आर्टगनन ने कहा--"सम्भव है, उसने चलते समय उनसे यह वादा किया कि तुम्हारा काम पूरा करने के लिए मैं चार आदमी शीघ्र ही भेजूंगा। और घर पहुंचते ही अपने एक दोस्त बढ़ई को जिसका नाम मिस्टर होमलो है, लिखा कि मेरे वादे के अनुसार तुम तुरन्त व्हाइटहॉल पहुंचो। देखो, यह पत्र है जिसे एक विश्वासपात्र आदमी के हाथों दस पेन्स देकर भेजा गया उसका था। और उस आदमी से वह पत्र अधिक मुद्रा देकर मैंने खरीद लिया है।"
अथस ने पूछा--"उस पन से हमें क्या ?"
"नहीं समझ सके?"
"नहीं तो।"
"अथस, जॉनबुल की तरह अंग्रेजी बोल सकने योग्य तुम मिस्टर होमलो बन जाओ और हम उसके तीनों साथी बन जाएँ । अब समझे?"
अथस प्रसन्नता से उछल पड़ा।
चारों ने मजदूरों जैसा भेष बना लिया और पाड़ बनाने चले। अथस के कन्धे पर आरी थी, पोरथस पर रन्दा, अरेमिस पर कुल्हाड़ी और डी आर्टगनन पर हथौड़ा और कीलें थीं।
आधी रात के समय राजा ने खिड़की के नीचे बहुत शोर-गुल सुना। यह सब कुछ हथोड़े की चोटों और चीरने-फाड़ने से हो रहा था। उस अन्धकार और निस्तब्धता में वह पहले से ही भयभीत हो रहे थे। इस शोर-गुल से उनकी रही-सही हिम्मत भी जाती रही । उन्होंने पेरी को द्वारपाल के पास यह कहला भेजा कि "जरा इन मजदूरों से कह दो, कम शोर मचावें। कम से कम इस अन्तिम रात्रि में तो मुझे सुख से सो लेने दे।"
पेरी ने बाहर जाकर पहरेदार से कहा परन्तु वह अपनी ड्यूटी से हट नहीं सकता था। इसलिए पेरी को ही वहाँ जाकर मना कर आने की आज्ञा उसने दे दी। महल का चक्कर काटकर पेरी ने उस खिड़की के नीचे पहुँच-कर देखा कि पाड़ अभी पूरी नहीं हो पाई है और वे लोग उसमें कीलों से काला कपड़ा लटका रहे हैं।
पाड़ की ऊँचाई जमीन से २० फीट ऊँची खिड़की तक थी। इसमें नीचे दो मंजिलें थीं। पेरी घृणा से उन आठ-दस मजदूरों को, जो अभी तक शीघ्रता से काम कर रहे थे, देखने लगा। वह देखना चाहता था कि किस
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