"
"मेरे पुत्र, ईश्वर ने तुम्हारी रक्षा की है। तुम्हारे इस कार्य से मुझे बहुत-कुछ आशा और साहस हुआ है।"
अरेमिस ने फिर अपने कपड़े पहने और जुक्सन से यह कहकर कि मैं फिर आऊँगा, चल दिया।
वह मुश्किल से दस गज गया होगा कि एक आदमी को लबादा पहने हुए उसने अपनी ओर आते देखा। वह सीधा आकर उसके पास खड़ा हो गया! वह पोरथस था।
पोरथस ने अरेमिस के हाथ में हाथ मिलाते हुए कहा- "मैं तुम्हारी देख-रेख कर रहा था। क्या तुम राजा से मुलाकात कर चुके?"
"हाँ, सब ठीक है। पर हमारे और साथी कहाँ हैं?"
"हमने उस होटल में ग्यारह बजे मिलने का निश्चय किया था न?"
"तो फिर अब समय नष्ट न करना चाहिए।"
गिरजे की घड़ी ने साढ़े दस का घण्टा बजाया। वे जल्दी-जल्दी चले और वहाँ सबसे पहले पहुँच गए। इनके बाद अथस पहुँचा।
अथस ने पूछा-"सब ठीक है न?"
अरेमिस ने कहा-"हाँ, तुम क्या कर आए?"
"मैंने एक नाव किराए पर तय की है। वह नाव बहुत तेज चलने वाली है। डाग्स टापू के ठीक सामने ग्रीनविच पर वह हमारी प्रतीक्षा करेगी। उस पर एक कप्तान है और चार सिपाही हैं। तीन रात के लिए पचास पौण्ड में तय हुए हैं। वे हमारी इच्छानुसार काम करेंगे। पहले तो हम टेम्स में दक्षिण दिशा को चलेंगे, फिर करीब दो घण्टे में खुले समुद्र में पहुँच
७५