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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/२७३

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व्यापारिक मार्ग तथा व्यापारिक केंद्र


बहुत धीमी हो जाती है। यही कारण है कि पर्वतीय प्रदेशों में टनल खोद कर तथा चक्कर देकर ऊँचाई को बचाया जाता है किन्तु इसका परिणाम यह होता है कि इन प्रदेशों में रेन बनाने में अत्यधिक व्यय होता है। रेलों के खुल जाने से बहुत से वीरान देश श्राबाद हो गए । कनाडा और सायबेरिया में जो कुछ उन्नति हुई है वह रेलों का ही प्रसाद है । यदि आस्ट्रेलिया में सब रियासते रेलवे लाइनों द्वारा न जोड़ दी जाती तो केन्द्रीय सरकार का संगठन होना बहुत कठिन था। भारतवर्ष तथा चीन जैसे महाराष्ट्रों को एक सूत्र में बांधने का कार्य रेलों ने ही किया है। जो देश मनुष्य निवास के योग्य नहीं हैं किन्तु जहाँ खनिज पदार्थ भरे पड़े हैं बिना रेलों के खुले उन्नति नहीं कर सकत । जिन देशों में कच्चा माल बन्दरगाहों से दूर उत्पन्न होता है वहाँ रेलों के द्वारा ही वह बन्दरगाहों तक लाया जाता है। किन्तु रेलों का उपयोग अभी तक देश के अन्दर के व्यापार के ही लिए हो सका है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए इनका अधिक महत्त्व नहीं है। इसके दो मुख्य कारण हैं। प्रथम, रेलों द्वारा माल ले जाने में जहाजों की अपेक्षा व्यय अधिक होता है, दूसरे भिन्न भिन्न देशों में लाइनों की चौड़ाई भिन्न होने से माल को भिन्न भिन्न स्थानों पर उतारना चढ़ाना पड़ता हैं। योरोप में ही रूस की रेलवे लाइनों की चौड़ाई ५ फीट है, स्पेन पोर्तुगाल की चौड़ाई ५ फीट ५१ इच तथा अन्य योरोपीय देशों की लाइनें ४ फीट -३ इंच चैड़ी हैं। प्रत्येक देश में यदि एक ही चौड़ाई की रेलवे लाइनें हों तो रेलों का भी उपयोग अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए हो सकता है। किन्तु सैनिक दृष्टि से एक ही चौड़ाई को लाइनें होना देश की रक्षा के लिए भयानक सिद्ध हो सकता है। इस कारण प्रत्येक देश अपने पड़ोसी देश से भिन्न चौड़ाई की रेलवे लाइनें बनाता है। रेलों के विस्तार पर पृथ्वी की बनावट और जलवायु का प्रभाव बहुत पड़ता है । जहाँ हिम अधिक पड़ता है वहाँ पहाड़ी द। को हिम रोक देता और रेल नहीं निकल सकती और जहाँ वर्षा बहुत अधिक होती है वहीं की भूमि इतनी नम हो जाती है कि रेल नहीं निकाली जा सकती। उदाहरण के लिए उत्तरीय ध्रुव के समीपवर्ती प्रदेश तथा भूमध्यरेखा (Equator ) के समीपवर्ती प्रदेश में रेलों का विस्तार नहीं हो सकता । धरातल की बनावट रेलों को किस ओर निकाला जावेगा यह निर्धारित करती है। उदाहरण के लिए पहाड़ी प्रदेशों में नदियों की घाटियों और दरों में से होकर ही रेले निकाली जाती हैं । पहाड़ रेलों के विस्तार में बहुत - .