मुख्य व्यापारिक देश
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कूचान को . होकेडो ( Hokkaido ) तथा क्यूशू प्रदेशों में मिलता है। यद्यपि जापान में कोयला कम है परन्तु प्रकृति ने जल-शक्ति बहुत प्रदान की है.! जापान...ने अपनी जल-शक्ति का खूब ही उपयोग किया है। मध्य-हान्यू के पहाड़ों से निकलने वाली नदियों के जल से बहुत अधिक बिजली उत्पन्न की जाती है । इस विजन्ती का प्रशान्त मासागर के तट पर टोकियो तथा नोबी के मैदानों में स्थित औद्योगिक केन्द्रों का उपयोग होता है। प्रकृति ने कोयले की कमी को जल-शक्ति देकर पूरा कर दिया है। जापान में अन्य औद्योगिक देशों की अपेक्षा लोहा भी कम है। केवल दो क्षेत्रों में लोहा मिलता है-(१) उत्तर पूर्वी हान्श्यू. में कामेशी ( Kamrishi ) की खाने, तथा दूसरी पश्चिमी होकेडो खाने । जापान में तावा भी मिलता है। इनके अतिरिक्त इचिगो तथा यूगो (Echigo & Ugo) की खानों से थोड़ा मिट्टी का तेल भी निकलता है। जापान में जो थोड़ा लोहा निकलता है उससे देश की मांग पूरी नहीं हो सकती, इस कारण लोहा बाहर से मँगाना पड़ता है। जापान में उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में आधुनिक ढग के कारखानों की स्थापना प्रारम्भ हुई और बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में उसने आश्चर्य- जनक औद्योगिक उन्नति कर ली । जापान में खनिज पदार्थों की कमी है तथा कच्चा माल भी जापान उत्पन्न नहीं करता फिर भी उसने इतनी शीघ्र औद्योगिक उन्नति कर ली यह वास्तव में आश्चर्य की बात मालूम पड़ती है। जापान की औद्योगिक उन्नति के मुख्य तीन कारण हैं जिनसे जापान के उद्योग-धन्धों की उन्नति सम्भव हो सकी- (१) सस्ती जल्ल-शक्ति की अधिकता (२) कुशल सस्ते मजदूरों की बहुतायत जिन्हें काम की आवश्यकता है ( ३ ) तैयार माल की खपत के लिए चीन और भारतवर्ष जैसे विशाल देशों का समीप होना । यदि देखा जाये तो सस्ते और कुशल मजदूरों की बहुतायत. ही जापान को औद्योगिक उन्नति का मुख्य कारण है। जापान में रेशम का धन्धा सब से.. अधिक महत्वपूर्ण है। इसमें काम करने वाले किसान भी हैं और प्रौद्योगिक- मज़दूर भी रेशम का धंधा हैं। रेशमी कीड़े का पालन करना तथा कंकून इकहा करना. किसान'का धन्धा है और रेशमी कारखानों में मजदूर काम करते हैं | चावल के उपरान्त रेशम के कीड़े पालना ही जापानी किसान का मुख्य कार्य है।" ..